‘डीआरडीओ’ ने किया ज़मीन से हवा में हमला करनेवाले ‘क्यूआरसैम’ का परीक्षण

बालासोर – रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन यानी ‘डीआरडीओ’ ने ‘क्यूआरसैम’ नामक ज़मीन से हवा में हमला करनेवाले मिसाइल का परीक्षण किया। लद्दाख की गलवान घाटी में हुए संघर्ष के बाद जून महीने में ही ‘क्यूआरसैम मिसाइल’ की लद्दाख में तैनाती की गई थी। इस पृष्ठभूमि पर ‘क्यूआरसैम’ का किया गया परीक्षण अहमियत रखता है।

QSRAMओड़िशा के बालासोर में स्थित ‘डीआरडीओ’ के केंद्र में शुक्रवार के दिन ‘क्विक रिऐक्शन सरफेस टू एअर मिसाइल’ (क्यूआरसैम) मिसाइल का परीक्षण किया गया। मोबाईल लॉन्चर की सहायता से दोपहर करीबन ३.३० बजे यह परीक्षण किया गया। इस दौरान वर्णित मिसाइल ने तय लक्ष्य को सटीकता से निशाना किया। पूरी तरह से स्वदेशी निर्माण के नमूने वाली भारत की यह मिसाइल एकसाथ कई लक्ष्यों को निशाना करने की क्षमता रखती है।

इस मिसाइल यंत्रणा को खास राड़ार यंत्रणा जोड़ी गई है। इस वजह से हवा में ३० किलोमीटर दूरी तक के लक्ष्य को ‘क्यूआरसैम’ सटीकता के साथ निशाना कर सकती है। शत्रू के विमान, ड्रोन और मिसाइल को लक्ष्य करने की क्षमता रखनेवाली ‘क्यूआरसैम’ मोबाईल लॉन्चर से दागी जा सकती है और इसे कहीं भी आसानी से पहुँचाना संभव होता है। किसी भी मौसम में और किसी भी हिस्से से इसे दागना संभव होने से इसकी अहमियत बढ़ रही है।

बीते वर्ष दिसंबर में इस मिसाइल के ‘यूजर ट्रायल्स’ की प्रक्रिया पूरी हुई थी और वर्ष २०२१ में यह मिसाइल रक्षाबलों के बेड़े में दाखिल होगी, यह समाचार था। लेकिन, चीन के साथ तनाव बढ़ने पर इस वर्ष के जून में ही इस मिसाइल की शीघ्रता से लद्दाख में तैनाती की गई थी। ऐसे में शुक्रवार के दिन किए गए परीक्षण की अहमियत बन रही है।

चीन के साथ तनाव बढ़ने के बाद भारत ने अलग अलग मिसाइलों का परीक्षण करना शुरू किया है। बीते दो महीनों में भारत ने अब तक १३ से भी अधिक मिसाइलों का परीक्षण किया है। भारतीय रक्षा बलों के लिए अलग अलग मारक क्षमता के मिसाइलों का ‘डीआरडीओ’ निर्माण कर रही है। मौजूदा स्थिति में इन मिसाइल्स का निर्माण कार्य अलग अलग स्तर पर है। इन मिसाइल्स के ‘यूजर ट्रायल्स’ भी हो रहे हैं, यह जानकारी ‘डीआरडीओ’ के अफसर ने साझा की है।

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