उत्तराखंड़ के सरहदी इलाके में चीनी सेना की घुसपैठ – भारतीय सेना के पहुँचने से पहले ही भाग खड़े हुए

लद्दाख के ‘एलएसी’ पर भारतीय सेना के सामने पूरी तरह से निष्प्रभ साबित हुई चीनी सेना ने अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा दोबारा प्राप्त करने के लिए नई कोशिशें शुरू की हैं। इसी के चलते चीनी सैनिकों ने बीते महीने उत्तराखंड़ के बाराहोती इलाके की सीमा से भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ करके वहां के एक पुल को नुकसान पहुँचाया। इस दौरान घुसपैठ करनेवाले चीनी सैनिकों की संख्या तकरीबन १०० थी और वह घोड़ों पर संवार होकर वहां पहुँचे थे, ऐसा कहा जा रहा है। लेकिन, भारतीय सेना वहां पर पहुँचने से पहले ही चीन के यह सैनिक वहां से भाग खड़े हुए। इसके बाद भारतीय सेना ने वहां पर तैनाती और गश्‍त बढ़ाई है।

उत्तराखंड़चीन लद्दाख के ‘एलएसी’ पर शांति स्थापित करने की भाषा बोल रहा है। साथ ही सीमा विवाद के मसले का असर द्विपक्षीय संबंधों पर नहीं पड़ना चाहिये, ऐसा कहकर चीन लगातार भारत से अधिकाधिक व्यापारी सहुलियत पाने की कोशिश कर रहा है। इसी दौरान लद्दाख के ‘एलएसी’ पर भारतीय सेना के सामने ना टिकनेवाला चीन अब अलग अलग मार्गों से भारत पर लष्करी दबाव ड़ालकर अपना सामर्थ्य साबित करने की आस लगाए हुए है। लद्दाख की गलवान घाटी में संघर्ष के बाद भारतीय सेना और वायु सेना ने ‘एलएसी’ पर अपना वर्चस्व बरकरार रखा है। इस वजह से चीनी सेना अपनी उकसानेवाली हरकतों पर लगाम लगाने के लिए मज़बूर हुई। लेकिन, ३० अगस्त के दिन चीनी सेना के तकरीबन १०० सैनिकों ने उत्तराखंड़ के बाराहोती इलाके में घुसपैठ की।

इस क्षेत्र में भारतीय सैनिकों की तैनाती नहीं है, इस पर गौर करके चीन के सैनिकों ने इस क्षेत्र में प्रवेश करके वहां के एक पुल को नुकसान पहुँचाया। लगभग तीन घंटों तक चीन के यह सैनिक वहां पर रुके थे। घोड़े पर संवार होकर इन सैनिकों ने इस क्षेत्र में घुसपैठ करने की जानकारी सामने आयी है। लेकिन, वहां पर भारतीय सैनिक पहुँचने से पहले ही चीन के घुसपैठी सैनिक वहां से भाग निकले। इस वजह से इन चीनी सैनिकों का भारतीय सैनिकों से सामना नहीं हुआ। इसके साथ ही भारतीय सैनिक पहुँचने से पहले ही वहां से भाग निकलने की तैयारी इन चीनी सैनिकों ने कर रखी थी, यह भी स्पष्ट हुआ है।

भारतीय सैनिकों ने इस घुसपैठ का गंभीर संज्ञान लिया है और इस क्षेत्र में तैनाती भी की है। साथ ही वहां पर गश्‍त भी बढ़ाई है। बीते कुछ हफ्तों से चीन ने लद्दाख एवं ‘एलएसी’ के अन्य इलाकों में अपनी तैनाती बढ़ाने की खबरें प्राप्त हो रही हैं। कुछ स्थानों पर चीन की सेना ने रशिया से खरीदी हुई ‘एस-४००’ हवाई सुरक्षा यंत्रणा की बैटरीज्‌ भी तैनात की हैं। इसके साथ ही ‘एलएसी’ के करीबी इलाके में स्थायी निर्माणकार्य करके चीन अपने सैनिकों को वहां पर हमेशा के लिए तैनात करने के संकेत दे रहा है।

भारतीय सेना ने मुँहतोड़ तैनाती करके चीन को प्रत्युत्तर दिया है। लगातार कोशिशों के बावजूद चीन की सेना भारतीय सेना को पीछे हटा नहीं पाई है। इसी बीच गलवान में हुए संघर्ष में भारतीय सैनिकों की वीरता का पूरे विश्‍व ने संज्ञान लिया था। भारतीय सेना चीन से टकराने की क्षमता रखती है और चीन को इस मोर्चे पर भारत के सामने झुकते हुए पूरे विश्‍व ने देखा था। इसके बाद अपना सामर्थ्य सबित करके हम भारत पर वर्चस्व बना सकते हैं, चीन यही दर्शाने की कोशिश में है। इस मोर्चे पर असफलता हासिल होने पर चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ने भारतीय सरहदी क्षेत्र के करीबी इलाको में चीनी सेना का नेतृत्व कर रहे तीन अफसरों का तबादला किया था। इससे चीन की स्थिति और भी स्पष्ट रूप से सामने आयी।

३० अगस्त के दिन घुसपैठ करते समय भी चीन की सेना ने भारतीय सेना से उन्हें सामना नहीं करना पड़ेगा, इस बात का पूरा ध्यान रखकर ही घुसपैठ की थी, यह बात स्पष्ट होती है। इससे चीन की सेना में लड़ने का साहस नहीं है और इस सेना के हौसले बुलंद ना होने की बात फिर से सामने आयी है।

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