क्षेपणास्त्र से भी अधिक मोबाईल की मारक क्षमता बढ़ी है; ऐसे में हम सब युनिफॉर्म न पहना हुआ सैनिक बनें – रक्षामंत्री राजनाथ सिंग का आवाहन

चंदिगड – ‘आज के दौर में क्षेपणास्त्रों की अपेक्षा भी मोबाईल की मारक क्षमता अधिक मात्रा में बढ़ी है। इस कारण शत्रु सीमा पार न करते हुए भी हम तक पहुँच सकता है। ऐसे समय हम सबको युनिफॉर्म न पहने सैनिक की भूमिका अदा करनी ही होगी’, इन शब्दों में रक्षामंत्री राजनाथ सिंग ने, देश के सामने खड़ी चुनौतियों का एहसास करा दिया।

चंदिगड में आयोजित किये गए ‘मिलिटरी लिट्रीचर फेस्टीव्हल’ यानी ‘लष्करी सामग्री के महोत्सव’ को संबोधित करते समय रक्षामंत्री ने यह अत्यंत महत्त्वपूर्ण संदेश दिया। इस कार्यक्रम में रक्षामंत्री व्हर्च्युअल माध्यम से उपस्थित थे। मोबाईल तथा सोशल मीडिया के प्रभाव का शत्रु द्वारा किया जानेवाला इस्तेमाल, यह देश के सामने खड़ी बहुत बड़ी चुनौती बनी है, इसका रक्षामंत्री राजनाथ सिंग ने चुनिन्दा शब्दों में देशवासियों को एहसास करा दिया। बदलते ज़माने में देश के सामने के ख़तरे भी बदल रहे हैं। साथ ही, आज के दौर में युद्ध का स्वरूप भी बदला है, ऐसा रक्षामंत्री ने कहा।

‘इससे पहले हमने कल्पना भी नहीं की होगी, ऐसे प्रकार के ख़तरे हमारे सामने खड़े हैं। सायबर, जैविक युद्ध और आयटी मोरचे पर का युद्ध, इन जैसी कई बातों का समना हमें करना पड़ रहा है। आज के दौर में क्षेपणास्त्रों की भी अपेक्षा मोबाईल की मारक क्षमता अधिक है। क्योंकि इस कारण शत्रु सीमा पार न करते हुए हम तक पहुँच सकता है। ऐसे दौर में ग़लत जानकारी से और अपप्रचार से अपने आप को सुरक्षित रखना और अन्य लोगों को भी उससे बचाना आवश्यक बना है। यह केवल लष्कर का काम नहीं है; उसके लिए हर एक को युनिफॉर्म न पहना सैनिक बनना चाहिए’, ऐसा आवाहन रक्षामंत्री ने किया।

हालाँकि सीधा उल्लेख नहीं है, फिर भी चीन और पाकिस्तान इन देशों ने भारत में अराजक फ़ैलाने के लिए शुरू किये प्रचारयुद्ध का संदर्भ रक्षामंत्री के संदेश से मिल रहा है। लद्दाख की एलएसी पर चीन के जवानों को भारतीय सैनिकों ने रोका और उसके बाद के दौर में चीन ने यह अपप्रचार शुरू किया था कि भारत इस मोरचे पर असफल रहा। उसके बाद चीन ने यह वाहियात ख़बर भी फ़ैलायी थी कि चीन ने मायक्रोव्हेव वेपन्स का इस्तेमाल करके भारतीय सैनिकों से पँगॉंग त्सो के दक्षिण की पहाड़ियों का कब्ज़ा छीन लिया।

इसीके साथ चीन ने ये दावें भी ठोक दिये थे कि लद्दाख की एलएसी पर चिनी लष्कर ने बहुत बड़ा आक्रमण करके भारत का कई किलोमीटर का भूभाग अपने कब्ज़े में कर लिया। यह सारा चीन के प्रचारयुद्ध का भाग था। वास्तव में एलएसी पर चीन के लष्कर की स्थिति बहुत ही खराब बनी होकर, भारतीय सेना के शौर्य और सिद्धता से चीन का लष्कर अचंभित हुआ है। लेकिन प्रचारयुद्ध में बढ़त लेकर, चीन भारत को मात दी होने का चित्र खड़ा करने की कोशिश कर रहा है।

चीन के इस भारतविरोधी प्रचारयुद्ध में पाकिस्तान के माध्यम और विश्‍लेषक साथ देते हैं, ऐसा बार बार स्पष्ट हुआ था। इस पृष्ठभूमि पर, मोबाईल तथा सोशल मीडिया का प्रभाव बढ़ा होते समय, हर एक जन लष्करी युनिफॉर्म परिधान न किया हुआ सैनिक बनें, ऐसा आवाहन रक्षामंत्री ने किया है। अब तक का देश के सीमाभाग का इतिहास और अब तक हुए युद्धों में जिन्होंने बलिदान दिया, उनके पराक्रम की गाथाएँ जनता तक पहुँचाना आवश्यक है। इसके लिए मैंने, रक्षामंत्री बनने पर एक समिति की स्थापना की थी, ऐसा रक्षामंत्री ने कहा। इस मोरचे पर ‘मिलिटरी लिट्रीचर फेस्टीव्हल’ बहुत ही अहम भूमिका निभा सकता है, ऐसा विश्‍वास रक्षामंत्री ने ज़ाहिर किया।

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