भारत और अमरीका के रक्षामंत्रियों की चर्चा

नई दिल्ली – सन २०२० यह साल भारत और अमरीका के बीच के रक्षाविषयक सहयोग के लिए ऐतिहासिक साबित हुआ, ऐसा भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंग ने कहा है। अमरीका के कार्यवाहक रक्षामंत्री ख्रिस्तोफर मिलर से रक्षामंत्री राजनाथ सिंग की चर्चा संपन्न हुई। इस चर्चा के दौरान भारतीय रक्षामंत्री ने, दोनों देशों के बीच शुरू रक्षाविषयक सहयोग पर सन्तोष व्यक्त किया। ख़ासकर दोनों देशों में हाल ही में संपन्न हुए ‘बेका’ समझौते के कारण दोनों देशों के बीच के रक्षाविषयक सहयोग ने नयीं बुलंदियों को छू लिया होकर, इन संबंधों की भविष्यकालीन दिशा निश्‍चित हुई है, ऐसा सूचक बयान राजनाथ सिंग ने किया है।

रक्षाक्षेत्र में भारत और अमरीका की बीच सामरिक सहयोग पर दोनों नेताओं की चर्चा संपन्न हुई। इस चर्चा में ‘बेसिक एक्सचेंज अँड कोऑपरेशन ऍग्रीमेंट’ (बीईसीए-बेका) पर दोनों देशों के रक्षामंत्रियों ने सन्तोष व्यक्त किया। ‘भारत और अमरीका की रक्षाक्षेत्र की साझेदारी दशकभर की कालावधि में परिपक्व बनी होकर, रक्षाविषयक सहयोग का रूपांतरण अब सामरिक साझेदारी में हुआ है। सन २०२० यह साल दोनों देशों के बीच के रक्षाविषयक सहयोग की दृष्टि से ऐतिहासिक साबित हुआ है’, ऐसा राजनाथ सिंग ने कहा है। इसी बीच, राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प का कार्यकाल ख़त्म होने में कुछ ही हफ़्तों की कालावधि शेष होते समय, भारत और अमरीका के रक्षामंत्रियों में हुई यह चर्चा ग़ौरतलब साबित हो रही है।

जल्द ही ज्यो बायडेन अमरीका के राष्ट्राध्यक्षपद की बागड़ोर सँभालनेवाले हैं। इससे पहले बायडेन ने भारत के विरोध में किये कुछ बयानों का हवाला देकर पाकिस्तानी विश्‍लेषक, बायडेन काश्मीर मसले पर पाकिस्तान का पक्ष लेंगे, ऐसा विश्‍वास व्यक्त कर रहे हैं। उसी समय, ट्रम्प की तरह बायडेन का रुझान भारत के पक्ष में नहीं रहेगा, ऐसी उम्मीद पाकिस्तान में व्यक्त की जाती है। लेकिन बायडेन भारत के मामले में ट्रम्प से बहुत अलग नीति नहीं अपना सकते, ऐसा भारतीय विश्‍लेषकों का कहना है। भारत के साथ बने सहयोग से पीछे हटने की नीति यदि बायडेन ने अपनायी, तो वह आत्मघात साबित होगा, ऐसा भारतीय विश्‍लेषक कह रहे हैं।

इसी कारण, राष्ट्राध्यक्षपद की कालावधि खत्म होने में थोड़ी ही कालावधि शेष है कि तभी डोनाल्ड ट्रम्प के प्रशासन ने भारत के साथ ‘बेका’ समझौता किया। लेकिन बायडेन ने उसका विरोध नहीं किया, इसपर विश्‍लेषक ग़ौर फ़रमा रहे हैं। विरोधी पक्ष में होते समय बायडेन ने किये बयानों के बल पर निष्कर्ष निकालना ग़लत साबित होगा, यह भारतीय विश्‍लेषकों ने व्यक्त किया विश्‍वास सच होने के लक्षण दिखायी दे रहे हैं। बायडेन सत्ता में आने के बाद, उनकी इच्छा रहने पर भी, भारत के साथ बने अमरीका के सामरिक तथा आर्थिक स्तर पर के सहयोग को खारिज नहीं किया जा सकता, ऐसा भी विश्‍लेषक बता रहे हैं। रक्षामंत्री राजनाथ सिंग के बयान से भी यह बात सामने आ रही है।

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