रणनीतिक नज़रिए से ‘अटल टनेल’ बड़ा अहम साबित होगा – प्रकल्प संचालक कर्नल परीक्षित मेहरा

Atal-Tunnelमनाली – ‘अटल टनेल’ रणनीतिक नज़रिए से बड़ा अहम साबित होगा। ‘लाईन ऑफ एक्च्युअल कंट्रोल’ (एलएसी) तक ‘टी-९० टैंक’ और लष्करी गाड़िया कम समय में इस टनेल से पहुँचाने के लिए बड़ी आसानी होगी, ऐसी जानकारी इस प्रकल्प के संचालक कर्नल परीक्षित मेहरा ने साझा की। अगले महीने में प्रधामंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों इस प्रकल्प का उद्घाटन होगा और इस समारोह की तैयारी बडे उत्साह के साथ जारी है। गुरूवार के दिन रक्षा सचिव अजय कुमार ने इस टनेल को भेंट दी थी।

कुल ९.२ किलोमीटर लंबाई के इस टनेल की वजह से मनाली-लेह की दूरी और सफर का समय कम होगा। साथ ही इस टनेल के कारण साल के बारह महीनें बिल्कुल प्रतिकूल स्थिति में भी सेना के टैंक और गाड़ियां लेह तक जा सकेंगी। कडाके की ठंड़ और हिमपात के दौरान रोहतांग पास का रास्ता छह महीनों के लिए बंद रहता है। इस रास्ते के लिए विकल्प के तौर पर ‘बॉर्डर रोड़ ऑर्गनायज़ेशन’ ने ‘अटल टनेल’ का निर्माण किया। भूकंप, भूस्खलन की आपत्ति में भी सुरक्षित रह सके ऐसी रचना से इस टनेल का निर्माण किया गया है। प्रारंभिक दो वर्षों तक सिर्फ़ ‘बीआरओ’ ही इस टनेल की यातायात नियंत्रित करेगी, इसके बाद यह ज़िम्मेदारी स्थानीय प्रशासन के हाथ सौंपी जाएगी, यह जानकारी भी कर्नल मेहरा ने साझा की।

Atal-Tunnelइसी बीच, रक्षा सचिव डॉ.अजय कुमार ने गुरूवार के दिन अटल टनेल को भेंट दी। उनके साथ लेफ्टनंट जनरल हरपाल सिंह और बीआरओ के सहसचिव उपस्थित थे। अजय कुमार ने इस टनेल का परीक्षण किया। साथ ही उन्होंने स्थानीय यंत्रणाओं से बातचीत करके उद्घाटन समारोह की तैयारी का भी जायज़ा लिया। ‘अटल टनेल’ से कूछ दूरी पर स्थित ‘शिंकूला’ में अन्य १३.५ किलोमीटर लंबाई के टनेल का निर्माण किया जाएगा। इस निर्माण कार्य की तैयारी शुरू हुई है। इस प्रकल्प की व्यवहार्यता की जाँच करने का काम शुरू किया गया है। इस प्रकल्प के संचालक हरपाल सिंह ने हाल ही में इस प्रकल्प के स्थान को भेंट देने का समाचार है।

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