भारत और ब्रिटेन में नये सहयोग की नींव रखी गई है – विदेश मंत्री एस. जयशंकर

लंडन – विदेश मंत्री एस. जयशंकर का ब्रिटेन दौरा संपन्न हुआ है। दोनों देशों के बीच समन्वय और सहयोग का नया पर्व शुरू हुआ होकर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉन्सन के बीच हुई द्विपक्षीय चर्चा में इसकी नींव रखी गई, ऐसा विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा है। ब्रिटेन में जून महीने में होनेवाली जी७ परिषद के लिए भारत के प्रधानमंत्री को निमंत्रण दिया गया होकर, इसके जरिए ब्रिटेन ने संदेश दिया है कि ब्रिटेन की विदेश नीति में इसके आगे भारत को बहुत ही अहम स्थान होगा। एक ही समय पर अनेक मोरचों पर भारत से सहयोग स्थापित करने के लिए ब्रिटेन उत्सुक है और आनेवाले समय में दोनों देशों के बीच सन २०३० तक के सहयोग की योजना बनाई जा रही है। इससे भारत का अन्तर्राष्ट्रीय महत्व नए से अधोरेखांकित हो रहा है।

india-britain-cooperationकोरोना की महामारी के कारण भारत की अर्थव्यवस्था के सामने गंभीर संकट खड़ा हुआ है, ऐसा दावा चीन के सरकारी माध्यम कर रहे हैं। पश्चिमी देशों में सक्रिय होनेवाला माध्यमों का एक गुट भारत के भविष्य पर सवाल उपस्थित करने लगा है। कोरोना के कारण भारत की अन्तर्राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा खत्म हुई है, ऐसा होहल्ला इन माध्यमों ने शुरू किया होकर, भारतविरोधी अपप्रचार की जोरदार मुहिम छिड़ी जा रही है। इस पृष्ठभूमि पर, विदेश मंत्री जयशंकर ने दुनियाभर के देशों में नियुक्त भारतीय राजदूतों को इस अपप्रचार का जवाब देने की सूचना की थी। लेकिन विदेश मंत्री जयशंकर का ब्रिटेन दौरा, यह इस भारतविरोधी अपप्रचार को मिला सबसे प्रभावी जवाब साबित होता है।

जी७ परिषद में भारत के विदेश मंत्री की ब्रिटेन, अमरीका, फ्रान्स, ऑस्ट्रेलिया इन देशों के विदेश मंत्रियों से द्विपक्षीय और त्रिपक्षीय चर्चा संपन्न हुई। इस चर्चा में कोरोना का मुद्दा अग्रस्थान पर था। उसी समय, इनमें से हर एक देश ने भारत के साथ व्यापार और निवेश बढ़ाने के लिए विशेष उत्सुकता दिखाने की बात सामने आ रही है। ब्रिटेन ने तो भारत के साथ सहयोग का लक्ष्य सामने रखकर, सन २०३० तक की योजना तैयार करने के लिए कदम उठाए हैं। इसमें निवेश, व्यापार, शिक्षा, विज्ञान, तंत्रज्ञान आदि क्षेत्रों का समावेश है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉन्सन के बीच वर्चुअल परिषद संपन्न हुई। परिषद में दोनों देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने पर एकमत हुआ होकर, जल्द ही इसके परिणाम दिखाई देने लगेंगे, ऐसा विश्वास ज़ाहिर किया जाता है।

इसी बीच, भारत के विदेश मंत्री की ब्रिटेन भेंट के दौरान ही, युरोपीय महासंघ ने भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते के लिए बातचीत नये से शुरू करने के संकेत दिए हैं। युरोपीय महासंघ ने चीन के साथ किया जानेवाला निवेशविषयक समझौता स्थगित करने के बाद, कुछ ही घंटों में दिए ये संकेत सूचक साबित होते हैं। अपनी आर्थिक ताकत और मार्केट के बल पर युरोपीय देशों समेत दुनिया पर हुकूमत जताने के सपने देखनेवाले चीन को, महासंघ ने दिया यह बड़ा झटका साबित होता है।

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