डेन्मार्क सीरियन शरणार्थियों को बाहर खदेड़ने की तैयारी में

denmark-syrian-migrants-कोपनहेगन – डेन्मार्क ने अपने देश में स्थित सीरियन शरणार्थियों को बाहर खदेड़ने की तैयारी की है। सीरिया की स्थिति में अब सुधार हो रहा है और इन शरणार्थियों को इसके आगे डेन्मार्क में रखना मुमकिन नहीं होगा, ऐसा डेन्मार्क की सरकार का कहना है। इस निर्णय पर कड़ी आलोचना हो रही है और हमें सीरिया भेजना यानी मौत की खाई में धकेलना होगा, ऐसी बात सीरियन शरणार्थी कहने लगे हैं। लेकिन, इस मुद्दे पर डेन्मार्क की नीति पहले दिन से ही स्पष्ट थी और शरणार्थियों को वापस भेजने के निर्णय से हम पीछे नहीं हटेंगे, ऐसा इशारा डेन्मार्क के इमिग्रेशन विभाग के मंत्री ने दिया है।

लगभग साठ लाख जनसंख्या के डेन्मार्क में ३५ हज़ार सीरियन शरणार्थी मौजूद हैं। डेन्मार्क ने इन शरणार्थियों को स्वीकारने के साथ ही उन्हें अस्थायी पनाह दे रहे हैं, यह इशारा भी दिया गया था। निर्धारित समय पूरा होने के बाद यह शरणार्थी डेन्मार्क में नहीं रह सकते, ऐसा स्पष्ट इशारा भी दिया गया था। इस पर पहले दिन से ही डेन्मार्क की भूमिका स्पष्ट थी। हम इस निर्णय से पीछे नहीं हटेंगे, ऐसा इमिग्रेशन विभाग के मंत्री मैट्टिस टेसफेय ने कहा है। डेन्मार्क के कुछ नेता एवं मानव अधिकार संगठन इस निर्णय का कड़ा विरोध कर रहे हैं। सीरियन शरणार्थियों को ऐसे बेहाल छोडा नहीं जा सकता, ऐसा इन नेताओं का एवं मानव अधिकार संगठनों के कार्यकर्ताओं का कहना है।

डेन्मार्क से हमें वापस सीरिया रवाना करना यानी मौत की खाई में धकेलने जैसा है, ऐसा सीरियन शरणार्थी कहने लगे हैं। साथ ही सीरिया की स्थिति में सुधार नहीं हुआ है, वहां पर हमारा कोई भी बचा नहीं है, हमें यहीं पर रहने की सहुलियत दें, ऐसा आवाहन सीरियन शरणार्थी कर रहे हैं। मानव अधिकार संगठन के वरिष्ठ अधिकारी और सलाहकार इस निर्णय के लिए डेन्मार्क की कड़ी आलोचना करने लगे हैं। यूरोप का अन्य किसी भी देश नहीं किया है, ऐसा निर्णय डेन्मार्क ने किया है, ऐसी आलोचना हो रही है। संयुक्त राष्ट्रसंघ के मानव अधिकार संगठन ने भी सीरिया की स्थिति में सुधार ना होने का बयान किया है।

denmark-syrian-migrants-फिर भी डेन्मार्क की सरकार शरणार्थियों को वापस भेजने के निर्णय पर कायम है। क्योंकि, इन शरणार्थियों के कारण डेन्मार्क की असली पहचान मिटने का गंभीर खतरा निर्माण हुआ है। साथ ही अब तक डेन्मार्क में काफी मात्रा में हो रही हिंसा और नागरिकों पर हमलों की मात्रा इन शरणार्थियों के कारण काफी हद तक बढ़ी है। इसका डेन्मार्क की सुरक्षा पर गंभीर असर हो रहा है। इसी वजह से आनेवाले दिनों में इन शरणार्थियों को अपने देश में रखकर डेन्मार्क अपनी सुरक्षा को खतरे में डालने के लिए तैयार ना होने की बात दिख रही है।

डेन्मार्क की सुरक्षा के लिए खतरा निर्माण होने से आपको आश्रय देने का निर्णय पीछे लिया जाएगा, इसकी कल्पना पहले ही शरणार्थियों को दी गई थी, इसकी याद भी मैट्टिस टेसफेय ने दिलाई। डेन्मार्क का कानून इसके आगे काम करेगा और सरकार अपना निर्णय यकीनन पीछे नहीं लेगा, यह बात टेसफेय ने स्पष्ट की है। स्वदेश जाने की तैयारी दिखा रहे सीरियन शरणार्थियों के लिए डेन्मार्क की सरकार ने विशेष पैकेज का ऐलान किया था। इसके अनुसार हरएक शरणार्थी को २३ हज़ार डॉलर्स की बड़ी रकम के साथ अन्य सुविधाएं भी प्रदान करना तय किया गया था। फिर भी ३५ हज़ार शरणार्थियों में से मात्र १३७ शरणार्थियों ने डेन्मार्क छोड़ने की तैयारी दिखाई थी।

denmark-syrian-migrants-इसी बीच, यूरोपियन महासंघ की सक्ति की वजह से सदस्य देश शरणार्थियों को स्वीकारने के लिए मज़बूर थे। लेकिन, इन शरणार्थियों की वजह से छोटे यूरोपिय देशों की असली पहचान मिटने का खतरा निर्माण हुआ है, ऐसा इशारा यूरोप में स्थित राईट विंग के नेता लगातार दे रहे हैं। इन्हीं शरणार्थियों की वजह से यूरोपिय देशों में अपराध और हिंसा बढ़ रही है और सामाजिक सुरक्षा खतरे में पड़ी है। यही स्थिति कायम रही तो यूरोप अपनी संस्कृति खो बैठेगा, ऐसा इशारा इस गुट के नेता दे रहे हैं। यूरोपिय जनता भी शरणार्थियों के खिलाफ हो गई है और इस वजह से यूरोपिय देशों में शरणार्थियों का विरोध कर रहे राईट विंग की विचारधारा के नेता और सियासी दलों को प्राप्त हो रहा समर्थन बढ़ रहा है।

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