अरुणाचल की सीमा से सटकर चीन द्वारा तीन गाँवों का निर्माण

नई दिल्ली – लद्दाख में भारत द्वारा मिले झटके के बाद चीन ने अब अरुणाचल प्रदेश के नज़दीक नयी ख़ुराफ़ात करने की गतिविधियाँ शुरू कीं हैं। भारत, भूतान और चीन की सीमाओं को जोड़नेवाले जंक्शन से कुछ ही दूरी पर चीन ने तीन नये गाँवों का निर्माण किया है। उपग्रहों द्वारा खींचे गए फोटोग्राफ्स के माध्यम से यह जानकारी सामने आयी। चीन की यह हरक़त अरुणाचल प्रदेश के भाग में भारत के ख़िलाफ़ संघर्ष का नया मोरचा खोलने की योजना का भाग होने का दावा विश्‍लेषकों ने किया है।

अरुणाचल की सीमा

भारत-चीन के बीच के सीमाविवाद में लगभग साढ़ेतीन हज़ार किलोमीटर्स की प्रत्यक्ष नियंत्रण रेखा का समावेश है। इसमें अरुणाचल प्रदेश की सीमा का भी समावेश होकर, उसका उल्लेख ‘दक्षिण तिब्बत’ करके, वह अपना ही भूभाग होने का दावा चीन कर रहा है। भारत ने आक्रामक भूमिका अपनाकर चीन का यह दावा स्पष्ट रूप से ठुकरा दिया है। भारत द्वारा अरुणाचल में बड़े पैमाने पर बुनियादी सुविधाओं का निर्माण शुरू किया गया है। उसी समय, इस इलाक़े में रक्षासिद्धता को भी बड़े पैमाने पर बढ़ाया गया है। इस पृष्ठभूमि पर, चीन ने अब अरुणाचल के नज़दीक नयीं गतिविधियों की शुरुआत करके भारत को फिर से उक़साया है।

पिछले ही महीने में चीन ने, अरुणाचल प्रदेश से सटे चीन के भाग में चल रही रेल परियोजना की गति बढ़ाने का ऐलान किया था। उसके बाद ब्रह्मपुत्रा नदी पर बड़े बाँध का निर्माण करने की गतिविधियाँ जारी होने की ख़बर सामने आयी थी। अब अरुणाचल की सीमा से सटकर होनेवाले अपने भाग में तीन गाँवों का निर्माण करना, यह भारतविरोधी योजना का अगला पड़ाव साबित होता है।

‘प्लॅनेट लॅब्स’ इस कंपनी ने भारत, भूतान और चीन की सीमाओं को जोड़नेवाले जंक्शन के नज़दीक के कुछ फोटोग्राफ्स प्रकाशित किय हैं। इन फोटोग्राफ्स में, इस साल के फ़रवरी महीने के तथा नवम्बर महीने के फोटोग्राफ्स का समावेश है। भारत के ‘बुमला पास’ के नाम से जाने जानेवाले भाग से महज़ पाँच किलोमीटर की दूरी पर चीन ने तीन छोटे गाँवों का निर्माण किया दिख रहा है। छोट्या गावांची उभारणी केल्याचे दिसत आहे. या गावांना जोडण्यासाठी डामरी सड़कों का निर्माण किया होने की बात भी सामने आयी है। इन गाँवों में ५० से अधिक घर बनाये गए होने की बात फोटोग्राफ्स में स्पष्ट रूप से दिखायी देती है।

चीन ने इस प्रकार गाँवों का निर्माण करके उक़साने की कोशिश करने की यह दूसरीं घटना है। कुछ दिन पहले चीन ने भूतान की सीमा में घुसपैंठ करके गाँवों का निर्माण किया होने की बात सैटेलाईट्स के फोटोग्राफ्स में से सामने आयी थी। भूतान में की यह घुसपैंठ डोकलाम से महज़ सात किलोमीटर्स की दूरी पर है।

लद्दाख की ‘एलएसी’ के मुद्दे पर आठ बैठकें होने के बाद भी, भारत और चीन के बीच का तनाव अभी तक कम नहीं हुआ है। बल्कि चर्चा जारी रहते समय ही, चीन नयी तैनाती कर रहा होने की ख़बर सामने आ रही है। चीन के इन क़ारनामों को भारत ने दृढ़ भूमिका अपनाते हुए प्रत्युत्तर दिया है। लद्दाख से लेकर अरुणाचल तक भारत ने अपनी रक्षासिद्धता बढ़ायी होकर, लष्कर समेत हवाईदल तथा नौसेना भी पूरी तैयारी में होने के स्पष्ट संकेत दिये हैं। इस कारण चीन की बेचैनी बढ़ रही होकर, भारत पर का दबाव बढ़ाने के लिए चीन जानतोड़ कोशिशें कर रहा है।

लेकिन लद्दाख की प्रत्यक्ष नियंत्रण रेखा पर भारतीय सैनिकों के सामने अपनी दाल नहीं गल रही है, यह ध्यान में आ जाते ही चीन अन्य स्थानों से भारतीय लष्कर पर दबाव बढ़ाने की तैयारी में है, यह इससे फिर एक बार स्पष्ट हुआ है। पूर्व लष्करी अधिकारी तथा सामरिक विश्‍लेषकों ने भारतीय लष्कर को इसकी पहले ही पूर्वसूचना दी थी कि चीन ऐसे दाँवपेंचों का इस्तेमाल कर सकता है। भारतीय लष्कर के साथ ही, वायुसेना ने भी चीन के साथ की प्रत्यक्ष नियंत्रण रेखा पर अपनी सिद्धता बढ़ायी है। इस कारण, लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक की प्रत्यक्ष नियंत्रण रेखा पर, कहीं पर भी घुसपैंठ अथवा हरक़त की कोशिश यदि चीन ने की ही, तो उसका मुखभंग करनेवाला प्रत्युत्तर देने की पूर्ण सिद्धता भारतीय सेनादलों ने रखी है।

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