ईरान परमाणू समझौता बचाने के लिए यूरोप अमेरीका को छोड ‘मुद्रा कोष’ खडी करे – जर्मनी के विदेश मंत्री का आवाहन

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तर

बर्लिन – ‘अमेरीका के कठोर प्रतिबंधों से ईरान से किया हुआ परमाणू समझौता बचाने के लिए यूरोपीय देश अमेरीका को बाहर करते हुए स्वतंत्र भुगतान प्रणाली या आंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष खडी करे’, ऐसा आवाहन जर्मनी के विदेश मंत्री ‘हेका मास’ ने किया| उनकी इस मॉंग से अमेरीका और जर्मनी के मतभेद बेहद बढते हुए दिखाई दे रहे है|

यूरोपीय देश भी अमेरीकी राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने ईरान पर डाले हुए प्रतिबंधों का समर्थन करे, ऐसी मॉंग अमेरीका साथही इस्रायल द्वारा की जा रही है| लेकिन यूरोपीय महासंघ ईरान के परमाणू समझौते पर ठोस है, जिसके लिए जर्मनी ने आक्रामक नीति अपनायी है| जर्मनी यूरोपीय देशों को आवाहन किया है कि, ईरान के परमाणू समझौते से यूरोपीय देश पिछे ना हटे| स्थानिक समाचारपत्र से की बातचीत में भी जर्मनी के विदेश मंत्री मास ने भी इसी का जिक्र किया|

जर्मनी के विदेश मंत्री ने धमकाया है कि, अमेरीका ने ईरान पर डाले हुए प्रतिबंधों का परीणाम यूरोप की कंपनियों पर हो सकता है| इसलिए इन प्रतिबंधों को किनारा करना है तो यूरोपीय देशों को अमेरीका के खिलाफ जाते हुए फैसले लेने होंगे| ‘दुसरे विश्‍व युद्ध के बाद अमेरीका और जर्मनी में बेहतर सहयोग प्रस्थापित हुआ था| लेकिन अगर अमेरीका रेड लाईन की मर्यादा पार कर रहा है तो यूरोपीय देशों को भी संतुलन बनाए रखने के लिए कठोर फैसले लेना जरूरी है’, ऐसा दावा मास ने किया|

अमेरीका का प्रभाव ना रहने वाली भुगतान प्रणाली अर्थात ‘यूरोपीयन मुद्रा कोष’ का निर्माण करते हुए यूरोपीय देशों की स्वयं शासन मजबूत करते हुए स्वतंत्र अर्थव्यवस्था खडी करना जरूरी है, ऐसा मास ने कहा| साथही मास ने वर्ष २०१२ में अमेरीका और यूरोपीय महासंघ में हुए समझौते के अनुसार बेल्जियम स्थित ‘स्विफ्ट’ ये अंतर्राष्ट्रीय ख्याती की बंद की गई भुगतान प्रणाली फिर से शुरू करने का प्रस्ताव दिया|

दौरान, अमेरीका एवं जर्मनी के मतभेद बेहद बढ चुके है, ऐसा जर्मन विदेश मंत्री के अमेरीका विरोधी आवाहन से दिखाई दे रहा है| ईरान से किया हुआ परमाणू समझौता, यूरोपीय देशों का स्वतंत्र सैनिकी संगठन, शरणार्थीयों के बारे में स्वीकारी नीति और रशिया से किया हुआ नॉर्डिक गॅस पाईप लाईन समझौता, इन कारण अमेरीका और जर्मनी का विवाद तीव्र हुआ था|

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