‘ब्रेक्झिट’ की अनिश्‍चितता से ब्रिटेन के साथ ही युरोप में बेचैनी

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लंडन – ब्रिटन की मंत्रिमंडल से सात मंत्रियों ने इस्तीफा दिया है और अन्य २० से अधिक सांसद प्रधानमंत्री के विरोध में अविश्‍वास प्रस्ताव लाने की मांग कर रहे है| इस परिस्थिती में ब्रिटन सरकार ‘ब्रेक्झिट’ का कदम उठाएगी या नही, इस प्रश्‍न के कारण काफी मात्रा में अनिश्‍चितता बनी है| ब्रिटन में अंतर्गत राजनीतिक संघर्ष चरमता पर पहुंच रहा है, तभी युरोपीय महासंघ ने फिल हाल हुआ समझौता अंतिम रहेगा, ऐसी कडी भुमिका अपनाई है| इस वजह से ब्रिटन के साथ ही युरोपीय महासंघ में बेचैनी का माहौल बना है और आर्थिक एवं सामाजिक स्तर पर इस माहौल का परिणाम होने की आशंका जताई जा रही है|

गुरूवार १५ नवंबर के रोज ब्रिटन के प्रधानमंत्री थेरेसा मे इन्होंने युरोपीय महासंघ के साथ ‘ब्रेक्झिट’ समझौते का मसौदा मंत्रिमंडल की बैठक में मंजुर कराया| ब्रिटन की जनता ने जिस निर्णय को चुना था वह यही है और फिल हाल की स्थिती में यही देश के हित में है, इन शब्दों में प्रधानमंत्री मे ने इस समझौते का समर्थन किया है| लेकिन इसी बैठक में सत्ता पक्ष में उभरे विवाद सामने आये| ‘ब्रेक्झिट’ कि चर्चा करने के लिये नियुक्त विशेष मंत्री डॉमिनिक राब इनके साथ ७ मंत्रियों ने ४८ घंटों में इस्तीफा दिया|

एक तरफ इस्तीफे का सत्र शुरू था तभी ५८५ पन्नों के समझौते का मसौदा यानी प्रधानमंत्री मे इन्होंने किया विश्‍वासघात है, यह सनसनीखेज आरोप करके मे इनकी इस्तीफे की मांग की गई है| पिछले कुछ दिनों में सत्ताधारी पक्ष के २३ सदस्यों ने प्रधानमंत्री मे के विरोध में अविश्‍वास प्रस्ताव लाने के लिये निवेदन किया है, यह स्पष्ट हुआ है| लेकिन इस परिस्थिती में भी मे की ओर से इस समझौते का समर्थन करने के लिये कडी कोशिष हो रही है|

मे इनके कुछ समर्थक मंत्रियों ने मसौदे में बदलाव करके अविश्‍वास प्रस्ताव का खतरा टालने के लिये गतिविधियां शुरू की है| ब्रिटीश जनता ऐसे समझौते के पक्ष में नही है, उन्हें बदलाव चाहिये, यह मत व्यक्त करके यह बदलाव करने के लिये कुछ सहयोगी मंत्री प्रधानमंत्री का मन बदलने की कोशिष कर रहे है| इसी दौरान स्कॉटलैंड, आयर्लंड, वेल्स जैसी ब्रिटीश प्रांतों से मिली जुली प्रतिक्रिया आने की शुरूआत हुई है|

ब्रिटन की इस अंतर्गत संघर्ष पर युरोपीय महासंघ की ओर से आक्रामक भुमिका अपनाई गई है|

प्रधानमंत्री मे इन्होंने मंत्रिमंडल से मंजुर किया मसौदा आखिरी है और उसके अनुसार ब्रेक्झिट मंजुर करे अथवा छोड दे, ऐसी कडी चेतावनी युरोपीयन नेतृत्त्व की ओर से दिया जा रहा है| इस चेतावनी के बाद ब्रिटन के साथ युरोपीय देशों में बडी खलबली मची हुई है और इसके कडे परिणाम आर्थिक और सामाजिक स्तर पर हो सकते है, ऐसा डर जताया जा रहा है|

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