जनमत के दबाव के बाद राजधानी बर्लिन में अरब गुनहगारों की गिरोह के खिलाफ जर्मन यंत्रणा का आक्रामक अभियान

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बर्लिन – जर्मनी की राजधानी बर्लिन में हिंसा और गुनहगारी की व्यवस्था खडी करनेवाले २० से अधिक अरब गिरोहों पर कार्रवाई करने का फैसला स्थानिक प्रशासन ने लिया है| आजतक जर्मन सुरक्षा यंत्रणाओं ने अरब गिरोहों के कारवाई को अनदेखा किया था| उस से इन गिरोहों को विस्तार करने का मौका मिला| पर पिछले कुछ महीनों से बाहर से जर्मनी में आए गुनहगारों के खिलाफ जनमत भडक उठा है| जर्मन राजकीय नेतृत्व इस बारे में जानबूझकर अनदेखी करने का इल्जाम सामन्य लोगों द्वारा लगाया गया है| इसी वजह से अरब गिरोहों के संघटित गुनहगारी पर कार्रवाई करना स्थानिक प्रशासन को जरुरी पड रहा है|

१९७०-८० के दशक में खाडी देशों में शुरु संघर्ष के चलते उन देशों के नागरिकों ने जर्मनी में स्थलांतर करना शुरु किया था| उस में इराक, सीरिया, लेबेनॉन, पॅलेस्टाईन, इजिप्त, लिबिया, सौदी अरेबिया, अल्जिरिया जैसे देशों के इस्लामधर्मिय नागरिकों का बडी मात्रा में समावेश था| इन स्थलांतरितों ने राजधानी बर्लिन में समूहों की तरह रहना शुरु किया| ‘न्यूकोलिन’, ‘मिट’, ‘टेम्पलहॉफ’ जैसे हिस्सों में अरबों की संगठित बस्ती है और उस में बडी मात्रा में गुनहगारी टोलियों का प्रभुत्व है|

खाडी देशों से आये परिवारों ने अपने क्षेत्र में रहनेवाले नागरिकों को जर्मनी में लाते हुए गिरोह खडे किये| ऐसे करीब २० से ज्यादा गिरोह सक्रिय है, ऐसा कहा जाता है| इस में से हर गिरोह में ५०० सदस्य है और गुनहगारों की संख्या करीब १० हजार होने की बात की जाती है| अमली पदार्थों का कारोबार, डकैती, गैरकानूनी तस्करी के साथ राजधानी में होनेवाले बहुतांश हिंसक गुनाहों के पिछे इन गिरोह का हाथ होने की बात सामने आयी है|

पिछले चार साल में बर्लिन में हुए दो बडे डकैती के घटनाओं के पिछे इन गिरोह का हाथ होने की बात सामने आयी थी| इस में १०० किलोग्रॅम सोने के सिक्के की लूट भी शामिल है| इसके अलावा पिछले कई सालों से जर्मनी में घूसपेठ करनेवाले अवैध शरणार्थियों को भी इन गिरोहों ने बडी मात्रा में पनाह दी है| उस में कुछ आतंकवादी भी शामिल है| पिछले साल जर्मन पुलिस की एक रिपोर्ट में अरब गुनहगारी गिरोह के सदस्य देश के सुरक्षा यंत्रणाओं में घूसपेठ कर रहे है, ऐसा इल्जाम लगाया था|

इस पृष्ठभूमी पर, राजधानी बर्लिन में स्थानिक प्रशासन ने अरब गिरोह के खिलाफ हाथ ली कार्रवाई महत्त्वपूर्ण साबित हो रही है| राजधानी बर्लिन में करीब एक लाख से ज्यादा अरब वंश के नागरिकों की बस्ती है| अबतक जर्मन चैन्सेलर अँजेला मर्केल ने देश में रहनेवाले इस्लामधर्मियों को तकलीफ न पहुँचाने की नीति अपनायी थी| पर शरणार्थियों की घूसपेठ, आतंकवादी हमले, बढती हुई गुनहगारी की वजह से जर्मन जनता में असंतुष्टता बढ रही है|

इस बढती असंतुष्टी का झटका चैन्सेलर मर्केल और सत्ताधारी हुकूमत को बैठा है| दक्षिणपंथी विचारधारा और राष्ट्रवादी समूहों का प्रभुत्त्व जर्मनी में बढ रहा है| इसलिए एक समय में शरणार्थियों का स्वागत करनेवाले मर्केल को उनको निकाल देने का फैसला लेना पडा है| साथही शरणार्थियों की मात्रा पर मर्यादा लगाना और सरहद पर अतिरिक्त सुरक्षा की तैनाती जैसे उपायों का ऐलान भी करना पडा|

अरब गुनहगारों के गिरोह के खिलाफ की कार्रवाई भी इस में से एक पडाव है और नाराज हुए जर्मन जनता का खोया हुआ भरोसा वापिस लाने के लिए यह गतिविधियां शुरु है, ऐसे दिखाई दे रहा है|

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