पाकिस्तानी सेना पर पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ ने किया जोरदार प्रहार

pak-quetta-sharif-protestक्वेट्टा – पाकिस्तानी सरकार और सेना के विरोध में सभी विपक्षी दलों ने मिलकर क्वेट्टा शहर में आयोजित किए प्रदर्शनों को बड़ा समर्थन प्राप्त हुआ। रविवार के दिन विपक्षी दलों की रैली को संबोधित करते समय पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ ने काफी तीखी आलोचना की। यह शरीफ ने अब तक किया हुआ सबसे अधिक आक्रामक भाषण होने की बात कही जा रही है। वर्ष १९९९ में कारगिल युद्ध शुरू करनेवाले मुशर्रफ ने सैनिकों को अन्न एवं हथियारों की भी आपूर्ति नहीं की थी, यह आरोप शरीफ ने किया। मौजूदा दौर में भी पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल बाजवा अपने ताल पर नाच रहे इम्रान खान को सत्ता पर बिठाकर देश के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं। इस वजह से सैनिक इसके आगे सेना अफ़सरों के आदेशों का पालन ना करें, यह आवाहन करके शरीफ ने पूरे पाकिस्तान में खलबली मचाई है।

पाकिस्तान के विपक्षी दलों के ‘पीडीएम’ गुट ने इम्रान सरकार और सेना के विरोध में क्वेट्टा में किए प्रदर्शन पहले गुजरानवाला और कराची में हुए प्रदर्शनों से अधिक सफल हुए। इस रैली से पहले बलुचिस्तान में तीन ज़गहों पर विस्फोट हुए। तभी रविवार के दिन यह प्रदर्शनों के दौरान मात्र आधे घंटे के अंतराल पर हुए विस्फोट में तीन लोग मारे गए और पांच घायल हुए। इसके बाद भी क्वेट्टा में आयोजित रैली में हज़ारों लोग शामिल हुए और उन्होंने प्रधानमंत्री इम्रान खान एवं सेनाप्रमुख जनरल बाजवा के विरोध में जोरदार नारेबाजी की। इस दौरान लंदन से रैली को संबोधित करते समय नवाज़ शरीफ ने पाकिस्तान के वरिष्ठ सेना अधिकारियों पर जोरदार प्रहार किया।

pak-quetta-protestवर्ष १९९९ में भारत के विरोध में कारगिल युद्ध का निर्णय पाकिस्तान की सेना ने नहीं बल्कि उस समय के सेनाप्रमुख जनरल परवेझ मुशर्रफ और उनके कुछ साथीयों ने किया था। इस युद्ध से पाकिस्तान के हाथ में बदनामी के अलावा कुछ भी हासिल नहीं हुआ। जिन सैनिकों को मुशर्रफ ने कारगिल की पहाड़ियों पर भेजा उन्हें इस मुहिम की बिल्कुल कल्पना नहीं थी। संघर्ष शुरू होने के बाद इन पाकिस्तानी सैनिकों को अन्न की आपूर्ति भी नहीं की गई थी। अन्न नहीं कम से कम गोला-बारूद की तो आपूर्ति करें, यह इन सैनिकों ने की माँग भी पूरी नहीं गई थी। मुशर्रफ की बड़ी गलती की सज़ा पाकिस्तान आज भी भुगत रहा है, यह अफ़सोस शरीफ ने व्यक्त किया।

pak-imran-bajwaकारगिल में प्राप्त हुई यह नाकामी छुपाने के लिए ही मुशर्रफ ने विद्रोह करवाया और सत्ता हासिल की। मुशर्रफ की तानाशाही के काल में ही पाकिस्तान में नरसंहार किया गया, यह कहकर शरीफ ने कराची एवं लाल मस्ज़िद की कार्रवाई का दाखिला दिया। इस लष्करी तानाशाह ने ही बलुचिस्तान में अत्याचार किए, यह आरोप शरीफ ने किया। पाकिस्तानी सेना आज भी बलुचिस्तान में कई लोगों का अपहरण कर रही हैं, यह आरोप करके शरीफ ने इस हरकत के लिए मौजूदा सेनाप्रमुख जनरल बाजवा और ‘आयएसआय’ का प्रमुख फईज़ हमीद को जवाब देना होगा, यह इशारा दिया। जनरल बाजवा ने ही इम्रान खान की निकम्मी सरकार सत्ता में बिठाई है और इसकी सज़ा पाकिस्तान की जनता प्रचंड़ महंगाई और बढ़ रही बेरोजगारी के स्वरूप में भुगत रही है। इसका हिसाब भी जनरल बाजवा को देना ही पडेगा, यह बात शरीफ ने आगे कही। दूसरों के विरोध में आलोचना करके प्रधानमंत्री इम्रान खान नियाज़ी अपना बचाव नहीं कर सकेंगे, यह तमाचा भी शरीफ ने जड़ा।

शरीफ ने पाकिस्तानी सेना को इतनी आक्रामकता से लक्ष्य करने के बाद उनके वापसी के सभी दरवाज़े बंद हुए है, यह दावे पाकिस्तानी माध्यमों के कुछ विश्‍लेषक करने लगे हैं। इसी बीच शरीफ ने सत्तापिपासू लष्करी अधिकारियों के आदेशों का पालन ना करें, यह सैनिकों को दिया संदेश सेना में दरार निर्माण करनेवाला है, यह आलोचना भी विश्‍लेषक कर रहे हैं। इस वजह से पाकिस्तान में अराजकता फैलेगी, यह ड़र भी कुछ पत्रकारों ने व्यक्त किया है। लेकिन, क्वेट्टा में हुई इस रैली ने इम्रान खान की सरकार पर दबाव काफी मात्रा में बढ़ाया है, इस पर पाकिस्तान के सभी विश्‍लेषक एवं पत्रकारों की सहमति हुई दिख रही है।

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