भविष्य के युद्ध सायबर स्पेस में लडे जाएंगे, रक्षामंत्री मनोहर पर्रीकर

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भविष्य में युद्ध सायबर स्पेस में हो सकते है, ऐसी आशंका रक्षामंत्री मनोहर पर्रीकर ने जताई। ‘आयएस’ जैसी खतरनाक आतंकवादी संगठन इंटरनेट का इस्तेमाल बहुत होशियारी से कर रही है, ऐसी स्थिति में देश के रक्षादल को सायबर-स्पेस के युद्ध के लिए क्षमता विकसित करनी होगी, ऐसे रक्षामंत्री पर्रीकर ने कहा।

भारतीय सेना और ‘कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री’ (सीआयआय) ने आयोजित की ‘डेफकॉम’ परिसंवाद में रक्षामंत्री पर्रीकर ने ‘सायबर रक्षा’ का महत्त्व अधोरेखित किया। सायबर युद्ध की संभावना बढ रही है। पर यह सायबर युद्ध बहुत अलग होगा। पारंपरिक युद्ध में सेना की भूमिका महत्त्वपूर्ण मानी जाती थी। पारंपरिक युद्ध में सेना की जगह कोई नही ले पाता था। लेकिन सायबर युद्ध के लिए रक्षादल को क्षमता विकसित करनी होगी, ऐसे रक्षामंत्री ने स्पष्ट किया।

रक्षादल में इर्न्फोमेशन और टेक्नॉलॉजी का इस्तेमाल बढ रहा है, लेकिन इसके बराबर सायबर रक्षा का भी महत्त्व ज्यादातर बढ रहा है। इसी कारण रक्षादल को मिलनेवाली सामग्री और जानकारी सुरक्षित होनी चाहिए, यह बात रक्षामंत्री ने कही।

भारतीय रक्षादल ‘डिजिटलाईज्ड आर्मी’ हो रही है। सायबर युद्ध से ‘इन्फॉर्मेशन ब्लॅकआऊट’ और ‘इन्फर्मेशन करप्शन’ जैसे संकट सामने आ सकते हैं। इसलिए रक्षा दल को सायबर रक्षा के सुरक्षा के लिए अलग क्षमता विकसित करने की जररूत है, ऐसे रक्षामंत्री पर्रीकर ने कहा। यह क्षमता विकसित करने के लिए रक्षादल को ‘आयटी’ क्षेत्र की मदद लेनी चाहिए, ऐसी अपेक्षा रक्षामंत्री पर्रीकर ने जतायी।

सिरिया और इराक में तबाही मचानेवाली ‘आयएस’ जैसी खतरनाक आतंकवादी संगठन युवाओं को अपने संगठन में शामिल करने के लिए और प्रचार करने के लिए इंटरनेट का प्रभावी इस्तेमाल कर रही है। इस पृष्ठभूमि पर भारत को वैश्‍विक मामले में प्रभावी भूमिका निभानी होगी, ऐसे रक्षामंत्री ने कहा।

दरमियान, भारतीय रक्षादल रक्षासामग्री के खरिदारी के लिए विशेष तौर पर प्रक्रिया हाथ में लेने जा रहा है। जल्द ही यह प्रकिया पूरी होगी, ऐसा दावा रक्षामंत्री पर्रीकर ने किया। स्वदेशी रक्षासामग्री के निर्मिती को सरकार प्राथमिकता दे रही है। पर यह एक रात में होनेवाला नही, इसकेलिए थोडा समय लगेगा। साथ ही केंद्र सरकार ‘मेक इन इंडिया’ पर फोकस कर रही है। स्वदेश में निर्मित उत्पादनों पर निर्भर रहने पर हम पूरी तरह प्रयास करेंगे। इससे युद्ध की आपत्तिजनक स्थिति में हम अपने ही संसाधनों पर निर्भर रह सकते हैं, ऐसे कहकर रक्षामंत्री पर्रीकर ने ‘मेक इन इंडिया’ का महत्त्व भी अधोरेखित किया।

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