ओपेक एवं रशिया के संगठन को विरोध किया तो ईंधन के दाम ३०० डॉलर्स तक भड़केंगे – सऊदी के अभ्यास गट की चेतावनी

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रियाध – सन २०११-१२ वर्ष में लिबिया में भड़के हुए गृहयुद्ध का परिणाम ईंधन प्रदाय पर हो रहा है। इसकी वजह से ईंधन के दाम बढ़े हैं। तब जो कुछ हुआ था वह भविष्य में भी हो सकता है। सऊदी अरेबिया और रशिया का समभाग होनेवाली ‘ओपेक प्लस’ यह नई संगठन मंजूर नहीं की तो ईंधन के दाम ३०० डॉलर्स प्रति बैरल तक जाएंगे, ऐसी चेतावनी सऊदी अरेबिया के एक अभ्यास गट ने दी है।

इसीलिए इंधन दामों में बढ़ोतरी रोकने के लिए ओपेक तथा ओपेक सदस्य ना होनेवाले ईंधन संपन्न देशों में संतुलन रखना आवश्यक होने की बात सऊदी के अभ्यास गटने रेखांकित की है। सऊदी एवं रशिया में बढ़ते सहयोग पर ईरान के लिए आक्षेप को उत्तर देने के लिए सऊदी अरेबिया के अभ्यास गटने यह चेतावनी दी है। पर इस संदर्भ में ईरान का सीधा नाम उल्लेख अभ्यास गटने टाला है।

अतिरिक्त ईंधन प्रदायक के डर से मंगलवार को अंतर्राष्ट्रीय बाजार में ईंधन के दाम ७ प्रतिशत गिरे हैं। पिछले १६ महीनों में ईंधन के दामों में इतनी बड़ी गिरावट हुई है। अमरिका एवं रशिया से होनेवाले ईंधन प्रदाय में बढ़ोतरी होने की आशंका की वजह से ईंधन के दाम गिरने का दावा किया जा रहा है। उसमें अमरिका ने ईरान के ईंधन पर जारी किए कठोर प्रतिबंधों की वजह से ईंधन के दाम में अनियमितता होने की बात कही जा रही है। इसकी वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में ईंधन का प्रदाय एवं दामों को स्थिरता देने के लिए पिछले कई महीनों से ऊपर प्रभाव होने वाले सऊदी अरेबिया के साथ सहयोग शुरू किया है।

अमरिका के ईरान पर प्रतिबंध की वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में ईंधन का प्रदाय एवं दाम इनमें संतुलन रखने के लिए सऊदी एवं रशिया ने महत्वपूर्ण निर्णय लिए थे। खाड़ी क्षेत्र में अन्य अरब देशों ने सऊदी के इस निर्णय को अपना समर्थन दिया था। पर सऊदी एवं रशिया में इस संगठन पर ईरान ने आलोचना की थी। ईंधन के प्रकार के बारे में सऊदी एवं रशिया की गतिविधियों के नियमों का उल्लंघन होने का आरोप ईरान ने किया था। ईरान के इस भूमिका को इराक एवं वेनेज़ुएला इन देशों ने समर्थन दिया था पर ईरान के ओपेक विरोधी भूमिका का परिणाम अंतरराष्ट्रीय बाजार के ईंधन के दामों पर होने की आशंका जताई जा रही है।

ओपेक सदस्य एवं खाड़ी क्षेत्र में प्रमुख ईंधन उत्पादक देश होनेवाले ईरान की भूमिका पर सऊदी एवं रशिया ने प्रतिक्रिया देने की बात टाली थी। पर सऊदी एवं रशिया में इस ओपेक प्लस संगठन पर किंग अब्दुल्लाह पैट्रोलियम स्टडीज एंड रिसर्च सेंटर’ इस सऊदी के ‘अभ्यास गट के अध्यक्ष एवं सी मिंस की ने ईरान को लक्ष्य करके अपना मत दर्ज किया है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में ईंधन तथा गैस प्रदाय और दाम ठहराने के लिए ओपेक की आवश्यकता है। ओपेक अगर अस्तित्व में नहीं होगी, तो ईंधन के प्रदाय पर एवं दामों पर किसी का भी नियंत्रण नहीं होगा, ऐसा सिमिन्स्की ने सूचित किया है। इसके लिए सिमिन्स्की की ने लिबिया के भूतपूर्व हुकुमशाह मुअम्मर गद्दाफी के विरोध में भड़के हुए गृहयुद्ध की याद दिलाई है।

इस गृह युद्ध के समय में लिबिया में ईंधन का प्रदाय संकट में आने की वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में ईंधन के दाम बढ़े थे। सऊदी एवं रशिया की ओपेक प्लस ना होती तो २०१८ वर्ष में ईंधन के दाम ३०० डॉलर्स पर गए होते, इसकी तरफ सिमिन्स्की ने ध्यान केंद्रित किया है। तथा सऊदी एवं रशिया के संगठन मंजूर नहीं किया या उसमें बाधा निर्माण की तो ईंधन की दाम नहीं रोके जा सकते, ऐसी चेतावनी सिमिन्स्की ने दी है। ओपेक में सऊदी के ईंधन निवेश का हिस्सा बहुत बड़ा होकर ओपेक के सदस्य होनेवाले रशिया से यूरोपीय देशों को बहुत बड़े तादाद में नैसर्गिक वायु का प्रदान किया जाता है, इसका एहसास सिमिन्स्की ने दिलाया है।

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