यूरोप नए आर्थिक संकट के दहलिज पर पहुंचा है – वित्तीय विशेषज्ञ एवं विश्‍लेषकों का दावा

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तर
ब्रुसेल्स/बर्लिन – यूरोप की अर्थव्यवस्था में शामिल प्रमुख देश जाने जा रहे जर्मनी और ब्रिटेन मंदी की साए में फंसे है| जर्मन अर्थव्यवस्था में वर्ष २०१९ के दुसरे तिमाही में ०.१ प्रतिशत गिरावट देखी गई है और लगातार दो महीने औद्योगिक उत्पादों की मांग में कमी भी दर्ज की गई है| ब्रिटेन के उद्योग क्षेत्र के निवेष में पांच अरब पौंड की गिरावट देखी गई है और रोजगार क्षेत्र भी गिरावट का सामना करता देखा गया है| इस पृष्ठभूमि पर, ‘ब्लैकस्टोन’ इस नामांकित वित्तसंस्था के प्रमुख स्टिफन श्‍वार्झमन ने यह इशारा दिया है की, ‘यूरोपिय देशों को जापान की तरह ‘लॉस्ट डिकेड’ का खतरा बना है|’ 

पिछले कुछ महीनों से यूरोपिय अर्थव्यवस्था के संबंध में अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष, ‘ओईसीडी’ और ‘यूरोपिय सेंट्रल बैंक’ जैसी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं ने लगातार इशारे दिए है| लेकिन, यूरोप के प्रमुख जर्मनी ने इन इशारों की ओर खास ध्यान दिया है, यह दावा अब वित्तीय विशेषज्ञ एवं विश्‍लेषक कर रहे है| अमरिका और चीन में शुरू व्यापारयुद्ध, ‘ब्रेक्जिट’ संबंधी बनी अनिश्‍चितता, खाडी क्षेत्र की समस्या और अमरिका ने व्यापार के मुद्दे पर अनाई आक्रामकता का झटका यूरोप को लग रहा है|

लेकिन, इससे पहले वर्ष २००९ में देखी गई आर्थिक मंदी और उसके बाद यूरोप में उभरे आर्थिक संकट के दौरान आक्रामकता दिखानेवाले जर्मनी एवं अन्य सहयोगी देश वर्तमान में यूरोप में देखी जा रही मंदि की स्थिति पर हल निकालने के लिए विशेष प्रावधान करते नही दिख रहे है| जर्मन अर्थव्यवस्था मंदी की राह पर आगे बढ रही है, यह दावा इस वर्ष के शुरू से किया जा रहा है| लेकिन, इसके बावजूद जर्मनी की चान्सेलर एंजेला मर्केल ने किसी भी प्रकार के जरूरी कदम उठाए नही है, इस बात पर वित्तीय विशेषज्ञ नाराजगी व्यक्त कर रहे है|

जर्मनी, यह देश यूरोपिय अर्थव्यवस्था का ‘इंजिन’ समझा जाता है और ऐसे में जर्मनी की मंदी पूरे यूरोप को मंदि में ढकल सकती है| इस का ज्ञान होते हुए भी यूरोपिय नेतृत्व ने निर्णय करने में समय की बरबादी करना चौका रहा है| कुछ विश्‍लेषकों ने ‘अमरिका-चीन व्यापारयुद्ध’ और ‘ब्रेक्जिट की अनिश्‍चितता’ का एक ही समय पर सामना करने की क्षमता जर्मन नेतृत्व नही रखता है और इसी कारण यह स्थिति बनी है, यह दावा हो रहा है|

दुनिया में नामांकित वित्तसंस्था के तौर पर जाने जा रहे ‘ब्लैकस्टोन’ के प्रमुख ने यूरोपिय नेतृत्व की यह अकार्यक्षमता यूरोपिय अर्थव्यवस्था को ‘लॉस्ट डिकेड’ की दिशा में धकेलनेवाली साबित होगी, यह इशारा दिया है| वर्ष १९९१ से २००० का दशक जापान की अर्थव्यवस्था के लिए ‘लॉस्ट डिकेड’ के तौर पर पहचाना जाता है| इस दौरान जापान का ‘जीडीपी’, ‘प्रति व्यक्ती आय’, ‘महंगाई दर’ जैसे अहम बातों में बडी मात्रा में गिरावट देखी गई थी|

यूरोपिय देशों ने बडी मात्रा में निधी का प्रावधान करके अर्थव्यवस्था में निवेष नही किया और खर्च की मात्रा बढाई नही तो यूरोपिय अर्थव्यवस्था को भी ‘लॉस्ट डिकेड’ का खतरा बनेगा, यह इशारा श्‍वार्झमन ने दिया है| अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष और ‘ओईसीडी’ जैसी संस्था भी इस मुद्दे की ओर ध्यान आकर्षित कर रही है, इसका एहसास उन्होंने कराया है|

इस दौरान, ब्रिटेन समेत यूरोपिय क्षेत्र में प्रमुख बैंक के तौर पर जानेवाली ‘एचएसबीसी’ इस बैंक ने अगले कुछ महीनों में अपने १० हजार कर्मचारियों को काम से हटाने का निर्णय किया है|

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