चीन के ‘५जी’ के विरोध में ब्रिटन का ‘डी१० अलायन्स’ – ‘जी७’ देशों के साथ भारत, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण कोरिया का समावेश

लंडन – अमरीका द्वारा लगातार बढ़ाया जानेवाला दबाव और कोरोना महामारी तथा हाँगकाँग की पृष्ठभूमि पर चीन के विरोध में बढ़ रहा ग़ुस्सा, इन बातों को मद्देनज़र रखते हुए ब्रिटीश सरकार ने चीन के ‘५जी’ तंत्रज्ञान के विरोध में ‘डी१० अलायन्स’ का प्रस्ताव आगे बढ़ाया है। इस मोरचे में जी७ गुट के देशों के साथ ही भारत, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण कोरिया का समावेश होनेवाला है। अगले महीने में अमरीका में होनेवाली जी७ गुट की बैठक में इस मोरचे के प्रस्ताव पर चर्चा होगी, ऐसी जानकारी सूत्रों ने दी। ब्रिटन चीन की ‘हुवेई’ कंपनी को ‘५जी’ का काँट्रॅक्ट देनेवाले अग्रसर देशों में से एक होने के कारण, ब्रिटन द्वारा शुरू की गयीं ये नयीं गतिविधियाँ ग़ौरतलब साबित होतीं हैं।

5G China D10 Britanब्रिटन के प्रधानमंत्री बोरीस जॉन्सन ने, प्रस्तावित किये हुए ‘डी१० अलायन्स’ इस नये मोरचे के सन्दर्भ में सहयोगी देशों के साथ चर्चा शुरू की होने की जानकारी ‘द टाइम्स’ इस ब्रिटन के अग्रसर अख़बार ने दी है। प्रधानमंत्री जॉन्सन के कार्यालय से इस ख़बर की पुष्टि की गयी है। ‘५जी तंत्रज्ञान मार्केट में नयीं कंपनियों का भी सहभाग होना चाहिए, ऐसा ब्रिटन को लगता है। इसके लिए हमारे प्रयास शुरू हुए होकर, अमरीका के साथ सभी सहयोगी एवं मित्रदेशों से चर्चा शुरू की गयी है’, ऐसी जानकारी प्रधानमंत्री कार्यालय के प्रवक्ता ने दी।

चीन की ‘हुवेई’ यह कंपनी फिलहाल ‘५जी’ तंत्रज्ञान क्षेत्र में अग्रसर कंपनी के रूप में जानी जाती है। चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट हुक़ूमत और लष्कर के साथ बहुत ही क़रिबी संबंध होनेवाली इस कंपनी ने दुनिया के अधिकांश प्रमुख देशों में ‘५जी तंत्रज्ञान का जाल फ़ैलाने के लिए ज़ोरदार गतिविधियाँ शुरू कीं हैं। चीन की हुक़ूमत ने अपनी आर्थिक एवं व्यापारी ताकत का इस्तेमाल करके अफ़्रीका एवं एशिया महाद्वीप के कई देशों को ५जी तंत्रज्ञान के लिए हुवेई कंपनी के काँट्रॅक्ट का स्वीकार करने पर मजबूर किया है। युरोपीय देश भी हुवेई कंपनी को अनुमति दें, इसके लिए चीन की हुक़ूमत दबाव डाल रही है।

ब्रिटन के प्रधानमंत्री बोरीस जॉन्सन ने, इस वर्ष की शुरुआत में, ब्रिटन में ५जी तंत्रज्ञान का निर्माण करने के लिए ‘हुवेई’ कंपनी को अनुमति देने का फ़ैसला किया था। जॉन्सन के इस निर्णय की अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प और अन्य नेताओं ने ज़बरदस्त आलोचना की थी। पिछले कुछ महीनों से अमरीका का ट्रम्प प्रशासन विभिन्न मार्गों से जॉन्सन सरकार पर ‘५जी’ के मुद्दे को लेकर दबाव डालने की कोशिश कर रहा है। ‘हुवेई’ के सन्दर्भ में ब्रिटीश सरकार ने किये फ़ैसले का परिणाम, प्रस्तावित अमरीका-ब्रिटन व्यापारी समझौते पर हो सकता है, ऐसी चेतावनी भी अमरीका द्वारा दी गयी थी। इस महीने की शुरुआत में अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने, चीन की हुवेई कंपनी पर अधिक कठोर निर्बंध लगाने की घोषणा की थी। चिनी कंपनी पर निर्बंध लगाने की अमरीका की घोषणा के बाद, ब्रिटन ने चिनी कंपनी के निर्णय पर पुनर्विचार करने के लिए स्वतंत्र जाँच घोषित की। यह जाँच ब्रिटन के वरिष्ठ अधिकारी और गुप्तचर यंत्रणाओं के माध्यम से हो रही है। जाँच की रिपोर्ट हालाँकि प्रकाशित नहीं हुई है, फिर भी ब्रिटन की गुप्तचर यंत्रणाओं ने, अमरीका ने लगाए निर्बंधों की पृष्ठभूमि पर ‘५जी नेटवर्क’ का निर्माण करना ब्रिटन के लिए नामुमक़िन होगा, ऐसी चेतावनी दी है। इस कारण ब्रिटन ने आखिरकार चीन के ५जी तंत्रज्ञान के लिए विकल्प ढूँढ़ने की कोशिशें शुरू कीं हैं।

D10 Britainप्रधानमंत्री जॉन्सन द्वारा ‘डी१० अलायन्स’ मोरचे का प्रस्ताव रखा जाना, यह इन्हीं कोशिशों का भाग साबित होता है। इस मोरचे में ‘जी७’ इस दुनिया के प्रमुख देशों के गुट के साथ भारत, ऑस्ट्रेलिया एवं दक्षिण कोरिया को मिलाकर १० देशों का समावेश होगा। इस मोरचे के सन्दर्भ में पहली महत्त्वपूर्ण बैठक अगले महीने अमरीका में होनेवाली ‘जी७’ परिषद में होगी, ऐसी जानकारी जॉन्सन सरकार द्वारा दी गयी। ‘जी७’ गुट में अमरीका तथा ब्रिटन के साथ जर्मनी, इटली, फ्रान्स, जापान एवं कॅनडा इन देशों का समावेश है।

आंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ५जी तंत्रज्ञान क्षेत्र में अग्रसर होनेवालीं कंपनियों में चीन की ‘हुवेई’ तथा ‘झेडटीई’ इन कंपनियों के साथ ही युरोप की ‘एरिक्सन’ तथा ‘नोकिआ’, जापान की ‘एनटीटी’, दक्षिण कोरिया की ‘सॅमसंग’ और अमरीका की ‘वेरीझोन’ न कंपनियों का समावेश होता है। कोरोना की महामारी और हाँगकाँग के लिए लाया हुआ क़ानून, इनके कारण जागतिक स्तर पर फिलहाल चीन के ख़िलाफ़ तीव्र असंतोष है। इसी असंतोष की पृष्ठभूमि पर दुनिया के कुछ प्रमुख देश, चीन ने अब तक आर्थिक, व्यापारी एवं तंत्रज्ञान क्षेत्र में तैयार की हुई शृंखला तोड़ने के प्रयास कर रहे हैं। इनमें अमरीका और ब्रिटन अग्रसर हैं। ब्रिटन की जॉन्सन सरकार ने प्रस्तावित किया हुआ ‘डी१० अलायन्स’, तंत्रज्ञान क्षेत्र में चीन का वर्चस्व तोड़ने के लिए अहम भूमिका अदा कर सकता है।

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