चीन-पाकिस्तान के बीच ‘सीपीईसी’ पर चर्चा

इस्लामाबाद – आर्थिक रूपसे दिवाला निकल रही पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को मजबूत और स्थिर बनाने के लिए चीन पाकिस्तान को मदद करेगा, ऐसा चीन के विदेश मंत्री वैंग ई ने कहा है। विदेश मंत्री वैंग ई वर्तमान में पाकिस्तान के दौरे पर हैं।

पाकिस्तान में इम्रान खान के नेतृत्व में नई सरकार सत्ता में आई है। लेकिन दिवाला निकलने की कगार पर खड़ी अर्थव्यवस्था यह इम्रान खान की सरकार के सामने की बहुत बड़ी चुनौती है। अमरिका ने पाकिस्तान की आर्थिक सहायता पर रोक लगादी है और अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष भी पाकिस्तान को नया कर्ज न दे, ऐसा अमरिका ने कहा है। इस पृष्ठभूमि पर चीन के विदेश मंत्री ने पाकिस्तान को आश्वासन दिया है, लेकिन ‘सीपीईसी’ में अपने अरबों डॉलर्स के निवेश की चिंता चीन को सता रही है।

चीन के विदेश मंत्री वैंग ई ने पाकिस्तान के विदेश मंत्री शहा महमूद कुरेशी से मुलाकात की है। इसके बाद संयुक्त निवेदन में चीन के साथ सहकार्य यह पाकिस्तान की नीति का अविभाज्य हिस्सा है, ऐसा कुरेशी ने कहा है। साथ ही ‘सीपीईसी’ पूरी करने के लिए पाकिस्तान सरकार वचनबद्ध है। यह परियोजना इम्रान खान के सरकार की प्राथमिकता है, ऐसा भी कुरेशी ने कहा है।

इस समय चीन के विदेश मंत्री ने सीपीईसी परियोजना पर होने वाली आलोचना को ऊतर देने की कोशिश की। इस परियोजना की वजह से पाकिस्तान पर कर्ज का बोझ बढ़ने वाला नहीं है, उल्टा पाकिस्तान को इसके अच्छे फल मिलने वाले हैं, ऐसा वैंग ई ने कहा है। साथ ही पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को मजबूत और स्थिर बनाने के लिए चीन मदद करने के लिए उत्सुक है, ऐसा भी वैंग ई ने कहा है।

इसमें से चीन को अपने अरबों के निवेश वाली सीपीईसी परियोजना के बारे में चिंता स्पष्ट दिखाई दे रही है। चीन की इस परियोजना को पाकिस्तान में बड़े पैमाने पर विरोध हो रहा है और यहाँ पर काम कर रहे चीनी कर्मचारियों पर हमले भी हो रहे हैं। साथ ही पाकिस्तान ने चीनी मुद्रा को दी हुई मंजूरी, चीन के कर्जे के लिए पाकिस्तान को जबरदस्त ब्याज देना पड़ने वाला है इस बात पर भी पाकिस्तान के विश्लेषक आलोचना कर रहे हैं।

सीपीईसी परियोजना पाकिस्तान कब्जे वाले कश्मीर से ज्यादा है और इस पर भारत ने चीन की तरफ समय समय पर आपत्ति जताई है। सीपीईसी परियोजना चीन की महत्वाकांक्षी ‘बीआरआई’ परियोजना एक हिस्सा है, जो भारत के सहभाग के बिन सफल नहीं हो सकती है, ऐसा चीन के कुछ विश्लेषकों का कहना है।

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