चुनाओं की पृष्ठभूमि पर जर्मन चांसलर मर्केल के खिलाफ तीव्र असंतोष

बर्लिन: जर्मनी में चुनाव सिर्फ दो हफ़्तों पर आकर रुके हैं और ऐसे में चांसलर एंजेला मर्केल को विरोध बढ़ता ही चला जा रहा है। चांसलर मर्केल के सफ़र का मुख्य आधार माने जाने वाले पूर्व जर्मनी में ही असंतोष तीव्र होता जा रहा है। इस बढ़ते असंतोष के पीछे मर्केल ने शरणार्थियों को लेकर अपनाई हुई उदारता की भूमिका प्रमुख कारण है, ऐसा माना जा रहा है। जर्मनी के विविध गुटों ने जनमत मर्केल की तरफ होने की रिपोर्ट दिए हैं, फिर भी चुनाव आसान नहीं होंगे, ऐसे इशारे भी दिए जा रहे हैं।

पिछले कुछ महीनों में चांसलर मर्केल ने प्रचार के बहाने जर्मनी में कई जगहों पर सभाएं ली हैं। इनमें से बहुतांश सभाओं से पहले और सभा शुरू होते हुए भी मर्केल के खिलाफ तीव्र प्रदर्शन हुए। कुछ सभाओं में मर्केल के भाषण में घोषणा देकर बाधाएं डालने की भी कोशिश की गई। पिछले हफ्ते में एक प्रचार सभा में उन पर टमाटर फेंकने की घटना प्रसिद्ध हुई थी। इस समय मर्केल ने जर्मनी की जनता के साथ गद्दारी की है, ऐसी घोषणा भी दी गई।

जर्मन चांसलर मर्केलमर्केल स्वयं पूर्व जर्मनी क्षेत्र से चुनाव जीत चुकी हैं और इस क्षेत्र का उनकी जीत में बहुत बड़ा हिस्सा है। लेकिन शरणार्थियों के समूह और आतंकवादी हमले इन घटनाओं से पूर्व जर्मनी की मर्केल के शक्तिस्थानों को झटके लग रहे हैं। पूर्व जर्मनी के बिटरफिल्ड जैसे शहर में मर्केल चांसलर नहीं बल्कि गुनहगार हैं, ऐसा आरोप हो रहा है और उन्हें जाना ही होगा, ऐसी माँग जोर पकड़ रही है। इस इलाके में ‘अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी’ (एएफडी) यह पार्टी अपनी बुनियाद बढ़ा रहा है और मतदाताओं में उनका प्रभाव बढने की बात सामने आ रही है।

चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों ने इस पार्टी को दो आंकड़ों का मतदान होगा और यह पार्टी संसद में आसानी से जाएगी, ऐसी भविष्यवाणी की जा रही है। कुछ विश्लेषकों ने ‘एएफडी’ चांसलर मर्केल की ‘सीडीयू’ पार्टी को सरकार की स्थापना करने का मौका इंकार करना जैसा धक्का मिलेगा, ऐसा इशारा भी दिया है। पूर्व जर्मनी के साथ ही जर्मनी के औद्योगिक क्षेत्र के हिस्से वाले पट्टे में भी पश्चिम में भी मर्केल की पार्टी के खिलाफ नाराजगी बढने के संकेत मिल रहे हैं। पार्टी के कुछ सदस्यों ने इस्तीफा देकर ‘एएफडी’ जैसी पार्टी की ओर से चुनाव में उतरने का फैसला लिया है।

ब्रिटिश जनता ने दी हुई ‘ब्रेक्झिट’ की हरी झंडी और अमरीका में डोनाल्ड ट्रम्प का हुआ चुनाव, जैसे घटक भी जर्मनी के चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएँगे, ऐसे संकेत सर्वेक्षण से सामने आए हैं। जर्मनी के कई मतदाता अभी भी संभ्रम में हैं। अंतिम चरण की एखाद बड़ी घटना चौंकाने वाले परिणामों का कारण बन सकती है, ऐसा भी दावा किया जा रहा है।

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