अफगानिस्तान से हटाए गए अमरीका और नाटो के लष्कर को तैनात करने से ‘सीएसटीओ’ के सदस्य देशों का इन्कार

CSTO-afghan-us-nato-1दुशांबे – अफगानिस्तान से वापसी किए अमरीका और नाटो सदस्य देशों के जवान तथा अन्य लष्करी यंत्रणाओं को तैनात करा लेने से ‘सीएसटीओ’ गुट के सदस्य देशों ने इन्कार किया है। उसी समय, अमरीका और नाटो देशों ने रिहा किए अफगानी नागरिकों को भी आश्रय नहीं दिया जाएगा, ऐसा ‘सीएसटीओ’ द्वारा बताया गया। ‘कलेक्टिव्ह सिक्युरिटी ट्रिटी ऑर्गनायझेशन’(सीएसटीओ) यह रशिया की पहल से स्थापन किया गया गुट होकर, उसमें मध्य एशियाई देशों का समावेश है।

ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में ‘सीएसटीओ’ सदस्य देशों के विदेश तथा रक्षा मंत्रियों की स्वतंत्र बैठक हुई। इनमें से विदेश मंत्रियों की बैठक में, अफगानिस्तान संदर्भ में फैसला किया गया होने की जानकारी दी गई है। ‘अमरीका तथा अन्य नाटो सदस्य देशों की अफगानिस्तान से बाहर निकलीं लष्करी टुकड़ियों और यंत्रणाओं को सीएसटीओ देशों में तैनात नहीं किया जाएगा। उसी समय, अफगानिस्तान में विदेशी लष्करी टुकड़ियों को मदद करनेवाले अफगानी नागरिकों को भी आश्रय नहीं दिया जाएगा’, ऐसा ‘सीएसटीओ’ सदस्य देशों के निवेदन में स्पष्ट किया गया है।

CSTO-afghan-us-nato-2अफगानिस्तान से बाहर निकलनेवाले नागरिकों को केवल मानवतावादी भूमिका से ही आश्रय दिया जाएगा, ऐसा भी निवेदन में बताया गया है। तालिबान ने पिछले महीने अफगानिस्तान पर कब्ज़ा करने के बाद दिए हुए सभी आश्वासनों का वह पालन करें, ऐसी आग्रही माँग भी की गई है। अफगानिस्तान में अंतर्गत शांति प्रक्रिया शुरू हो, ऐसी ‘सीएसटीओ’ सदस्य देशों की भूमिका होकर, वांशिक गुट आपस में संघर्ष टालें, ऐसा आवाहन भी किया गया है।

इसी बीच, अफगानिस्तान में तालिबान की हुकूमत में आतंकवाद से होनेवाले बढ़ते खतरे को मद्देनज़र रखते हुए, ताजिकिस्तान और अफगानिस्तान सीमा पर सुरक्षा बढ़ाने का फैसला भी ‘सीएसटीओ’ सदस्य देशों की बैठक में किया गया। आतंकवाद का खतरा, नशीली पदार्थों की तस्करी और शरणार्थियों के समूहों को रोकने के लिए अतिरिक्त टुकड़ियाँ तैनात की जाएँगी, ऐसा ‘सीएसटीओ’ द्वारा बताया गया। ‘सीएसटीओ’ में रशिया समेत ताजिकिस्तान, किरगिझिस्तान, कझाकस्तान, आर्मेनिया और बेलारुस इन देशों का समावेश है।

अफगानिस्तान से अमरीका और नाटो ने की वापसी की अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ज़बरदस्त आलोचना हो रही है। हालाँकि इन देशों ने वापसी पूरी होने के दावे किए हैं, फिर भी अमरीका और नाटो की सहायता करनेवाले हज़ारों नागरिक अभी भी अफगानिस्तान में फँसे माने जाते हैं। उनकी रिहाई के लिए अफगानिस्तान की सीमा से सटे देशों की मदद लेने के संकेत अमरीका और युरोपीय देशों ने दिए थे। लेकिन ‘सीएसटीओ’ देशों ने किये इन्कार के कारण अमरीका और नाटो की मुश्किलें बढ़ी हुईं दिख रही हैं।

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