‘कोवैक्सीन’ के तीसरे ‘बूस्टर डोस’ की क्लिनिकल ट्रायल को मंजूरी

नई दिल्ली – ‘भारत बायोटेक’ और ‘इंडियन कौन्सिल ऑफ मेडिकल रिसर्च’ (आयसीएमआर) ने संयुक्त कोशिश से विकसित किए ‘कोवैक्सीन’ का तीसरा ‘बूस्टर डोस’ देने का विचार किया जा रहा है। फिलहाल इस टीके का दूसरा डोस २८ दिनों के बाद दिया जाता है। कोरोना वायरस के म्युटेशन स्ट्रेन से सुरक्षित रहने के लिए तीसरा डोस देने का और भविष्य में इस वायरस का म्युटेशन रोकने का उद्देश्‍य इसके पीछे है। इसके लिए छह महीने बाद इस टीके का ‘बूस्टर डोस’ देना मुमकिन होगा या नहीं, इसकी जाँच की जा रही है और इससे संबंधित क्लिनिकल ट्रायल को विशेषज्ञों की समिति ने मंजूरी दी है।

covaccineकोरोना के विषाणु में बदलाव होकर इस विषाणु के नए स्ट्रेन लगातार सामने आ रहे हैं। इस वजह से भविष्य में कोरोना के नए स्ट्रेन से सुरक्षित रख सकेगी, क्या ऐसी रोग प्रतिरोधक शक्ति तीसरा डोस देकर निर्माण होगी? इसकी जाँच इस ‘बूस्टर डोस’ के परीक्षण से होगी। ‘कोवैक्सीन’ के क्लिनिकल ट्रायल के दौरान सितंबर और अक्तुबर में जिन स्वयंसेवी कार्यकर्ताओं ने कोरोना का टीका लगवाया था उन्हें अब यह ‘बूस्टर डोस’ दिया जाएगा।

भारत बायोटेक ने इससे संबंधित ‘कोवैक्सीन’ का तीसरा डोस देने से संबंधित प्रस्ताव स्वास्थ्य मंत्रालय के सामने रखा था। यह तीसरा डोस लगवाने के बाद रोग प्रतिरोधक शक्ति कुछ वर्ष बढ़ सकेगी, ऐसा अंदाजा है। इस वजह से कोरोना संक्रमण फिर से सर नहीं उठा सकेगा। इसका नया स्ट्रेन नहीं बनेगा, यह उम्मीद जताई जा रही है। इसके साथ ही इस परीक्षण से तीसरे डोस के ‘साईड इफेक्ट्स’ की भी जाँच होगी।

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