‘शिंकू ला’ टनेल के लिए वायुसेना के ‘चिनूक’ द्वारा किया गया ‘इलेक्ट्रोमैग्नेटिक सर्वे’

श्रीनगर – बीते महीने में आम नागरिकों के लिए खुला किया गया रोहतांग टनेल सामरिक नज़रिये से बड़ी अहम भूमिका निभाएगा, यह दावा किया जा रहा है। इस टनेल की वजह से लद्दाख में तैनाती के लिए भारतीय सेना की आवाजाही आसान हुई है। ऐसे में अब हिमाचल प्रदेश के मनाली और लद्दाख के कारगिल-लेह को जोड़नेवाले ‘शिंकू ला’ टनेल का निर्माण कार्य शुरू किया गया है। पहाड़ी इलाकों में इस टनेल का निर्माण करने के लिए वायुसेना की सहायता ली गई है और इसके लिए चिनूक हेलिकॉप्टर के ज़रिये ‘इलेक्ट्रोमैग्नेटिक सर्वे’ का काम शुरू किया गया है। करीबन १३.५ किलोमीटर लंबाई का ‘शिंकू ला’ टनेल सामरिक नज़रिये से बड़ा अमह साबित होगा।

मनाली-लेह राजमार्ग से कारगिल तक के सफर के लिए मौजूदा स्थिति में एक दिन का समय लगता है। तो, ठंड़ के मौसम में यह राजमार्ग बंद किया जाता है। इस वजह से सेना को बड़ी असुविधा होती है और सेना को हवाई यातायात पर निर्भर होना पड़ता है। इससे सेना और स्थानीय लोगों के सामने खड़ी हो रही मुश्‍किलें ध्यान में रखकर मनाली से लेह और कारगिल जाने के लिए मनाली-दारचा-पेडूम मार्ग पर ‘शिंकू ला’ टनेल का निर्माण कार्य शुरू किया गया है। सोमवार से इस मार्ग के लिए हवाई सर्वे शुरू किया गया। पहाड़ी इलाकों में हो रहे इस सर्वे के लिए ‘इलेक्ट्रोमैन्गेटिक सर्वे’ यानी विद्युत चुंबकिय सर्वे की तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है।

सोमवार के दिन वायुसेना के ‘चिनूक हेलिकॉप्टर’ ने लगभग ५०० किलो भार की इलेक्ट्रोमैग्नेटिक ऐंटिना उठाकर इस सर्वे का काम शुरू किया है। इस ऐंटिना की सहायता से पहाड़ी इलाकों की सतह की रचना की स्पष्ट, त्रिविम चित्र प्राप्त करने के लिए विद्युत चुंबकिय सर्वे किया जा रहा है। विशेषज्ञों की टीम ने अल्ट्युटर, हवा की गति के साथ अन्य कई तकनीकी बातों का बारिकी से परीक्षण किया और इस टनेल के निर्माण में इसका बड़ा लाभ होगा। बीते दो महीनों में दो बार इस सर्वे के लिए परीक्षण किया गया। इसके बाद ही सोमवार के दिन इस सर्वे का असल काम शुरू किया गया। भारत और डेन्मार्क के चार इंजिनियर्स ने मात्र दो दिनों में इस ‘इलेक्ट्रोमैग्नेटिक’ सर्वे के लिए ऐंटिना को जोड़कर तैयार किया।

हिमाचल प्रदेश के लाहौल में स्थित दारचा क्षेत्र में इस टनेल का निर्माण कार्य शुरू किया गया है। इस टनेल की वजह से मनाली कारगिल की दूरी ढ़ाई सौ किलोमीटर से कम होगी और मात्र कुछ घंटों में यह सफर पूरा करना संभव होगा, यह दावा किया जा रहा है। हाल ही में बनाए गए अटल टनेल से ‘शिंकू ला’ टनेल की लंबाई अधिक होगी और इस टनेल के निर्माण से चीन की सीमा पर सेना और लष्करी सामान की यातायात करने के लिए अधिक आसानी होगी। खास तौर पर किसी भी मौसम में सेना इस टनेल से आवश्‍यक यातायात किसी भी अड़ंगे के बिना शुरू रख सकेगी, यह दावा भी किया जा रहा है। लद्दाख की प्रत्यक्ष नियंत्रण रेखा पर चीन के साथ बढ़ रहे तनाव की पृष्ठभूमि पर ‘शिंकू ला’ टनेल का काम और इसके लिए चिनूक हेलिकॉप्टर के ज़रिये शुरू किया गया ‘इलेक्ट्रोमैग्नेटिक सर्वे’ का काम बड़ा अहम साबित हो रहा है।

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