‘फ्रान्स की राष्ट्राध्यक्ष हो जाने पर ‘फ्रेक्झिट’ संभव’ : फ्रेंच नेता मरिन ली पेन

पॅरिस, दि. ४ (वृत्तसंस्था) – ‘यदि मै राष्ट्राध्यक्षपद के लिए चुनी गयी, तो फ्रेंच जनता के लिए युरोपीय महासंघ से स्वतंत्रता पाने के लिए ‘फ्रेक्झिट’ का विकल्प उपलब्ध होगा’ ऐसा आश्वासन फ्रेंच नेता ‘मरिन ली पेन’ ने दिया है| फ्रान्स में अगले साल अप्रैल और मई महीने में राष्ट्राध्यक्षपद के लिए चुनाव होनेवाले हैं| इस चुनाव की पृष्ठभूमि पर, खुले रूप से ‘फ्रेक्झिट’ का आश्‍वासन देनेवालीं ‘ली पेन’ पहली फ्रेंच नेता हैं|
फ्रान्स में आक्रामक विचारधारा की पार्टी मानी जानेवाली ‘फ्रंट नैशनल’ पार्टी की नेता मरिन ली पेन द्वारा इससे पहले ही, राष्ट्राध्यक्षपद की लड़ाई में भाग लेने के इरादें जताये गये हैं| युरोपीय महासंघ का नियंत्रण, निर्वासित और देश में हो रहें आतंकवादी हमले जैसे मसलों पर ली पेन द्वारा हमेशा कठोर भूमिका अपनायी गयी है| उनकी इस भूमिका को फ्रेंच जनता द्वारा बढ़ता समर्थन मिलता नज़र आ रहा है| फ्रान्स में हुए कुछ स्थानीय चुनावों में, ली पेन की पार्टी को मिलनेवाले मतों का हिस्सा बढ़ने की बात सामने आयी है|

 ‘फ्रेक्झिट’इस पृष्ठभूमि पर, मरिन ली पेन द्वारा ‘फ्रेक्झिट’ का मसला उपस्थित किया जाना महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है| ब्रिटन द्वारा युरोप से बाहर होने का फ़ैसला किया जाने के बाद, ली पेन ने ब्रिटीश जनता की प्रशंसा की थी| उस वक्त उन्होंने कहा था कि अब आगे फ्रान्स और युरोप के अन्य देशों में भी जनमत्संग्रह लेने की आवश्यकता है| इस मुद्दे पर अटल रहते हुए, पेन द्वारा फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्षपद के चुनाव में ‘फ्रेक्झिट’ का मसला सामने लाया गया है|

‘युरोपीय महासंघ से फ्रान्स बाहर निकलने के मसले पर जनमतसंग्रह लेना ज़रूरी है और मैं यह ज़रूर लेना चाहूँगी| चीज़ों को बदलना आसान है| ब्रिटीश जनता की ओर देखने से यह पता चलता है कि खुद का भविष्य खुद ही सुनिश्‍चित किया जा सकता है| उन्होंने स्वतंत्र होने का रास्ता चुना है| फ्रान्स की जनता भी फिर एक बार मुक्त होकर, आत्मसम्मान से और स्वतंत्रता में जी सकती है’, ऐसे शब्दों में ली पेन ने, वे फ्रेंच जनता को ‘फ्रेक्झिट’ का विकल्प देने के लिए तैयार होने का यक़ीन दिलाया|

ब्रिटन द्वारा युरोपीय महासंघ से बाहर निकलने का फैसला किया जाने के बाद भी, अभी तक निर्णायक प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है| दोनो पक्षों में अभी भी कई मुद्दों पर मतभेद होने की बात सामने आयी है| वहीं, दूसरी ओर युरोपीय महासंघ के सदस्य देशों में, युरोपीय महासंघ से ‘एक्झिट’ लेने का मसला ज़ोर पकड़ता दिखायी दे रहा है| उसमें फ्रान्स के साथ ही, इटली, नेदरलँड, ऑस्ट्रिया जैसे देश शामिल हैं| हंगेरी जैसा देश निर्वासितों के मसले पर जनमतसंग्रह ले रहा है| यह बात महासंघ के सामने खड़ी हुई गंभीर चुनौती मानी जाती है|

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