ईरान पर लगाए प्रतिबंधों की वजह से ईंधन के दामों में उछाल – प्रति बैरल ७५ डॉलर्स

Third World Warलंदन: अमरिका ने ईरान के ईंधन व्यापार के विरोध में कसें हुए फंदे का असर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दिखाई देने लगा है| अमरिका ने किए घोषणा के बाद केवल ३ दिनों में कच्चे तेल के दामों में बडा उछाल हुआ है और यह दाम सीधे ७५ डॉलर्स पर जा पहुंचे हैं| ईरान के विरोध में निर्णय किए इस निर्णय का वास्तव में अमल शुरू होने पर ईंधन के दामों में अधिक उछाल होने की आशंका है| इस दौरान ईंधन के दा प्रति बैरल ८० डॉलर्स या उससे अधिक होने का दावा विश्‍लेषकों ने किया है|

नए वर्ष की शुरुआत में कच्चे तेल के दाम ६० डॉलर्स के नीचे गिरे थे पर पिछले ४ महीनों में उस में लगातार बढ़ोतरी होती दिखाई दे रही है|

इसके लिए ईरान एवं व्हेनेजुएला पर लगाए प्रतिबंध, लीबिया में शुरू संघर्ष, ब्रेक्जिट के बारे में बनी अनिश्चितता जैसे घटक जिम्मेदार है| ऐसे में ही पिछले कुछ दिनों से सुदान में शुरू हुए आंदोलन ने ईंधन के दामों में बढ़ोतरी करने के लिए सहायता की है|

ईरान, लगाए, प्रतिबंधों, वजह, ईंधन, दामों, उछाल, प्रति बैरल, ७५ डॉलर्स, लंदनइस पृष्ठभूमि पर सोमवार को अमरिका ने ईरान के साथ ईंधन आयात करनेवाले चुनिंदा देशों को दी सहुलियत हटाने की घोषणा की थी| आनेवाले २ मई से अमरिका ने ईरान पर लगाए प्रतिबंधों का अमल शुरू होगा| अमरिका के इन निर्णयों की वजह से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ईंधन के दाम भड़कने का डर व्यक्त किया जा रहा था| यह डर वास्तव में उतरा है और केवल ३ दिनों में ईंधन के दामों में दो बार उछाल हुआ है|

मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम ७४ डॉलर्स प्रति बैरल तक उछले थे| उसके बाद केवल २ दिनों में तेल के दामों ने फिर से उछाल लिया था| ऐसे में गुरुवार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दाम ७५.०१ डॉलर्स दर्ज हुए हैं| अमरिका में कच्चे तेल के दाम भी ६५ डॉलर्स के ऊपर गए हैं| यह पिछले ६ महीनों में उच्चतम होने की बात कही जा रही है|

ईरान पर हुए निर्णय का अमल होने से पहले, ईंधन के दामों में उछाल आने से आनेवाले समय में इसमें अधिक बढ़ोतरी होने के संकेत विश्‍लेषकों ने दिए हैं| अमरिका में वाहन निर्माण कंपनियां एवं संबंधित क्षेत्र में गुटों का प्रतिनिधित्व करनेवाले संस्थाओं ने आनेवाले दिनों में ईंधन के दाम प्रति गैलन (३.७८ लीटर) ३ डॉलर्स तक बढेंगे, ऐसी चेतावनी दी थी|

ईरान के निर्णय को कार्यान्वित करना शुरू होते समय सुदान, लीबिया, जैसे ईंधन उत्पादक देशों की स्थिति अराजक सदृश बनी है| जिसकी वजह से इन देशों में ईंधन का उत्पादन एवं निर्यात बढ़ाने की आशंका नहीं है| उस समय रशिया तथा ओपेक संगठन के सदस्य देशों ने कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाने के बारे में ठोस संकेत नहीं दिया है| रशिया प्लस ओपेक की बैठक जून महीने में होनेवाली है| तबतक कच्चे तेल के दाम ऊपर ही रहेंगे ऐसा माना जा रहा है|

अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने ईरान पर प्रतिबंध जारी करते समय सऊदी अरेबिया एवं सहयोगी देश ईंधन के प्रदाय की जिम्मेदारी लेंगे, ऐसा दावा किया था| पर अबतक उसे सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली है| जिसकी वजह से कच्चे तेल के दाम प्रति बैरल लगभग ८० डॉलर्स अथवा उससे अधिक होने की आशंका है|

दौरान अमरिका में ईंधन उत्पादन में लगातार बढ़ोतरी हो रही है और देश में कच्चे तेल का उत्पादन प्रतिदिन १.२२ करोड़ बैरल्स इस ऐतिहासिक स्तर पर पहुंचने की जानकारी दी गई है|

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