ऑस्ट्रेलिया के बाद स्वीड़न और डेन्मार्क ने भी दिए फेसबुक के विरोध में कानून बनाने के संकेत

स्टॉकहोम/कोपनहेगन – ऑस्ट्रेलिया की संसद ने गुगल और फेसबुक के खिलाफ कानून बनाने को लेकर अपनाई भूमिका की गूँज विश्‍वभर में सुनाई दे रही है। ऑस्ट्रेलिया के बाद अब यूरोपिय देशों ने भी फेसबुक जैसी कंपनियों से अखबार उद्योग क्षेत्र को आर्थिक मुआवजा प्राप्त हो, इस उद्देश्‍य से कानून बनाने के संकेत दिए हैं। स्वीड़न के वरिष्ठ मंत्री एंडर्स गेमन ने आयटी क्षेत्र की बड़ी कंपनियों को अधिक सख्ती से नियंत्रित करने की आवश्‍यकता होने की माँग की है। वहीं, ऑस्ट्रेलिया में हुई घटना से विश्‍व की शीर्ष सोशल मीडिया कंपनी की कथित जनतांत्रिक मानसिकता पर सवाल उपस्थित किया है, ऐसा बयान डेन्मार्क के सांस्कृतिक मंत्री ने किया है।

sweden-denmark-fbऑस्ट्रेलियन नियामक यंत्रणा ‘ऑस्ट्रेलियन कॉम्पिटिशन ऐण्ड कंज्यूमर कमिशन’ ने बीते वर्ष गुगल और फेसबुक जैसी कंपनियों के लिए नए नियम तैयार किए थे। इसे कानूनी स्वरूप प्रदान करने के लिए ऑस्ट्रेलिया की संसद में ‘न्यूज मीडिया बार्गेनिंग कोड’ नामक विधेयक पेश किया गया था। इस विधेयक के अनुसार गुगल और फेसबुक कंपनियों को उनके वेबसाईट पर प्रसिद्ध किए जा रही खबरों के लिए संबंधित अखबार एवं प्रसार माध्यम कंपनियों को मुआवजा देना होगा। ऐसा ना करने पर गुगल और फेसबुक को दंड़ित करने का प्रावधान किया गया है।

ऑस्ट्रेलियन संसद में इस विधेयक पर बीते हफ्ते में चर्चा हुई। इस चर्चा के दौरान फेसबुक ने अपनी अड़ियल और आक्रामक भूमिका कायम रखते हुए किसी भी तरह से पूर्वसूचना दिए बगैर ऑस्ट्रेलिया में उपलब्ध अपनी सेवा बीते हफ्ते में बंद की थी। इससे संबंधित जारी किए गए निवेदन में फेसबुक ने यह खुलासा किया था कि, ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने पेश किए विधेयक के कारण यह निर्णय करना पड़ा है। लेकिन, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन और वरिष्ठ मंत्रियों ने फेसबुक के खिलाफ आक्रामक भूमिका अपनाकर प्रत्युत्तर दिया है। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया की संसद ने वर्णित कानून पारित भी किया। फेसबुक भी अपनी सेवा दोबारा शुरू करने के लिए मज़बूर हुई है और ऑस्ट्रेलिया के माध्यम क्षेत्र की कंपनियों के साथ उसे चर्चा करनी पड़ी।

ऑस्ट्रेलिया की इस घटना की गूँज अमरीका और यूरोपिय देशों में सुनाई देने लगी है। फेसबुक ने ऑस्ट्रेलिया से संबंधित निर्णय के बाद अमरिकी संसद में भी गुगल और फेसबुक के विरोध में विधेयक रखा गया है। ब्रिटेन ने भी ऐसा विधेयक लाने की तैयारी शुरू की है और अब स्वीड़न और डेन्मार्क जैसे प्रगत देशों ने भी इसी दिशा में कदम उठाना शुरू किया है।

sweden-denmark-fbस्वीड़न के न्याय विभाग के वरिष्ठ विशेषज्ञ पीटर संडबर्ग ने देश में यूरोपिय महासंघ के ‘कॉपीराईट डायरेक्टिव’ के ‘आर्टिकल १५’ के अनुसार विधेयक तैयार करने का काम जारी होने की जानकारी साझा की। स्वीड़न के अखबार संगठन ने भी इसका स्वागत किया है और प्रौद्योगिकी क्षेत्र की बड़ी कंपनियों ने पत्रकारिता के किए इस्तेमाल का मुआवजा देना होगा, यह माँग की है। स्वीड़न के एनर्जी ऐण्ड डिजिटायज़ेशन विभाग के मंत्री एंडर्स गेमन ने सूचना एवं तकनीक क्षेत्र की अग्रीम कंपनियों को सरकार द्वारा सख्ती से नियंत्रित करने की आवश्‍यकता है, यह भूमिका ड़टकर रखी है।

डेन्मार्क के सांस्कृतिकमंत्री जॉय मॉन्गेन्सन ने फेसबुक के बर्ताव पर जोरदार आलोचना की है। ‘फेसबुक जैसी अग्रीम कंपनी ने अपनाई भूमिका बड़ी चिंताजनक है। जनतांत्रिक समाज में अखबार और उससे प्रदान की जा रही खबरों को लेकर वह ज्यादा परवाह नहीं करते, यही संकेत उसके निर्णय से प्राप्त होते हैं’, इन शब्दों में मॉन्गेन्सन ने तीव्र नाराज़गी जताई। साथ ही डेन्मार्क ने यूरोपिय महासंघ के मार्गदर्शक तत्वों से भी अधिक सख्त प्रावधान होनेवाला कानून बनाने की तैयारी शुरू की है, यह बात भी उन्होंने कही।

इसमें डेन्मार्क की कंपनियों को प्रौद्योगिकी क्षेत्र की कंपनियों से बातचीत करके समझौता करने का अवसर भी उपलब्ध कराया जा रहा है, यह बात सांस्कृतिकमंत्री ने स्पष्ट की। दोनों पक्षों का समझौता ना होने पर मसले का हल निकालने के लिए आवश्‍यक स्वतंत्र यंत्रणा का भी गठन किया जा रहा है, यह इशारा भी उन्होंने दिया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.