अमरिकी सेना की ‘डार्पा’ सैनिकों के दिमाग से नियंत्रित होनेवाले ड्रोन्स विकसित करने की कोशिश में

Third World Warवॉशिंगटन: अमरिकी सेना की ‘एडव्हान्स रिसर्च प्रोजेक्टस् एजन्सी’ (डीएआरपीए-डार्पा) ने किसी सैनिक के दिमाग से नियंत्रित होनेवाले ‘ड्रोन्स’ एवं ‘कम्प्युटर सायबर डिफेन्स’ विकसित करने की कोशिश शुरू की है| यह परियोजना ‘ब्रेन कम्प्युटर इंटरफेस’ (बीसीआई) के तहेत शुरू है| अमरिका के एक महाविद्यालय ने आयोजित किए कार्यक्रम के दौरान इस आविष्करण की जानकारी उजागर हुई| इस बारे में समाचार प्राप्त हो रहा था तभी अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने ‘छोटे ड्रोन्स’ का उत्पादन बढाने के आदेश पेंटॅगॉन को दिए है|

सैनिक के दिमाग से निकल रहे विचारों के लहरों से इन ड्रोन्स को आदेश प्राप्त होंगे और वह कार्यान्वित होंगे, ऐसी तकनीक विकसित करने की कोशिश ‘डार्पा’ कर रही है| लेकिन, इस तकनीक का प्रयोग करने के लिए संबधित सैनिक पर किसी भी प्रकार का आपरेशन करने की जरूरत नही रहेगी| इस तकनीक के लिए तैयार हो रहा हॅल्मेट सैनिक के दिमाग से जोडा जाएगा और इसके जरिए ड्रोन्स या कम्प्युटर सायबर डिफेन्स को सूचना देना मुमकीन होगा, यह जानकारी ‘राईस युनिव्हर्सिटी’ के प्रोफेसर जेकब रॉबिन्सन ने दी| साथ ही इस अविष्कार की पृष्ठभूमि भी रॉबिन्सन इन्होंने बयान की|

मेरे दिमाग में उठ रहे विचार और निर्णय की प्रक्रिया पर अमल करने के लिए सबसे पहले हमें शारीरिक गतिविधियां करना जरूरी होता है और यह करने पर ही हमें मशिन का इस्तेमाल करना मुमकिन होता है| यह प्रक्रिया पूरी होने के लि काफी समय लगता है| इस समय की बचत करने के लिए वह मशिन सीधे अपने दिमाग से कार्यान्वित करने की जरूरत है| ऐसा होता है तो यह प्रक्रिया काफी तेज हो सकेगी| इसी कारण ‘डार्पा’ वर्णित अविष्कार करने की कोशिश कर रही है| इस वजह से सैनिक अपने दिमाग से ही रोबोच, ड्रोन्स या कम्प्युटर सायबर डिफेन्स की यंत्रणा कार्यान्वित कर सकेगा| इसके लिए अलग कष्ट करने की जरूरत ही नही रहती, यह दावा जेकब रॉबिन्सन इन्होंने किया|

इस वजह से सिर्फ ५० मिलीसेकंद में ही यंत्रणाओं को सूचना प्राप्त होगी और वह कार्यान्वित हो सकेगी| इस वजह से समय में बचत होगी और इससे बचने वाला समय निर्णायक साबित होगा, यह संकेत प्रोफेसर रॉबिन्सन इन्होंने दिए है| यह तकनीक नई नही है| लेकिन, इस तकनीक का प्रयोग करेन के लिए सैनिक के दिमाग से जुडने के लिए किसी भी प्रकार के आपरेशन की जरूरत रही नही है, यह यकिनन नई बात है, यह दावा रॉबिन्सन इन्होंने किया| साथ ही इस यंत्रणा का गलत इस्तेमाल हो सकता है और इससे कई नैतिक एवं सामाजिक समस्या निर्माण हो सकती है, इसका अहसास भी रॉबिन्सन इन्होने दिलाया|

इस वजह से किसी के नीजि जीवन पर सहजता से अतिक्रमण हो सकता है, ऐसा प्रोफेसर रॉबिन्सन इनका कहना है| वर्ष २०२३ तक यह नई तकनीक कार्यान्वित हो सकेगी| इस वजह से विकलांग व्यक्ति भी दिमाग के जरिए ही यंत्रणा को सूचना देकर खुद का काम कर सकेंगे, यह जानकारी रॉबिन्सन इन्होंने दी| साथ ही यह तकनकी अगले १० से २० वर्षों तक बाजार में उपलब्ध होगी और हर किसी को प्राप्त होगी, ऐसा रॉबिन्सन इनका कहना है|

इस दौरान डार्पा के इस अविष्कार से नजदिकी समय में युद्धनीति में बदलाव होगा और इससे काफी बडे सामरिक परिणाम दिखाई देंगे| प्रोफेसर जेकब रॉबिन्सन इन्होंने दी हुई इस जानकारी की पृष्ठभूमि पर अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प इन्होंने पेंटॅगॉन को अहम आदेश देने का वृत्त प्रसिद्ध हुआ है| पेंटॅगॉन ने ‘स्मॉल ड्रोन्स’ यानी ‘छोटे ड्रोन्स’ का उत्पादन बढाने के लिए इस सूचना में कहा है| यह छोटे ड्रोन्स तैयार करने के लिए और इनकी मरम्मत के लिए जरूरी सामान की बडी मात्रा में खरीद करने की सूचना भी अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष ने की है|

इस तरह के ‘अनमॅन्ड एरियल सिस्टिम्स-यूएएस’ यानी ड्रोन्स का निर्माण अमरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए काफी अहम होगा, यह दावा भी राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने किया है|

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