जम्मू-कश्मीर में मुठभेड़ में पाँच जवान शहीद

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जम्मू-कश्मीर के पम्पोरे में हुई मुठभेड़ में लष्कर के दो कॅप्टनों के साथ पाँच जवान शहीद हुए होकर, एक नागरिक की भी मृत्यु हुई है। मुठभेड़ में तीन आतंकवादी मारे गए  है ।
शनिवार दोपहर को आतंकवादियों ने ‘सीआरपीएफ़’ के पथक पर अचानक हमला किया। इस हमले में ‘सीआरपीएफ़’ के दो जवान शहीद हुए और १३ जवान घायल हुए। लेकिन जवानों के द्वारा आतंकवादियों को मुँहतोड जवाब दिया जाने पर, आतंकवादियों ने भागकर “उद्योजिकता विकास संस्थान’ (ईडीआय) की पाँच मंज़िला ईमारत में आश्रय लिया।
उसके बाद लष्कर, सीआरपीएफ़ और जम्मू-कश्मीर पुलीस ने समन्वय के साथ मुहिम हाथ में लेकर इस संपूर्ण इलाक़े को ही घेर लिया। सुरक्षा बलों ने आजूबाजू की ईमारतों में से सभी नागरिकों को सुरक्षित रूप से बाहर निकाला।  ईडीआय की ईमारत में फ़ँसे हुए सौ से भी अधिक कर्मचारियों की भी, मुठभेड़ के दौरान ही सुरक्षित रूप से रिहाई की गयी।
सुरक्षा बलों ने आतंकवादियों को ईडीआय की ईमारत की ऊपरी मंज़िल पर जाने से मजबूर कर दिया। आतंकवादियों के पास भारी मात्रा में शस्त्रराशि रहने के कारण रातभर मुठभेड़ जारी थी। इस मुठभेड़ में अपने पथक का नेतृत्व कर रहे कॅप्टन पवन कुमार को गोली लगी और वे शहीद हो गये। रविवार शाम को इस मुठभेड़ में कॅप्टन तुषार महाजन भी वीरगति को प्राप्त हुए। साथ ही, सीआरपीएफ़ के ज़ख़्मी कॉन्स्टेबल भोला सिंह भी शहीद हो गये हैं। आतंकवादियों की गोलीबारी में एक स्थानीय की भी मौत हुई है।
ईडीआय की ईमारत के उपरी मंज़िल से आतंकवादियों द्वारा सुरक्षाबलों पर होनेवाली गोलीबारी रविवार सुबह के बाद धीरे धीर ठंडी पड़ती गयी। उसके बाद सुरक्षा बलों ने रॉकेट लाँचर की सहायता से पाँचवीं मंज़िल को उडा दिया।
इस हमले के उत्तरदायित्व का स्वीकार अभी तक किसी भी आतंकवादी संगठन ने नहीं किया है। लेकिन आतंकवादियों ने जिस पद्धति से हमला किया उसपर ग़ौर करते हुए, साथ ही, उनके पास रहनेवाली शस्त्रराशि को देखते हुए, इस हमले के पीछे ‘लश्कर-ए-तोयबा’ इस पाक़िस्तानी आतंकवादी संगठन का हाथ होने का शक़ ज़ाहिर किया जा रहा है।
बेटे के बलिदान पर गर्व, कॅप्टन पवन कुमार के पिताजी के उद्गार
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उम्र के २३वें वर्ष, आतंकवादियों के साथ हुई मुठभेड़ में शहीद हो चुके लष्कर के कॅप्टन पवन कुमार हरियाना के जिंद से हैं। हरियाणा में आरक्षण की माँग को लेकर चल रहे हिंसक आंदोलन के कारण शहीद कॅप्टन पवन कुमार का शव हेलिकॉप्टर द्वारा उनके गाँव ले जाना पड़ा।

‘मेरा इकलौता बेटा मैंने देश के लिए दिया। मेरे बेटे के बलिदान पर मुझे गर्व है’ ऐसी प्रतिक्रिया कॅप्टन पवन कुमार के पिताजी राजबीर सिंग ने दी है।

 ‘आर्मी डे’ के दिन ही मेरे बेटे का जन्म हुआ था। उसका जीवन आरंभ से ही भारतीय लष्कर के साथ जुड़ गया था’ ऐसी जानकारी राजबीर सिंग ने दी। जिस स्थान पर आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ हुई, उसी स्थान पर कॅप्टन पवन कुमार ने आतंकवादियों को ढ़ेर कर दिया था।

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