प्रधानमंत्री की ‘पीओके’ और बलुचिस्तान विषयक नीति का जानकारों ने किया स्वागत

नई दिल्ली, दि. १३ (पीटीआय) – जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी शक्तियों का साथ लेकर उपद्रव मचानेवाले पाक़िस्तान को झटके लगना शुरू हुआ है| ‘पाक़िस्तान के क़ब्जेवाले कश्मीर’ (पीओके) में निदर्शन करनेवाले पाँचसौ लोगों की गिरफ़्तारी होने के बाद भड़की हुई यहाँ की जनता ने, पाक़िस्तान के खिलाफ़ तीव्र प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं| भारतीय प्रधानमंत्री ने ‘पीओके’ समेत बलुचिस्तान में पाक़िस्तान कर रहे अत्याचारों का मुद्दा उपस्थित करने पर बलुची नेताओं ने शुक्रिया अदा किया है| साथ ही, प्रधानमंत्री मोदी ने बलुचिस्तान का मुद्दा संयुक्त राष्ट्रसंघ में रखना चाहिए, ऐसा आवाहन बलुच नेताओं ने किया है| इसके साथ ही, सामरिक विशेषज्ञों तथा राजनीतिकों ने, प्रधानमंत्री मोदी द्वारा पाक़िस्तान के बारे में अपनाये गये आक्रामक रवय्यै का स्वागत किया है|

‘पीओके’ पिछले पांच हफ्तों से जम्मू-कश्मीर में हिंसक प्रदर्शन शुरू हैं| अलगाववादी नेता इसके लिए माथा भड़काने का काम कर रहे हैं और इस माहौल को बरक़रार रखने के लिए चल रहे प्रयासों को पाक़िस्तान बढ़ावा दे रहा है, यह बात सामने आयी है| साथ ही, पाक़िस्तान सरकार, कश्मीर मसला आंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तुत करने की जानतोड़ कोशिशें कर रही है| पाक़िस्तान जम्मू-कश्मीर में जो आतंकवाद मचा रहा है और कश्मीर को लेकर आंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जो अपप्रचार कर रहा है, उसके बारे में भारत की ओर से पहली ही बार सख्त प्रतिक्रिया आयी है| जम्मू-कश्मीर के तथाकथित अत्याचारों का मुद्दा हमेशा उपस्थित करनेवाले पाक़िस्तान ने, पहले ‘पीओके’ में गिलगिट-बाल्टिस्तान तथा बलुचिस्तान में किये जा रहे अत्याचारों के सवालों का उत्तर देना चाहिए, ऐसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था| शुक्रवार को संपन्न हुई सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री ने यह भूमिका प्रस्तुत की थी|

इसका सभी स्तरों पर से स्वागत किया जा रहा है| सामरिक विशेषज्ञ तथा राजनीतिकों ने भी प्रधानमंत्री के इस रवैय्ये का स्वागत किया है| इससे पाक़िस्तान को पहली बार ‘पीओके’ और ‘बलुचिस्तान’ के मामलों में बचावात्मक भूमिका अपनानी पड़ेगी, ऐसा यहाँ के सामरिक विशेषज्ञ और राजनीतिकों का कहना है| अब तक, ‘पीओके’ पर अवैध रूप में कब्ज़ा करनेवाले पाक़िस्तान से जवाब ना माँगने का फ़ैसला कर भारत सरकार ने बचावात्मक भूमिका अपनायी थी| लेकिन अब सरकार द्वारा अपनाये गये आक्रामक रवैय्ये से पाक़िस्तान आंतर्रराष्ट्रीय स्तर पर अकेला पड़नेवाला है| फ़िलहाल ‘पीओके’ में पाक़िस्तान के खिलाफ़ माहौल बना हुआ है| यहाँ के गिलगिट-बाल्टिस्तान में से पाक़िस्तान की सेना को हटा देने की नारेबाज़ी हो रही है|

इस प्रदर्शन को कुचलने के लिए पाक़िस्तान के सुरक्षाकर्मियों ने ५०० लोगों को हिरासत में ले लिया था| लेकिन इसके बाद प्रदर्शन और भी भड़कते हुए, लोग अब पाक़िस्तान के झंड़ें जला रहे हैं| बाबाजान इस नेता की गिरफ़्तारी होने के बाद स्थानीय लोग भड़कने की बात सामने आयी हैं| भारतीय प्रधानमंत्री ने ‘पीओके’ का मसला उपस्थित करने के बाद, आनेवाले समय में यहाँ पर आंदोलन कुचलना पाक़िस्तान के लिए बेहद कठिन होनेवाला है|

बलुचिस्तानी नेता हमल हैदर बलुच तथा नैला बलुच इन्होंने, भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा बलुचिस्तान के बारे में किये गए वक्तव्य का स्वागत किया है| सितंबर महीने में होनेवाले संयुक्त राष्ट्रसंघ की बैठक में, भारतीय प्रधानमंत्री बलुचिस्तान का मुद्दा उपस्थित करें, यह माँग इन नेताओं ने की हैं|

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