चीन के ‘ताईशान’ न्यूक्लियर प्लांट से किरणोत्सर्ग होने की आशंका – ‘चेर्नोबिल डिझास्टर’ की तरह स्थिति होने का अमेरिकी माध्यमों का दावा

‘ताईशान’वॉशिंग्टन/बीजिंग –   चीन के ग्वांगडॉंग इस दक्षिणी प्रांत में स्थित न्यूक्लियर प्लांट से उत्सर्ग हो रहा होने की आशंका जताई जा रही है। इस प्रोजेक्ट में साझेदारी होनेवाली फ्रेंच कंपनी ने इस संदर्भ में जानकारी अमरीका को देने की बात सामने आई है। इस संदर्भ में खबर जारी होने के बाद चिनी यंत्रणाओं ने सब कुछ आलबेल होने का निवेदन दिया होकर, फ्रेंच कंपनी ने तीन वाक्यों के निवेदन में ‘परफॉर्मन्स इश्यू’ का ज़िक्र करके घटना पर पर्दा डालने की कोशिश की है। लेकिन अमरिकी माध्यमों ने दावा किया है कि यह घटनाक्रम सन १९८६ में चेर्नोबिल में हुई दुर्घटना की तरह है।

चीन के ग्वांगडॉंग इस प्रांत में ‘ताईशान’ न्यूक्लियर प्लांट होकर, उसमें दो परमाणु रिएक्टर्स कार्यरत हैं। यह प्रकल्प चीन और फ्रान्स ने संयुक्त रूप से बनाया है। फ्रान्स की ‘फ्रॅमऍटम’ इस कंपनी ने प्रोजेक्ट का आरेखन किया होकर, देखभाल की ज़िम्मेदारी भी इसी कंपनी के पास है। इस कंपनी ने पिछले महीने में ‘ताईशान’ न्यूक्लियर प्लांट के संदर्भ में अचानक अमरीका से संपर्क किया, ऐसा ‘सीएनएन’ इस न्यूज़ चैनल ने जारी की खबर में बताया गया। उसके बाद ३ जून को इस कंपनी द्वारा अमरिकी यंत्रणाओं को भेजे गए पत्र में , न्यूक्लियर प्लांट से ‘फ्युजन गॅस’ का रिसाव हो रहा होकर, सुरक्षा का मुद्दा निर्माण हो सकता है, ऐसा बताया गया।

उसके बाद अमरिकी यंत्रणाओं ने न्यूक्लियर प्लांट के बारे में जानकारी इकट्ठा करने की शुरुआत की थी। ८ जून को फ्रेंच कंपनी द्वारा फिर एक बार अमरिकी कंपनी को ‘मेमो’ भेजा गया। उसमें प्लांट से किरणोत्सर्ग होने की आशंका ज़ाहिर करके, सहायता की ज़रूरत पड़ सकती है, ऐसी विनती की गई थी। ‘सीएनएन’ इस अमरिकी न्यूज़ चैनल ने इस संदर्भ में खबर जारी करने के कारण सनसनी मची है। चीन की यंत्रणा ने रविवार को इस संदर्भ में निवेदन जारी करके, सभी नियुक्त प्लांट्स निकषों के अनुसार उचित प्रकार से कार्यरत होने का दावा किया।

लेकिन इन मुद्दों पर अमरीका और फ्रान्स के बीच बैठकें हुईं होने की तथा अमरीका ने चीन से भी संपर्क किया होने की बात बताई जा रही है। चीन ने इस संदर्भ में अधिक जानकारी देने से इन्कार किया होकर, चीन के माध्यमों ने भी इस घटना की दखल नहीं ली है। उसके बाद फ्रेंच कंपनी द्वारा भी निवेदन जारी किया जाने के कारण, इस मामले पर पर्दा गिराने की गतिविधियाँ शुरू हैं, ऐसा माना जाता है। अमरिकी माध्यमों ने इसकी तुलना रशिया की चेर्नोबिल दुर्घटना के साथ की है।

२६ अप्रैल, १९८६ को तत्कालीन सोवियत रशिया का भाग होनेवाले चेर्नोबिल न्यूक्लियर प्लांट के ‘रिऍक्टर ४’ मैं बड़े पैमाने पर परमाणु रिसाव हुआ था। उसके बाद हुए विस्फोट में प्लांट के ५० लोगों की जगह पर ही मृत्यु हुई थी। प्लांट से हुए घातक किरणोत्सर्ग के कारण हज़ारों लोगों की जान गई थी। अपघात के भयावह रिसाव के कारण हज़ारों किलोमीटर्स का परिसर मजबूरन खाली करना पड़ा था। चेर्नोबिल की यह दुर्घटना दुनिया के सबसे बड़े ‘न्यूक्लिअर डिझास्टर’ के रूप में जानी जाती है।

पिछले ही महीने में, लगभग ३५ साल बाद यूक्रेन के विवादास्पद चेर्नोबिल न्यूक्लियर प्लांट में फिर एक बार ‘न्यूक्लिअर ब्लास्ट’ हो सकता है, ऐसी गंभीर चेतावनी वैज्ञानिकों ने दी होने की खबर प्रकाशित हुई थी।

Leave a Reply

Your email address will not be published.