तुर्की के इस्तंबूल में इमर्जन्सी; लड़ाक़ू जेट्स की गश्ती और १८०० जवान तैनात

वॉशिंग्टन, दि. १८ (वृत्तसंस्था) – तीन दिनों में ६००० लोगों को गिरफ़्तार करने के बाद भी तुर्की पर बगावत का साया अभी तक क़ायम है| तुर्की के इस्तंबूल शहर पर पाँच संदिग्ध हेलिकॉप्टर्स मँड़राते हुए नज़र आने के बाद तुर्की सरकार ने, लड़ाकू जेट्स को इन हेलिकॉप्टर्स को मार गिराने के आदेश दिए|

Turkey-erdogen

वहीं, टैंक, विमानभेदक तोपें तैनात करते हुए एर्दोगन सरकार ने इस्तंबूल शहर में आपातकाल घोषित किया है|

रविवार देर रात को राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन ने, इस्तंबूल शहर पर हवाई गश्त लगाने के आदेश दिये| तुर्की के साथ मुख्य शहरों तथा हवाई क्षेत्र की सुरक्षा के लिए ‘एफ-१६’ लड़ाकू जेट्स भेजे गए| सोमवार की सुबह इस विषय पर अधिक जानकारी देते हुए, तुर्की पर मँड़रानेवाला ख़तरा अब भी क़ायम है, ऐसा उन्होंने स्पष्ट किया| इससे पहले रविवार शाम को, इस्तंबूल शहर के हवाई क्षेत्र में अज्ञात हेलिकॉप्टर्स को चक्कर लगाते हुए देखा गया था| वहीं, कुछ नागरिकों ने, पाच हेलिकॉप्टर्स को युरोप की दिशा से इस्तंबूल शहर की ओर बढ़ते हुए देखा होने का दावा किया है|

पिछले हफ़्ते शुक्रवार की रात, सेना के एक विद्रोही गुट द्वारा पुकारी गई बग़ावत को कुचलने में एर्दोगन सरकार को सफलता मिली| लेकिन आज भी, तुर्की सेना के ४३ हेलिकॉप्टर्स गायब हुए होने का दावा किया जा रहा है| इनमें से एक हेलिकॉप्टर ग्रीस में उतारा गया, जिसमें सवार आठ विद्रोहियों को ग्रीस की सरकार ने गिरफ़्तार किया है| इन विद्रोहियों को अपने हवाले करने की माँग तुर्की ने की है| फिर भी सेना के ४२ हेलिकॉप्टर्स अब भी लापता है|

ऐसे समय, इस्तंबूल के हवाई क्षेत्र में पाँच हेलिकॉप्टर्स दिखाई देने से, तुर्की पर बग़ावत का ख़तरा बरक़रार होने की संभावना जताई जाती है| विद्रोही जवान एर्दोगन सरकार के ख़िलाफ़ फिर से बगावत कर सकते हैं, ऐसा तुर्की की मीड़िया का कहना है| इस पृष्ठभूमि पर, एर्दोगन सरकार द्वारा इस्तंबूल शहर पर गश्ती बढ़ाने का निर्णय लिया गया| इसके लिए १८०० जवानों को इस्तंबूल में तैनात किया गया| साथ ही, हवाई हमलों को क़रारा जवाब देने के लिए, इस्तंबूल की सड़कों पर विमानभेदक तोपें बिठाई गयी हैं|

तुर्की की सुरक्षा एजन्सियों द्वारा ६००० से अधिक विद्रोहियों को गिरफ़्तार किया गया| इनमें ३००० से भी अधिक सेना के जवान और उनमें भी, १०३ से अधिक जनरल और ऍडमिरल पद के अफ़सर शामिल हैं| इनकी पूछताछ के बाद मिली जानकारी के अनुसार, विद्रोहियों ने राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन का विमान गिराने की योजना बनाई थी|

‘इस योजना के लिए विद्रोहियों ने ‘एफ-१६’ लड़ाकू विमानों पर कब्ज़ा भी जमा लिया था| एर्दोगन इस्तंबूल से राजधानी अंकारा की ओर रवाना होने के बाद यह हमला होनेवाला था| इसके लिए दो ‘एफ-१६’ विमान तैयार थे और एर्दोगन का जेट रेंज में आते ही रड़ार शुरू करते हुए प्रक्षेपास्त्र चलाने की तैयारी थी| वहीं, एर्दोगन के जेट के साथ उड़ान भर रहें सेना के दो अन्य लड़ाकू विमानों को भी मार गिराने की योजना थी| इस हमले से संघर्ष का स्वरूप ही बदल जाता| लेकिन विद्रोही यह हमला क्यूँ नहीं कर पाये, इसपर आश्‍चर्य होता है’ ऐसी जानकारी इस घटना से परिचित सेना के पूर्व अधिकारी ने दी|

इसी दौरान, गिरफ़्तार किये गए सेना के अधिकारी, जवान, न्यायाधीश और विधितज्ञों को फ़ाँसी की सज़ा सुनाई जाये, ऐसी माँग तुर्की में ज़ोर पकड़ रही है| लेकिन तुर्की के नियमों में फ़ाँसी का प्रावदान नहीं है| इसलिए जनमत का आदर करते हुए, फ़ाँसी के कानून को पारित किया जायेगा, ऐसी घोषणा एर्दोगन ने की| युरोपीय महासंघ की सदस्यता के लिए सन २००४ से तुर्की ने फ़ाँसी को नियमों से अलग कर दिया था| लेकिन अब विद्रोहियों पर कार्रवाई करने के लिए तुर्की फिर एक बार इस फ़ैसले को मंज़ूर करने की तैयारी में है|

तुर्की में हुई बगावत पर रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमिर पुतिन ने खेद जताया| साथ ही, इस कठिन समय में रशिया तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन के साथ है, ऐसी घोषणा भी की| पुतिन ने फोन करते हुए एर्दोगन से यह चर्चा की| साथ ही, आनेवाले अगस्त महीने में दोनो देशों के राष्ट्राध्यक्षों की संभाव्य मुलाक़ात होने के बारे में भी चर्चा हुई|

वहीं, तुर्की की सेना द्वारा किये गए विद्रोह के बाद, तुर्की द्वारा आतंकवाद के खिलाफ़ अपनायी गयी भूमिका पर फ्रान्स ने सवाल खड़ा किया| ‘आयएस’ के खिलाफ़ जारी संघर्ष में तुर्की को रखना उचित नहीं होगा, ऐसी भूमिका फ्रान्स के विदेशमंत्री ‘जीन-मार्क एरॉल्ट’ ने अपनायी है| साथ ही, ‘इस विद्रोह के कारण राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन को मनमानी करने का ‘लाईसन्स’ नहीं मिला है’ ऐसी आलोचना भी उन्होंने की|

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