कट्टरपंथियों के विरोध में सख्त विधेयक को फ्रान्स की संसद की मंजूरी

पॅरिस – फ्रान्स की संसद में इस्लामी कट्टरपंथीय और विघटन वाद के विरोध में आक्रामक रुख अपनाने वाले विधेयक को मंजूरी दी है। इस विधेयक के कारण फ्रेंच यंत्रणाओं को, देश में विद्वेष और हिंसा को उकसाने वाली संस्थाओं तथा प्रार्थनास्थलों पर कार्रवाई करने के लिए अतिरिक्त अधिकार मिलने वाले हैं। पिछले साल अक्तूबर महीने में फ्रान्स में हुए एक आतंकवादी हमले में एक अध्यापक की जान गई थी। उसके बाद राष्ट्राध्यक्ष इमॅन्युअल मॅक्रॉन ने, कट्टरतावाद के विरोध में लड़ाई तीव्र करने का यकीन दिलाकर, उसके लिए सख्त कानून बनाने के संकेत दिए थे।

पिछले पाँच सालों में फ्रान्स में ‘अल कायदा’ और ‘आयएस’ इन इस्लामी आतंकवादी संगठनों ने कई आतंकवादी हमले किए होकर, उनमें लगभग २५० से भी अधिक लोगों की मृत्यु हुई है। सन २०१५ में हुए हमलों के बाद फ्रान्स सरकार ने देश में इमरजेंसी घोषित करके, राजधानी पॅरिस समेत कई इलाकों में लष्कर तैनात किया था। लेकिन लष्करी तैनाती के बाद भी फ्रान्स में आतंकवादी हमलों का सिलसिला कम नहीं हुआ है। फ्रान्स में होने वाले हमलों में शरणार्थियों का समावेश होने की बात सामने आई है और शरणार्थियों की आड़ में में आतंकी दाखिल हुए हैं, यह बात भी गुप्तचर यंत्रणाओं की रिपोर्ट से सामने आई है।

इस पृष्ठभूमि पर, फ्रान्स में पिछले दो सालों से कट्टरपंथियों का बढ़ता प्रभाव और फ्रेंच मूल्य तथा समाज को उनसे होनेवाला खतरा, इसपर जोरदार चर्चा शुरू हुई है। शुरुआती दौर में इसपर नर्म रवैया अपनानेवाले राष्ट्राध्यक्ष मॅक्रॉन ने अपना सूर आक्रमक किया होकर, कट्टरतावाद और विघटनवाद को फ्रान्स में कभी भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, ऐसा बार-बार जताया है। पिछले साल फ्रेंच अध्यापक की हत्या के बाद भी अपनी सरकार फ्रेंच मूल्यों के साथ कभी भी समझौता नहीं करेगी, ऐसा कहा था। उसी समय, हत्या हुए अध्यापक का ‘नायक’ ऐसा उल्लेख करके, वह फ्रेंच संघराज्य की धर्मनिरपेक्ष तथा मुक्त विचारधारा के मूल्यों का प्रतिनिधित्व कर रहा था, ऐसी प्रशंसा की थी।

मंगलवार को फ्रान्स की संसद में मान्यता प्राप्त हुआ विधेयक राष्ट्राध्यक्ष मॅक्रॉन ने रखी इसी भूमिका का अगला चरण साबित हुआ है। यह विधेयक ३४७ बनाम १५१ मतों से मंजूर किया गया। नए विधेयक में इस्लामी कट्टरतावाद का स्पष्ट उल्लेख करके उसके विरोध में चल रहा संघर्ष अधिक तीव्र किया जाएगा, ऐसा यकीन दिलाया गया है। इस विधेयक के द्वारा फ्रान्स सरकार और यंत्रणाओं को अतिरिक्त अधिकार दिए गए हैं। उसके अनुसार, यदि धार्मिक संगठन और प्रार्थना स्थल, विद्वेष तथा हिंसाचार की संकल्पनाओं को प्रोत्साहन देते हुए पाए गए, तो उन पर पाबंदी लगाई जा सकती है।

फ्रान्स में मौजूद सभी संगठनों को लिखित रूप में यह गारंटी देनी पड़ेगी कि वे फ्रेंच संघराज्य के मूल्यों के लिए उत्तरदाई हैं। ऐसी गारंटी देने वाले संगठनों को ही फ्रान्स सरकार से वित्त सहायता तथा अन्य मदद प्राप्त करने का अधिकार होगा। तुर्की और कतार जैसे देशों से धार्मिक गुटों को मिलने वाली वित्तसहायता पर भी प्रतिबंध लगाए गए हैं। १० हजार युरो से अधिक डोनेशन प्राप्त होने पर उसकी जानकारी सार्वजनिक करना जरूरी होगा। तीन साल से अधिक उम्र के बच्चों को पब्लिक स्कूलों में से निकालकर धार्मिक संस्था में दाखिल कराने की घटनाओं को रोकने के लिए स्वतंत्र एवं सख्त निकष लागू किए जाने वाले हैं।

इस विधेयक के विरोध में फ्रान्स स्थित इस्लामी गुटों ने नाराजगी जाहिर की होकर, प्रदर्शन शुरू किए हैं।

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