ब्रिटन , फ्रांस और जर्मनी की गुप्तचर संस्थाओं के बीच सहकार्य अनिवार्य- तीनों देशों के गुप्तचर प्रमुखों का इशारा

म्युनिक: अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद, अवैध स्थानांतरण, परमाणु प्रसार और सायबर हमलों को रोकना है, तो एकजुट होकर काम करना ही होगा, ऐसी घोषणा ब्रिटन, फ़्रांस और जर्मनी इन देशों के गुप्तचर प्रमुखों ने की है। म्युनिक में पूरी हुई सुरक्षा विषयक बैठक में तीनों देशों के गुप्तचर प्रमुखों ने संयुक्त निवेदन प्रसिद्ध कर के इस बारे में अपनी भूमिका स्पष्ट की है। ब्रिटन ने यूरोपीय महासंघ से बाहर निकलने की तैयारी करने के बाद ब्रिटन का यूरोपीय देशों के साथ यह सुरक्षा विषयक सहकार्य खतरे में आने की चर्चा शुरू हुयी थी। उस पृष्ठभूमि पर गुप्तचर प्रमुखों ने प्रसिद्ध किए इस संयुक्त निवेदन को राजनीतिक महत्व प्राप्त हुआ है।

ब्रिटन ने यूरोपीय महासंघ से बाहर निकलने का फैसला किया है। इन दिनों ब्रिटन में इन ‘ब्रेक्झिट’ परिणामों पर जोरदार चर्चा शुरू हुयी है। ब्रेक्झिट की वजह से ब्रिटन का यूरोपीय देशों के साथ सुरक्षा विषयक सहकार्य और गोपनीय जानकारी का आदानप्रदान रुक जाएगा, यह चिंता व्यक्त की जा रही है। ब्रिटन की प्रधानमंत्री ‘थेरेसा मे’ इस सुरक्षा विषयक सहकार्य के लिए आग्रही न होने की बात भी सामने आयी थी। लेकिन ब्रिटन की गुप्तचर संस्था ‘एमआय-६’ के प्रमुख ‘अलेक्स यंगर’ को यह बात मान्य नहीं है, यह सामने आया है। जर्मनी के म्युनिक शहर में पूरी हुयी इस सुरक्षा विषयक बैठक में यह बात स्पष्ट हुयी है।

इस बैठक में ‘एमआय६’ के प्रमुख ‘अलेक्स यंगर’ के साथ फ़्रांस की गुप्तचर एजेंसी ‘जीजीएसई’ के प्रमुख बर्नाड इमी और जर्मनी की गुप्तचर संस्था ‘बीएनडी’ के प्रमुख ‘ब्रुनो खाल‘ शामिल हुए थे। तीनों देशों के गुप्तचर प्रमुखों के बीच हुई चर्चा के बाद संयुक्त निवेदन प्रसिद्ध किया गया। ‘आने वाले समय में भी अपना प्रभाव कायम रखकर सुरक्षा विषयक चुनौतिओं का सामना करना है, तो पहले की तरह गुप्तचर संस्थाओं को एकदूसरे के साथ सहकार्य करना ही पडेगा’, ऐसा इस निवेदन में स्पष्ट किया गया है।

‘आधुनिक काल के खतरों को आधुनिक काल में सुसंगत साबित होगा, ऐसा ही जवाब देना पडेगा। इस मोर्चे पर असफलता भयंकर परिणाम करने वाली हो सकती है। इसीलिए इन खतरों का मुकाबला करने के लिए गुप्तचर संस्थाओं का सहकार्य और साझेदारी की आवश्यकता है’, ऐसे सीधे शब्दों में तीनों गुप्तचर प्रमुखों ने अपनी भूमिका रखी। साथ ही यूरोपीय देशों का लोकतंत्र और उदारमतवादी मूल्यों के बारे में किसी भी प्रकार का समझौता मुमकिन नहीं है, इस की सुरक्षा के लिए गुप्तचर संस्थाओं के बीच सहकार्य अत्यावश्यक है, ऐसा दावा इस निवेदन में किया गया है।

‘एमआय-६’ के प्रमुख ‘अलेक्स यंगर’ का इस निवेदन में सहभाग ब्रिटन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे ने अपनाई भूमिका से विसंगत होने का दावा मीडिया ने किया है। प्रधानमंत्री मे की यूरोपीय देशों के साथ गुप्तचर संस्थाओं के स्तरपर सहकार्य रोकने की भूमिका हमें मान्य नहीं है, यह ‘अलेक्स यंगर’ ने इस संयुक्त निवेदन के माध्यम से दिखा दिया है, ऐसा कहा जाता है।

ब्रिटन के यंगर ही नहीं बल्कि फ़्रांस और जर्मनी के गुप्तचर प्रमुखों ने भी इस संयुक्त निवेदन के माध्यम से राजनीतिक मतभेदों का परिणाम  सुरक्षा विषयक सहकार्य पर नहीं होना चाहिए, ऐसा संदेश अपने नेताओं को और जनता को भी दिया है, ऐसा दावा किया जा रहा है। इस संयुक्त निवेदन का परिणाम देखने को मिलेगा, ऐसी संभावना भी मीडिया ने जताई है।

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