वित्तमंत्री जेटली ‘सार्क’ के लिए पाक़िस्तान नहीं जाएँगे

नवी दिल्ली, दि. १६ (पीटीआय) –  पाक़िस्तान में होनेवाली सार्क देशों के वित्तमंत्रियों की परिषद में भारत के वित्तमंत्री शामिल नहीं होंगे, ऐसे संकेत मिल रहे हैं| केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह को पाक़िस्तान में दिये गये अपमानजनक सुलूक़ के बाद, केंद्र सरकार यह नीति अपनाएगी, ऐसी चर्चा शुरू है| एक तरफ यह चर्चा जारी है; वहीं, दूसरी तरफ़, ‘पाक़िस्तान में जाना नर्क में जाने के बराबर है’, ऐसा कहते हुए रक्षामंत्री मनोहर पर्रीकर ने हडकंप मचा दिया है|

‘सार्क’२५ और २६ अगस्त को पाक़िस्तान की राजधानी इस्लाबाद में, ‘सार्क’ देशों के वित्तमंत्रियों की परिषद का आयोजन किया गया है| इस परिषद में भारत के वित्तमंत्री अरुण जेटली शामिल नहीं होगें, ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं| कुछ ही दिन पहले, ‘सार्क’ परिषद के लिए केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह पाक़िस्तान गये थे, तब उन्हें राजशिष्टाचार नकारा गया था| साथ ही, उनके खिलाफ़ प्रदर्शन करनेवालों को पाक़िस्तानी यंत्रणा ने रोका नहीं| इस घटना पर भारत की संसद में कड़ी प्रतिक्रिया उमटी थी| इस पृष्ठभूमि पर, वित्तमंत्री जेटली को ‘सार्क’ परिषद में न भेजने का निर्णय केंद्र सरकार की ओर से किया जा सकता है| इस संदर्भ में आख़िरी फ़ैसला प्रधानमंत्री की ओर से लिया जायेगा|

सार्क देशों के गृहमंत्रियों की परिषद में बांगलादेश के गृहमंत्री जानबूझकर शामिल नहीं हुए थे| पाक़िस्तान आतंकवाद का समर्थन कर रहा है| इसका निषेध करने के लिए बांगलादेश सरकार ने यह फ़ैसला किया था| कश्मीर मुद्दे को लेकर भारत और पाक़िस्तान के बीच तनाव बढ़ा है। लेकिन ‘सार्क’ परिषद की अहमियत को देखते हुए गृहमंत्री राजनाथ सिंह पाक़िस्तान में गये थे| लेकिन पाक़िस्तान की खराब मेहमाननवाज़ी, शिष्टाचारों का पालन न करना इससे भारत को काफ़ी दुख हुआ था| ‘सख़्त भारतविरोधी’ जाने जानेवाले पाक़िस्तान के विश्‍लेषकों ने भी, राजशिष्टाचार का पालन न करने पर अपनी ही सरकार की आलोचना की थी|

‘सार्क’वित्तमंत्री अरुण जेटली यदि पाक़िस्तान में होनेवाली परिषद में शामिल नहीं होते हैं, तो आनेवाले समय में, पाक़िस्तान में आयोजित सार्क परिषद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल होने के आसार बहुत ही कम हैं| भारत के साथ बांगलादेश एवं अफ़गानिस्तान के राष्ट्रप्रमुखों ने भी यदि ऐसा ही फ़ैसला किया, तो इसका बडा झटका पाक़िस्तान को लग सकता है|

बांगलादेश और अफ़गानिस्तान भी भारत की तरह ही, पाक़िस्तान की आतंकवादी नीति की तीख़ी आलोचना कर रहे हैं| पिछले कुछ दिनों से, हफ़ीज़ सईद और सय्यद सलाहुद्दीन जैसे आतंकवादी पाक़िस्तान में खुलेआम घुम रहे हैं| इस वजह से पाक़िस्तान पर लगाये जानेवाले इल्ज़ाम नये सिरे से साबित हो रहे हैं|

‘भारत को सबक सिखाने के लिए पाक़िस्तान ने ‘जम्मू-कश्मीर’ में सेना भेजनी चाहिए’ ऐसी माँग हफ़ीज़ सईद ने अपनी सेना से की थी| ‘भारत जम्मू-कश्मीर में हिंसाचार कर रहा है और अब भारत को सबक सिखाने का समय आया है| सेनाप्रमुख समय ना गँवाते हुए, ‘जम्मू-कश्मीर’ में सेना भेजकर भारत को सबक सिखाएँ’ ऐसा सईद ने कहा| साथ ही, ‘जम्मू-कश्मीर के सभी गुट भारत के खिलाफ़ एकसाथ आये हैं। पाक़िस्तानी सेना की ओर से उन्हें समर्थन मिलेगा’ ऐसा यक़ीन सईद ने दिलाया|

पाक़िस्तान से ‘जम्मू-कश्मीर’ में घुसपैठ करनेवाले पाच आतंकियों को भारतीय सुरक्षाबलों ने मार गिराया| इसका दाखिला देते हुए रक्षामंत्री मनोहर पर्रीकर ने पाक़िस्तान को खरी खुरी सुनाई| ‘नर्क में जाना और पाक़िस्तान में जाना एक जैसा ही है’, ऐसी तीख़ी टिप्पणी करते हुए रक्षामंत्री पर्रीकर ने पाक़िस्तान पर निशाना साधा| कुछ दिन पहले ही पर्रीकर ने, भारत में आतंकवादियों को भेजनेवाले पाक़िस्तान में बड़ी संख्या में बम विस्फोट हो रहे है, इस तरफ़ ग़ौर फ़रमाया|

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