देश का कोयला क्षेत्र निजी कंपनियों के लिए खुला होगा – केंद्र सरकार ने किया बड़ा निर्णय

नई दिल्ली,  (वृत्तसंस्था) – आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीताराम ने कुछ अहम घोषणाएँ की हैं। सरकार ने कोयला खदानों पर स्थित अपना एकाधिकार ख़त्म किया हैं और इस क्षेत्र में व्यावसायिक उत्खनन शुरू होगा। कोल इंडिया लिमिटेड की खदानें अब निजी कंपनियों को भी उत्खनन करने के लिए उपलब्ध कराई जाएँगी। इस वजह से देश में बड़ी मात्रा में कोयले का उत्पादन होगा और कोयले की आयात पर हो रहा खर्च कम होगा। साथ ही सरकार ने गैसिफिकेशन को भी प्रोत्साहित करने का निर्णय किया हैं। इस क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं का विकास करने के लिए और साथ ही कोयला उत्पादन बढ़ाने के लिए ५० हज़ार करोड रुपयों का प्रावधान किया जाएगा, यह ऐलान वित्तमंत्री सीतारामन ने किया हैं।

देश में कोयला और अन्य खनिजों का बड़ा भंड़ार है। लेकिन, इनका सही इस्तेमाल नहीं हो सका हैं। कोयले का सबसे अधिक भंड़ार होनेवालें देशों की सूचि में भारत तीसरें स्थान पर है। लेकिन, फिर भी भारत काफ़ी बड़ी मात्रा में कोयले की आयात कर रहा है। देश के लिए आवश्‍यक कोयले का उत्पादन देश में ही करना संभव हो, इस लिए इस क्षेत्र पर बना सरकार का एकाधिकारख़त्म करने का निर्णय किया गया हैं, यह बात वित्तमंत्री सीतारामन ने कहीं। इसके अनुसार, निजी कंपनियों को कोयला उत्खनन से प्राप्त मुनाफ़े में सरकार का हिस्सा रखने की शर्त पर कोयला उत्खनन की अनुमति प्रदान की जायेगी, ऐसा सीतारामन ने कहा है।

भारत में कोयले का उत्खनन करने का काम सरकार की ‘कोल इंडिया लिमिटेड’ कंपनी के जरिये होता हैं। सन १९७५ में स्थापित की गई ‘कोल इंडिया लिमिटेड’ कंपनी आज दुनिया में सबसे बड़ी कोयला उत्पादक कंपनियों में से एक हुई है। लेकिन, सरकार अब निजी कंपनियों को भी कोयला उत्खनन करने की अनुमति प्रदान कर रही है। वर्ष २०२३-२४ तक देश में १०० करोड़ टन कोयला उत्पाद करने का लक्ष्य रखा गया हैं। देश में उपलब्ध नहीं होगा उसी प्रकार के कोयले की आयात की जाएगी। शेष कोयले की अधिकांश ज़रूरत देश में होनेवालें कोयले के उत्पादन से पूरी करने का उद्देश्‍य सरकार ने तय किया हैं। इसी वज़ह से इस क्षेत्र में निजी कंपनियों से बड़ा निवेश होने की संभावना बनीं हैं। इस नज़रिए से ५० नए खदानों का पारदर्शी पद्धती से जल्द ही लिलाव किया जाएगा, यह जानकारी भी सीतारामन ने साझा की।

इसके अलावा खनिज क्षेत्र के लिए भी वित्तमंत्री सीतारामन ने अहम घोषणाएँ कीं हैं। खनिज क्षेत्र में रचनात्मक सुधार करने का काम शुरू किया जाएगा, ऐसा सीतारामन ने कहा। बॉक्साइट और कोयले की खदानों का संयुक्त लिलाव होगा। इस प्रक्रिया में लगभग ५०० खदानों के लिए लिलाव होगा, यह ऐलान भी सीतारामन ने किया।

इसी बीच केंद्र शासित प्रदेशों में बिजली वितरण करनेवाली कंपनियों का निजीकरण होगा, यह ऐलान भी वित्तमंत्री सीतारामन ने किया। बिजली वितरण कंपनियों का निजीकरण करने से अच्छी सेवा उपलब्ध होगी। बिजली की सप्लाई बिना व्यत्यय होगी। इसमें ग्राहकों का विचार करकें बिजली कंपनियों की गलतियों का भार ग्राहकों को उठाना नही होगा, इस ओर ध्यान दिया जाएगा। बिजली की सप्लाई में कमी होने पर बिजली कंपनियों को दंडित किया जाएगा एवं बिजली के बील के लिए प्रदान हो रहीं सबसिड़ी सीधे बैंक में जमा होगी, इस पर काम शुरू हैं। केंद्र शासित बिजली वितरण व्यवस्था के निजीकरण का निर्णय एक मोड्यूल के तौर विकसित किया जा रहा हैं और अन्य राज्य भी इससे प्रेरणा लेंगे, यह उम्मीद सीतारामन ने व्यक्त की हैं।

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