सामरिक नज़रिये से अहम ‘ज़ोजिला टनेल’ का निर्माण कार्य शुरू

नई दिल्ली – श्रीनगर और लेह को जोड़नेवाले ‘ज़ोजिला टनेल’ का निर्माण कार्य शुरू हुआ है। केंद्रीय सड़क परिवहन, राजमार्ग मंत्री नितीन गड़करी ने वीडियो कान्फरन्सिंग के माध्यम से बटन दबाकर इस टनेल के निर्माण कार्य के लिए पहला विस्फोट किया। इस टनेल की वजह से श्रीनगर और लेह के बीच सालभर यातायात जारी रह सकेगी।

श्रीनगर-कारगिल-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग पर ज़ोजिला पास ११,५७८ फिट उंचाई पर है। ठंड़ के मौसम में वहां पर भारी मात्रा में हिमपात होता है। इस वजह से ज़ोजिला पास से वर्ष के मात्र छह महीने ही सड़क परिवहन संभव होता है। लेकिन, ‘ज़ोजिला टनेल’ का निर्माण होने पर वर्ष के १२ महीने लेह-श्रीनगर के बीच सड़क परिवहन हो सकेगा। इसके अलावा यह टनेल निर्माण होने से इस मार्ग की यात्रा ३ घंटों की बजाय मात्र १५ मिनिट में पूरी करनी संभव होगी। वर्तमान में यह रास्ता सड़क यातायात के लिए विश्‍व का सबसे खतरनाक मार्ग है।

‘ज़ोजिला टनेल’ की लंबाई १४.१५ किलोमीटर रहेगी और यह प्रकल्प भौगोलिक नज़रिये से संवेदनशील होने की बात गडकरी ने कही है। यह टनेल सबसे लंबी सुरंगपथ साबित होगा और इस टनेल की वजह से इस क्षेत्र की आर्थिक स्थिति सुधारने में भी बड़ी सहायता होगी। साथ ही स्थानिकों के लिए रोजगार भी उपलब्ध होगा, यह बात गडकरी ने रेखांकित की। सुरक्षा और दर्जा से किसी भी तरह का समझौता किए बिना इस टनेल के ‘प्लैन’ की पूराहोगा।

कारगिल, द्रास और लद्दाख के नागरिक बीते ३० वर्षों से ज़ोजिला टनेल का निर्माण करने की माँग कर रहे थे। आखिर में उनकी प्रतिक्षा खत्म हुई है। इस टनेल का काम पूरा होने पर यह आधुनिक भारत के इतिहास की सबसे अहम उपलब्धि साबित होगी। लद्दाख, गिलगित-बाल्टिस्तान के बीच चीन और पाकिस्तान की गतिविधियां और वहां पर आपात स्थिति निर्माण होने पर सेना को तेज़ गति से सामान पहुँचाने के लिए यह मार्ग सामरिक नज़रिये से बड़ा अहम सबित होगा।

सुरक्षा के नज़रिये से सरहदी क्षेत्र की बुनियादी सुविधाओं में सुधार किया जा रहा है। सीमा पर अल्पावधि में बड़ी संख्या में सेना की तैनाती करने के लिए चीन ने अपने क्षेत्र में बड़ी मात्रा में बुनियादी सुविधाओं का निर्माण किया है। इस पृष्ठभूमि पर भारत ने भी सरहदी क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं के निर्माण कार्यों को गति दी है। भारत ने चीन की सीमा से जुड़े क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं के निर्माण कार्य के प्रकल्प पूरे करने के लिए जोर दिया है। दो दिन पहले ही चीन और पाकिस्तान की सीमा के करीबी क्षेत्र में बने ४४ पुलों का भारतीय रक्षामंत्री ने उद्घाटन किया था। इससे पहले ‘अटल टनेल’ का प्रधानमंत्री के हाथों उद्घाटन किया गया था।

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