‘जेएनयु’ के सन्दर्भ में दिल्ली पुलीस का अहवाल

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छात्र संगठन के नेता ‘कैलाश कुमार’ की, देशविरोधी कारनामों के कारण की गयी गिरफ़्तारी को लेकर विवाद के जारी रहते ही, दिल्ली पुलीस ने इस सन्दर्भ में बहुत ही संवेदनशील अहवाल तैयार किया होने की बात स्पष्ट हुई है। इस अहवाल की जानकारी कुछ समाचारपत्रों में प्रकाशित की गयी होकर, ‘डेमोक्रॅटिक स्टुडंट्स युनियन’ (डीएसयू), ‘डेमोक्रॅटिक स्टुडंट फेडरेशन’ (डीएसएफ) के सदस्यों के द्वारा किये जानेवालें देशविरोधी कारनामें इस अहवाल में नमूद किये गए हैं। इसमें ‘सीआरपीएफ’ के जवानों की हत्या के बाद जल्लोष मनाया जाने का, महिषासुर की उपासना का तथा ‘जेएनयू’ के हॉस्टेल के मेस में ‘बीफ’ की माँग, इन बातों का भी समावेश है।

‘जेएनयू’ में ९ फ़रवरी को अफ़ज़ल गुरु की फ़ाँसी के विरोध में आयोजित किये गए कार्यक्रम में देशविरोधी नारें लगाये गए थे। इसपर गंभीरतापूर्वक ग़ौर करके, ‘डीएसयू’ के नेता कन्हैया कुमार को देशद्रोह का आरोप लगाकर ग़िरफ़्तार किया गया होकर, न्यायालय ने उसे २ मार्च तक न्यायालयीन कोठरी में रखने के आदेश दिये हैं। साथ ही, उसका सहकर्मी रहनेवाले ‘उमर खालिद’ की खोज जाँचपथक कर रहा है। लेकिन कन्हैया कुमार निर्दोष होकर उसने किसी भी प्रकार के देशविरोधी कारनामें किये नहीं हैं, ऐसे दावे करके उसकी रिहाई की माँग की जा रही है। इसके लिए प्रदर्शन शुरू रहते ही, दिल्ली पुलीस ने ‘जेएनयू’ में शुरू रहनेवाले देशविरोधी कारनामों की जानकारी देनेवाला अहवाल तैयार किया है।

कुछ समाचारपत्रों में प्रकाशित हुए अहवाल में, ‘डीएसयू’ के द्वारा की जानेवालीं कुछ आक्षेपार्ह बातें स्पष्ट रूप में नमूद की गयीं हैं। सन २०१० में ‘सीआरपीएफ़’ के ७६ जवान माओवादियों द्वारा मारे जाने पर, ‘डीएसयू’ के सदस्यों ने जल्लोष मनाया था। नवरात्रि के दौर में दुर्गामाता के पूजन के बदले इस संगठन के सदस्यों द्वारा ‘महिषासुर’ की उपासना की गयी थी। साथ ही हॉस्टेल के मेस में ‘बीफ़’ की भी माँग इस संगठन के सदस्यों द्वारा की गयी होने की बात भी इस अहवाल में बतायी गयी है।

९ फ़रवरी से पहले, कश्मीर पर के भारत के तथाकथित (सो-कॉल्ड) आक्रमण की जानकारी देनेवाली ‘डॉक्युमेंटरी’ ‘जेएनयू’ में दिखाने की तैयारी ‘डीएसयू’ के सदस्यों ने की थी। उसका ‘जेएनयू’ के प्रशासन द्वारा विरोध किया जाने पर ‘डीएसयू’ के सदस्यों ने तीव्र ग़ुस्सा व्यक्त किया था। उस समय ‘डीएसयू’ के सदस्यों ने ‘अफ़ज़ल गुरु’ तथा ‘मक़बूल बट्ट’ के समर्थन में नारेबाज़ी की होने की बात इस अहवाल में दर्ज़ की है, ऐसा समाचारपत्रों ने अपने वृत्त में कहा है।

हालाँकि उपरोक्त अहवाल कुछ समाचारपत्रों में प्रकाशित हुआ है, मग़र फिर भी दिल्ली के पुलीस कमिशनर बी. एस. बस्सी ने ‘यह अहवाल न्यायालय में प्रस्तुत नहीं किया गया है’ ऐसा कहा है। कुछ सरकारी विभागों के पास हालाँकि इस संदर्भ में अहवाल सुपूर्त किया गया है, मग़र फिर भी उसे सार्वजनिक नहीं किया जा सकता, यह कहकर बस्सी ने समाचारपत्रों में प्रकाशित हुए इस अहवाल की पुष्टि करना टाला है।

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