जनरल बाजवा का कार्यकाल तीन वर्ष बढाने के निर्णय से पाकिस्तानी सेना में दरार

इस्लामाबाद – पाकिस्तानी सेना में बनी दरार फिर से दुनिया के सामने आयी है| सेनाप्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा के बाद पाकिस्तानी सेना में क्रमांक दो के अधिकारी जनरल सर्फराझ सत्ताक ने २६ नवंबर के रोज इस्तीफा दिया था| उससे पहले उन्हें उनके परिवार के साथ नजरबंद रखा गया था और दबाव बनाकर सर्फराझ सत्तार से इस्तीफा लिया गया था, यह भी स्पष्ट हुआ है| पाकिस्तानी सरकार ने जनरल बाजवा का कार्यकाल तीन वर्ष बढाने का निर्णय किया था| इसके विरोध में सर्फराज ने आवाज उठाई और उसी की किमत उन्हें चुकानी पडी है, यह भी सामने रहा है|

जनरल बाजवा का कार्यकाल तीन वर्ष बढाने का निर्णय पाकिस्तान की अदालत ने रद्द करके बाजवा का कार्यकाल मात्र छह महीने बढाने का निर्णय किया था| इसके बाद पाकिस्तानी संसद ने कानून पारित करके बाजवा का कार्यकाल तीन वर्ष बढाने के निर्णय को वैधता प्राप्त करवाई थी| इसकी गुंज पाकिस्तानी सेना में सुनाई पडी है| क्यों की बाजवा का कार्यकाल बढाने से जनरल सर्फराज सत्तार ने सेनाप्रमुख होने का अवसर खोया था| इस कारण गुस्सा हुए इस अधिकारी ने जनरल बाजवा के विरोध में मुहीम चलाई थी

बाजवा का कार्यकाल बढाने का निर्णय खारिज करने वाले मुख्य न्यायाधीश असिफ सईद खोसा को साथ मिलाकर असंतुष्ट सेना अफसरों ने बाजवा को झटका देने की कोशिश करने के दावे हो रहे थे| साथ ही जनरल बाजवा अहमदिया पंथ के है और पाकिस्तानी कानून के अनुसार उन्हें इस्लामी समझा नही जा सकता, इस स्वरूप के आरोप कुछ सामरिक विश्लेषक कर रहे थे| साथ ही जनरल बजाव की निष्ठा पर भी कुछ लोग सवाल कर रहे थे| जनरल बाजवा के विरोधी गुट में फिलहाल डीजीआयएसपीआर पद पर नियुक्त मेजर जनरल असिफ गफूर का भी छिपा समर्थन होने का दावा कुछ लोग कर रहे थे|

इस पृष्ठभूमि पर लेफ्टनंट जनरल सर्फराझ ने बाजवा के कार्यकाल में बढोतरी करने के निर्णय पर खुलेआम नाराजगी व्यक्त की थी| इसके बाद सर्फराझ को उनके परिवार के साथ उन्हीं के घर में नजरबंद रखा गया था|

पाकिस्तान की महीला पत्रकार ने यह जानकारी सोशल मीडिया पर प्रसिद्ध की थी| साथ ही २६ नवंबर के रोज जनरल सर्फराझ सत्तार ने इस्तीफा पेश किया था| क्यों की इस्तीफा देने के लिए सेना ने उनपर काफी दबाव बनाया था, यह दावा इस पत्रकार ने किया है| इस वजह से पाकिस्तानी सेना में जारी सत्तास्पर्धा और गुटबाजी दुनिया के सामने स्पष्ट हुई है|

इससे पहले भी पाकिस्तानी सेना में गुटबाजी थी| सेनाप्रमुख पद के लिए जोरदार संघर्ष पहले भी हुआ था| पर, इसकी खबरें सार्वजनिक ना हो, यह ध्यान रखा जा रहा था| पर, इस बार पाकिस्तानी सेना में हो रहा विवाद दुनिया के सामने स्पष्ट हुआ है और दोनों गुट एकदुसरें को खतम करने की इर्षा में यह संघर्ष कर रहे है| इसका काफी बडा असर पाकिस्तानी सेना पर होगा और इस लष्करी अफसरों में हो रहे विवाद का प्रभाव पाकिस्तान की सियासत पर भी होगा, यह संकेत प्राप्त हो रहे है|

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