अफ़गानिस्तान ने बीते बीस वर्षों में प्राप्त किया सबकुछ नष्ट हुआ – भारत पहुँचे अफ़गान सांसदों का आक्रोश

नई दिल्ली – अफ़गानिस्तान में फंसे हुए तकरीबन ४०० लोगों को रविवार के दिन भारत में लाया गया। इनमें दो अफ़गान सांसदों का भी समावेश है। ‘बीते बीस वर्षों में अफ़गानिस्तान ने जो कुछ पाया था, वह सबकुछ नष्ट हुआ हैं’, ऐसा बेबस बयान भारत पहुँचे अफ़गान सांसद नरेंदर सिंह खालसा ने किया है। अफ़गानिस्तान की भयंकर स्थिति को ध्यान में रखते हुए इस देश में अभी भी फंसे हुए हिंदु और सिख नागरिकों को बाहर निकालकर उन्हें भारत आश्रय दे, ऐसी अपील खालसा ने तहे दिल से की है।

भारतीय वायुसेना का ‘सी-१७’ विमान अफ़गानिस्तान से १६८ लोगों को लेकर दिल्ली के करीब हिंड़न हवाई अड्डे पर उतरा। इस विमान से १०७ भारतीय और २३ सिख एवं हिंदू अफ़गानी भारत पहुँचे। इसके अलावा दूसरे विमान से काबुल से कतार पहुँचे भारतीय और अफ़गान नागरिकों को भी भारत लाया गया है। इनमें १३५ भारतीय नागरिकों का समावेश है। साथ ही अफ़गान सांसद नरेंदर सिंह खालसा और अनारकली होनारयार और उनके परिजनों का भी भारत पहुँचे लोगों में समावेश है। नरेंदर सिंह खालसा ने अपना अफ़गानिस्तान में प्राप्त किया दर्दनाक अनुभव माध्यमों के सामने बयान किया।

तालिबान ने अफ़गानिस्तान पर कब्ज़ा करने के बाद भयंकर स्थिति निर्माण हुई है। इस देश में अल्पसंख्यांक हिंदू और सिख धर्मियों ने गुरद्वारे में आश्रय लिया है। तालिबान के कुछ लोग वहां पर पहुँचकर हम आपकी रक्षा करेंगे, यह भरोसा दे रहे है। लेकिन, तालिबान में काफी अलग अलग गुट शामिल हैं। इनमें से किससे बातचीत करें, यही समझ में नहीं आता, ऐसा खालसा ने कहा। काबुल हवाई अड्डे की ओर निकलने के बाद रास्तों में हमें तालिबानी आतंकियों ने रोका और वापिस जाने की सूचना की। हमारे साथ मौजूद भारतीय नागरिकों को उन्होंने दहशत में रखा था, यह भी खालसा ने आगे कहा।

अन्त में विशेष व्यवस्था होने की वजह से हम हवाई अड्डे तक पहुँच सके। लेकिन, तालिबान की हुकूमत की वजह से खतरा महसूस कर रहे कई हिंदु और सिख नागरिक अफ़गानिस्तान में हैं। भारत सरकार उनकी रिहाई के लिए कोशिश करे, यह निवेदन खालसा ने तहे दिल से किया है। ‘भारत ही हमारा दूसरा घर है। अफ़गानिस्तान में हमारा ज़िक्र हिंदुस्थानी ही किया जा रहा था’, ऐसा कहकर अपनी रिहाई करनेवाली भारत सरकार के प्रति खालसा ने तहे दिल से शुक्रिया कहा।

सबकुछ पीछे छोड़कर अफ़गानिस्तान छोड़ते समय काफी बुरा लगा। इसके लिए आक्रोश करने की इच्छा है। लेकिन, अफ़गानिस्तान छोड़ने के अलावा हमारे सामने अन्य विकल्प ही नहीं था, इन शब्दों में खालसा ने अपनी भावना जताई।

इसी बीच, अफ़गानिस्तान से भारतीय नागरिकों को बाहर निकालने के लिए सरकार ने बड़ी तेज़ी से कोशिशें शुरू की हैं। लेकिन, काबुल हवाई अड्डे की स्थिति बड़ी खराब होने से यह काम अधिक कठिन हुआ है। ऐसी स्थिति में भारत को प्रति दिन दो विमान काबुल भेजने की अनुमति प्राप्त हुई है। बीते महीने से काबुल से भारत पहुँचे भारतीय नागरिकों की संख्या ५६० होने की बात कही जा रही है। तभी, भारत में आश्रय लेने के लिए दौड़ लगा रहे अफ़गान नागरिकों की तालिबान ने अब सख्त पूछताछ शुरू करने की जानकारी सामने आ रही है। अफ़गान नागरिकों को यह देश छोड़ने की आवश्‍यकता नहीं है, ऐसा बयान तालिबान के प्रवक्ता कर रहे हैं। लेकिन, असल में तालिबान का निर्दयी और क्रूर चेहरा विश्‍व के सामने आ रहा है और ऐसे में अगले दिनों में तालिबान के अल्पसंख्यांकों पर अत्याचार शुरू होने की संभावना बढ़ी है। आम अफ़गान जनता को भी यही ड़र सता रहा है। ऐसी स्थिति में अफ़गानिस्तान के धार्मिक अल्पसंख्यांक काफी ड़रे हुए हैं और भारत से सहायता की उम्मीद लगाए बैठे हैं।

अफ़गानिस्तान के हिंदु और सिख धर्मियों को भारत में आश्रय देने की तैयारी केंद्र सरकार ने कुछ दिन पहले ही दिखाई थी। पड़ोसी देश की स्थिति को ध्यान में रखते हुए ‘सीएए’ यानी ‘सिटिज़नशिप अमेंडमेंट एक्ट’ की बड़ी आवश्‍यकता फिर से महसूस हो रही है, ऐसा केंद्रीय मंत्री हरदीपसिंह पुरी ने कहा है।

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