अमरिका-ईरान संघर्ष का असर दिखाई देना शुरू हुआ

नई दिल्ली – अमरिका ने कासेम सुलेमानी को खतम करने से जागतिक अर्थव्यवस्था पर असर होता दिखाई देने लगा है और भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी इससे दबाव बनने की बात स्पष्ट हो रही है| भारतीय शेअर बाजार में गिरावट दर्ज की गई है और इस दौरान निवेषकों को ३.३६ लाख करोड रुपयों का नुकसान उठाना पडा है| तभी सोने के दामों में बडा उछाल दिखाई दिया है और इससे सोने के दाम प्रति तोला १,८०० रुपयों से बढे है| अमरिका और ईरान के बीच पुख्ता संघर्ष सुरू होने पर इससे भी कडे झटकों का सामना करना होगा, यह चेतावनी विश्‍लेषक दे रहे है|

अंतरराष्ट्रीय बाजार में ईंधन के दामों में भी बडा उछाल हुआ है| इस दौरान ईंधन के दाम प्रति बैरल ७० डॉलर्स से भी उपरी स्तर पर जा चुके है| इसी बीच जागतिक शेअर बाजारों में बडी गिरावट दर्ज हुई है और भारतीय शेअर बाजार भी इस गिरावट से दूर नही रह सका है| सोमवार के एक ही दिन में मुंबई शेअर बाजार का निदेशांक ७८७ अंक गीरा| जुलाई महीने के बाद एक ही दिन में पहली बार इतनी बडी गिरावट देखी गई| तभी राष्ट्रीय शेअर बाजार का निफ्टी निदेशांक २३३ अंक गीरा| तभी डॉलर की तुलना में रुपयों का मोल १३ पैसे कम हुआ|

इस अनिश्‍चितता के माहौल की पृष्ठभूमि पर सोने के दामों में बडी बढोतरी हुई है और दो दिनों में सोने का दाम प्रति तोला ४१,०३० रुपयों तक जा पहुंचने की जानकारी प्राप्त हो रही है| अमरिका ने कासेम सुलेमानी को खतम करने के बाद ईरान ने इन्तिकाम लेने की धमकी दी है और दोनों देशों में किसी भी क्षण संघर्ष शुरू होने की कडी संभावना है| इस संघर्ष से भारतीय अर्थव्यवस्था को भी बडा झटका लग सकता है, यह इशारा विश्‍लेषक दे रहे है|

खाडी क्षेत्र में करीबन ८० लाख भारतीय कार्यरत है| अमरिका और ईरान के संघर्ष की वजह से उनकी सुरक्षा का प्रश्‍न बनेगा| साथ ही खाडी क्षेत्र में काम कर रहे इन भारतीयों से प्राप्त हो रहे विदेशी चलन में भी गिरावट हो सकती है| इस ओर भी विश्‍लेषक ध्यान आकर्षित कर रहे है| इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को ईरान-अमरिका संघर्ष से बडा झटका लग सकता है, इसका एहसास भी विश्‍लेषक दिला रहे है| मुख्य बात यह है की इस संघर्ष की वजह से खाडी देशों से भारत को हो रही ईंधन की आपुर्ति में भी बाधा बन सकती है| इस से भारत की ईंधन सुरक्षा को भी खतरा बन रहा है|

ईंधन की सप्लाई बाधित होने पर भारत के सामने बडा संकट खडा हो सकता है| इसी वजह से भारत इन सभी गतिविधियों पर बारीकी से नजर रखें है, यह जानकारी विदेश मंत्रालय ने साझा की| अबतक अमरिका और ईरान में जारी इस संघर्ष में भारत ने किसी एक पक्ष का समर्थन करने से दूर रहकर संयम बरतना होगा, यह मांग हो रही है| इस विषय पर अमरिका के विदेशमंत्री माईक पोम्पिओ ने अमरिका में स्थित भारतीय राजदूत से बातचीत करने का समाचार है| तभी, भारत के विदेशमंत्री एस.जयशंकर ने ईरान के विदेशमंत्री जावेद झरिफ से फोन पर बातचीत की है|

इन दोनों बातचीत की पुरी जानकारी अभी सामने नही आयी है| पर, ईंधन की आयात पर निर्भर अन्य देशों की तरह भारत ने भी खाडी क्षेत्र में जारी इन गतिविधियों पर चिंता व्यक्त की है|

Leave a Reply

Your email address will not be published.