युरोपिय महासंघ इंडो-पैसिफिक में लोकतंत्रवादी देशों के साथ सहयोग बढ़ाएगा

ब्रुसेल्स – इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के देशों के साथ सहयोग बढ़ाने के लिए फ्रान्स, डेन्मार्क तथा जर्मनी इन देशों ने युरोपीय महासंघ के सामने प्रस्ताव रखा था। यह प्रस्ताव महासंघ ने मंजूर किया है। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के वर्चस्ववादी कारनामों में बढ़ोतरी हुई है, ऐसे में महासंघ ने स्वीकृत किया यह प्रस्ताव गौरतलब साबित होता है। लेकिन यह प्रस्ताव चीनविरोधी नहीं है, ऐसा बताकर युरोपीय महासंघ ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया है। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के लोकतंत्रवादी और समविचारी देशों के साथ सहयोग बढ़ाने के लिए महासंघ कोशिश करेगा, यह स्पष्ट किया गया है।

लोकतंत्रवादी

पिछले कुछ महीनों से इंडो-पैसिफिक क्षेत्र का महत्व भारी मात्रा में बढ़ा दिख रहा है। इस क्षेत्र से सात हज़ार किलोमीटर की दूरी पर होनेवाले कनाडा ने भी अपना युद्धपोत ‘एचएमसीएस कॅलगरी’ इंडो-पैसिफिक में भेजा था। अन्तर्राष्ट्रीय परिवहन की आज़ादी का पुरस्कार और अन्तर्राष्ट्रीय कानूनों का पालन इसके लिए अपना यह युद्धपोत इस क्षेत्र में भेजा होने की जानकारी कनाडा ने दी थी। फिलहाल कनाडा और चीन के संबंधों में तनाव आया है। ऐसी परिस्थिति में कनाडा की यह तैनाती, यानी चीन को रोकने के लिए जारी प्रयासों का भाग है यह सामने आ रहा है। उसके बाद युरोपीय महासंघ ने भी इंडो-पैसिफिक में अपना प्रभाव बढ़ाने की दिशा में कदम उठाए हैं।

फ्रान्स, डेन्मार्क तथा जर्मनी इन देशों ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में युरोपीय महासंघ का प्रभाव बढ़ाने के संदर्भ में प्रस्ताव दिया था। यह प्रस्ताव महासंघ ने मंजूर किया है। इसके लिए इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ सहयोग बढ़ाया जाएगा, उसके लिए महासंघ द्वारा विशेष प्रयास किए जाएँगे। मुख्य बात यानी इस सागरी क्षेत्र में परिवहन की स्वतंत्रता का पुरस्कार और अन्तर्राष्ट्रीय कानूनों का पालन, इन दो बातों का उल्लेख चीन को चुभनेवाला है। इंडो-पैसिफिक का भाग होनेवाले साउथ चाइना सी क्षेत्र पर चीन ने अपना अधिकार बताया है। इस क्षेत्र में चीन ने नौं डैशलाइन्स एकतरफ़ा निश्चित कीं होकर, यहाँ आनेवाले विदेशी जहाजों पर गोलीबारी करने का अधिकार अपने तटरक्षक बल को दिया है।

इसी के साथ, ताइवान की खाड़ी में चीन के कारनामें खतरनाक स्तर से भी ऊपर पहुँच चुके हैं। फिलीपीन्स जैसे छोटे देश की सागरी सीमा में अपने सैकड़ों जहाज़ तैनात करके चीन इस क्षेत्र पर अपना अधिकार स्थापित करना चाहता है। उसी समय हिंद महासागर में चीन की नौसेना की गतिविधियों में काफी बढ़ोतरी हुई स्पष्ट हो रही है। जापान और ऑस्ट्रेलिया इन देशों ने, चीन की इन गतिविधियों के खिलाफ आक्रामक भूमिका अपनाकर भारत तथा फ्रान्स के साथ अपना सहयोग अधिक ही दृढ़ बनाने के लिए कदम उठाए हैं।

वहीं, फ्रान्स ने भारत के साथ द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाकर, अपनी नौसेना की इंडो-पैसिफिक में आवाजाही बढ़ाई है। इससे पहले इंडो-पैसिफिक की स्थिरता और सुरक्षा के लिए भारत, अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया इन देशों ने ‘क्वाड’ सक्रिय करके चीन को कड़ी चेतावनी दी है। अब इस ‘क्वाड’ का रूपांतरण ‘क्वाड प्लस’ में किया जाएगा, ऐसा सामरिक विश्लेषकों का कहना है। क्वाड में दक्षिण कोरिया, फ्रान्स, ब्रिटेन और कनाडा भी सहभागी हो सकते हैं, ऐसे दावे किए जाते हैं। अब युरोपीय महासंघ ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के लोकतंत्रवादी और समविचारी देशों के साथ सहयोग बढ़ाने का फैसला करके, चीन के विरोध में सामरिक निर्णय किया सामने आ रहा है। नजदीकी समय में इसके बहुत बड़े परिणाम सामने आ सकते हैं।

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