आतंक की नींव पर खड़ा साम्राज्य अधिक समय तक टिक नहीं सकता – भारतीय प्रधानमंत्री का तालिबान को इशारा

नई दिल्ली – ‘आतंक की बुनियाद पर अपना साम्राज्य खड़ा करनेवाली शक्ति कुछ समय के लिए हावी हो भी सकती है। लेकिन, ऐसी विध्वंसक शक्ति ज्यादा समय तक मानवता को दबाकर नहीं रख सकती। आतंकवाद का इस्तेमाल करके श्रद्धा को कुचला नहीं जा सकता। बार-बार विध्वंस के बावजूद उतनी ही बार फिर से खड़ा हुआ भगवान सोमनाथ का मंदिर भारत के साथ पूरे विश्‍व को यही विश्‍वास और आश्‍वासन दे रहा है’, यह संदेश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिया। अफ़गानिस्तान में तालिबान की हुकूमत स्थापित होने के बीच प्रधानमंत्री ने यह संदेश देकर तालिबान को लेकर भारत की भूमिका सटीक शब्दों में रखी है।

Modi-Talibanगुजरात के सोमनाथ मंदिर एवं इस मंदिर से संबंधित अन्य प्रकल्पों का प्रधानमंत्री मोदी के हाथों वर्चुअली उद्घाटन किया गया। इस दौरान बोलते समय प्रधानमंत्री ने सोमनाथ मंदिर के इतिहास का दाखिला दिया। ‘हमलावरों ने लगातार विध्वंस करने के बावजूद यह मंदिर फिर से खड़ा हुआ। आतंक की बुनियाद पर खड़ा हुआ साम्राज्य ज्यादा समय तक टिक नहीं सकता। कुछ हमलावरों सोमनाथ मंदिर को तबाह किया तब भी यह सत्य था और आज के दौर में भी ऐसी ही मानसिकता का ड़र विश्‍व को सताने के दिनों में भी उतना ही सत्य है’, ऐसा ध्यान आकर्षित करनेवाला बयान प्रधानमंत्री ने किया। अफ़गानिस्तान में आतंक के बल पर हुकूमत स्थापत करने की तैयारी में तालिबान को प्रधानमंत्री मोदी ने यह इशारा दिया हुआ दिख रहा है।

अमरीकी सेना की वापसी की प्रक्रिया शुरू होने से तालिबान ने अफ़गानिस्तान की सत्ता हथियाने के लिए लष्करी आगेकूच की। लेकिन ऐसा करते समय अपने पड़ोसी देशों को, खास तौर पर भारत के लिए खतरा ना होने का बयान तालिबान के नेता लगातार कर रहे थे। लेकिन, अब तालिबान का क्रूर, आतंकी चेहरा विश्‍व के सामने आने लगा है। उनका विरोध कर रहे नि:शस्त्र अफ़गान जनता पर तालिबान के आतंकी अंधाधुंध गोलिबारी कर रहे हैं। साथ ही भारत ने अफ़गानिस्तान में दूतावास और विकास प्रकल्प शुरू रखनेवाली तालिबान की भारत विरोधी मानसिकता भी स्पष्ट होने लगी है।

हेरात एवं कंदहार में स्थित भारतीय दूतावासों में तालिबानी आतंकियों ने प्रवेश किया और उन्होंने वहां के कुछ कागजात हासिल करने की कोशिश की। साथ ही दूतावास की गाड़ियाँ लेकर यह तालिबानी निकल गए, यह वृत्त प्राप्त हुआ है। इसके साथ ही काबुल के दूतावास के बाहर तालिबानी आतंकियों ने घेराबंदी करने की खबरें भी प्राप्त हो रही हैं। इसके साथ ही भारत अफ़गानिस्तान का अपना दूतावास बंद ना करे, यह निवेदन भी तालिबान कर रही है। भारतीय राजनीतिक अधिकारी-कर्मचारियों को हमसे खतरा ना होने का भरोसा भी तालिबान ने जताया है। लेकिन, भारत इस बात का भरोसा करने के लिए तैयार नहीं है।

रशिया और चीन की तरह भारत भी अफ़गानिस्तान पर हमारे कब्ज़े को स्वीकृति प्रदान करे और इसे अधिकृत करार दे, इसके लिए तालिबान की कोशिश जारी है। लेकिन, भारत, यूरोपिय देश एवं जापान ने भी तालिबान पर भरोसा रखना संभव ना होने के संकेत दिए हैं। अब भी अफ़गानिस्तान में अपने अधिकारी और नागरिक फंसे होने से काफी देश तालिबान के खिलाफ सार्वजनिक भूमिका स्वीकारने के लिए तैयार नहीं हैं। लेकिन, तालिबान ने आतंक की बुनियाद पर राज्य करने की कोशिश की तो, इसे मंजूरी प्रदान नहीं की जाएगी, यह स्पष्ट संदेश भी लोकतांत्रिक देश दे रहे हैं।

भारत के प्रधानमंत्री ने सटीक शब्दों में तालिबान को यह इशारा दिया। आतंक की नींव पर स्थापित हुकूमत ज्यादा समय तक नहीं टिकेगी, यह प्रधानमंत्री का इशारा तालिबान के साथ तालिबान के समर्थन में खड़े पाकिस्तान और चीन जैसे मतलबी देशों को लक्ष्य करता है। विदेशमंत्री जयशंकर ने भी सुरक्षा परिषद की बैठक में आतंकवाद के खिलाफ सख्त भूमिका अपनाने के अलवा अन्य विकल्प ना होने का इशारा दिया था। आतंकियों की ‘मेहमान नवाज़ी’ करके उन्हें उत्तेजित करनेवाले देशों का पर्दाफाश करते समय ड़रे रहना उचित नहीं होगा, यह आवाहन विदेशमंत्री जयशंकर ने सुरक्षा परिषद में किया।

ऐसी सख्त भूमिका अपनाकर भारत तालिबान को कड़ी चेतावनी देता हुआ दिख रहा है। अफ़गानिस्तान में तालिबान के खिलाफ जनमत तैयार हुआ है और भारत की यह भूमिका अफ़गान जनता का मनोबल अधिक मज़बूत करनेवाली साबित हो सकती है।

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