यूरोपिय महासंघ ने किया चीन और रशिया के विरोध में सायबर प्रतिबंध लगाने का ऐलान

चीन और रशियाब्रुसेल्स – यूरोपिय महासंघ ने चीन और रशिया के विरोध में सायबर प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया है। चार वर्ष पहले यूरोपिय देशों के साथ विश्‍वभर में हुए ‘वॉन्नाक्राय’, ‘नॉटपेट्या’ और ‘ऑपरेशन क्लाउडहॉपर’ जैसे सायबर हमलों के मसलों पर यह प्रतिबंध लगाने का ऐलान महासंघ ने किया है। यूरोपिय महासंघ ने सायबर हमलों के मुद्दे पर अन्य देशों पर प्रतिबंध लगाने का यह पहला अवसर है। अमरीका ने इन प्रतिबंधों का स्वागत किया है और सायबर हमलों के विरोध में मुहीम यह एक अहम चरण होने की प्रतिक्रिया दर्ज़ की है।

यूरोपियन कौन्सिल ने गुरूवार के दिन अपने पहले सायबर प्रतिबंधों का ऐलान किया। इसमें वर्ष 2016 और 2017 में हुए ‘वॉन्नाक्राय’, ‘नॉटपेट्या’ और ‘ऑपरेशन क्लाउडहॉपर’ समेत ‘ओपीसीडब्ल्यू’ इस अंतरराष्ट्रीय गुट पर हुए सायबर हमलों के लिए ज़िम्मेदार होनेवालों पर प्रतिबंध लगाए गए हैं। इन हमलों के मामले में छह लोग और तीन गुटों पर कार्रवाई होगी, यह ऐलान महासंघ ने किया। इन छह लोगों में दो चीनी और चार रशियन हैकर्स हैं। ऑपरेशन काउडहॉपर के हमले के मामले में गाओ किआंग और झँग शिलाँग इन चीनी नागरिकों के साथ हैताई टेक्नॉलॉजी डेव्हलपमेंट कंपनी लिमिटेड पर प्रतिबंध लगाने की जानकारी प्रदान की गई।

चीन और रशिया

‘नॉटपेट्या’ के हमले के लिए रशिया की ‘जीआरयू’ यह लष्करी खुफिया एजंसी ज़िम्मेदार होने का आरोप लगाकर इस एजंसी पर प्रतिबंध लगाने की बात महासंघ ने स्पष्ट की। वर्ष 2018 में ‘ऑर्गनायझेशन फॉर द प्रोहिबेशन ऑफ केमिकल वेपन’ (ओपीसीडब्ल्यू) पर हुए सायबर हमले के मामले में रशियन गुप्तचर संगठन के चार सदस्यों पर प्रतिबंध लगाए गए हैं। चीन और रशिया के अलावा उत्तर कोरिया के एक गुट को भी इन प्रतिबंधों से लक्ष्य किया गया है। चॉसून एक्स्पो, नाम का यह गुट ‘वॉन्नाक्राय’ सायबर हमले में शामिल था, यह आरोप यूरोपिय महासंघ ने लगाया है। महासंघ ने मई 2019 में मंजूर किए कानूनी दायरे के तहत यह पूरी कार्रवाई होने की जानकारी सूत्रों ने प्रदान की।

यूरोपियन महासंघ ने की हुई इस कार्रवाई का अमरीका ने स्वागत किया है। अमरिकी विदेशमंत्री माईक पोम्पिओ ने इससे संबंधित निवेदन भी जारी किया है। सायबर क्षेत्र खुला, विश्‍वासार्ह और सुरक्षित रहे और विश्‍व के सभी देश इसके लिए आवश्‍यक ज़िम्मेदारी की पहचान करके बर्ताव करें, यह अमरीका और यूरोपियन महासंघ की समान भूमिका है। सायबर क्षेत्र में जारी विध्वंसक और घातक गतिविधियां इस भूमिका को छेद देनेवाली साबित होती है। इन गतिविधियों के लिए ज़िम्मेदार होने पर कार्रवाई हो, यह अमरीका का नज़रिया है और यूरोपिय महासंघ ने किया निर्णय अहम चरण साबित होता है। इसके आगे भी अमरीका इसी मुद्दे पर यूरोपिय महासंघ और सदस्य देशों को सहायता प्रदान करेगा, इन शब्दों में अमरिकी विदेशमंत्री ने यूरोपियन महासंघ की कार्रवाई का समर्थन किया।

‘वॉन्नाक्राय’, ‘नॉटपेट्या’ और ‘ऑपरेशन क्लाउडहॉपर’ यह इस दशक में हुए सबसे बड़े सायबर हमले माने जाते हैं। इन हमलों की वज़ह से जागतिक अर्थव्यवस्था को 50 अरब डॉलर्स से भी अधिक नुकसान भुगतना पड़ा था, यह अंदाज़ा अलग अलग गुट एवं संस्थाओं ने व्यक्त किया था।

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