चीन के सीमाक्षेत्र के नज़दीक ‘एएलजी’ का लोकार्पण

पासीघाट, दि. १९ (पीटीआय) – केंद्रीय गृहराज्यमंत्री किरेन रिजीजू ने, अरुणाचल प्रदेश के पासीघाट में ‘एडव्हान्स लैडिंग ग्राऊंड’ (एएलजी) को लोकार्पण किया| इससे, सामरिक पहलू से महत्त्वपूर्ण रहनेवाले इस चीन ऩजदीकी सीमाक्षेत्र में भारतीय वायुसेना के आधुनिक लड़ाकू तथा भारी-भरकम यातायात करनेवालें विमान उतर सकते है| इस कार्यक्रम के दौरान, गृहराज्यमंत्री किरेन रिजीजू ने, चीन की सेना भारतीय सीमाक्षेत्र का बार बार उल्लंघन कर रही है, ऐसा स्पष्ट किया| इसे उल्लंघन ही कहा जा सकता है, घुसपैंठ नहीं, ऐसा खुलासा रिजीजू ने किया है|

ALG-  ‘एएलजी’

पासीघाट के इस ‘एएलजी’ की वजह से, भारतीय वायुसेना के जत़्थे में रहनेवाले ‘सुखोई-३० एमकेआय’ जैसे सबसे आधुनिक विमान भी यहाँ उतर सकते हैं| इससे भारतीय वायुसेना, अर्धसैनिक दल और स्थानीय प्रशासन की क्षमता और भी बढ़ेगी, ऐसा दावा किया जाता है| आज़ादी के बाद पहली ही बार इस क्षेत्र में सभी स्तरों पर इतने व्यापक तरीक़े से विकास किया जा रहा है, ऐसा रिजीजू ने कहा| सन १९६२ में चीन ने किये आक्रमण के बाद ही बाक़ी देश को, देश के मुकुट का मानो हीरा ही रहनेवाले ईशान्य क्षेत्र के इस भूभाग के बारे में पता चला| लेकिन अब ईशान्य क्षेत्र के राज्यों की ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार सबसे ज़्यादा ध्यान दे रही है, ऐसा दावा रिजीजू ने किया|

प्रधानमंत्री अपने मंत्रीमंडल के सदस्यों को इस क्षेत्र का दौरा करने की सूचना देते हैं, ऐसी जानकारी रिजीजू ने दी| साथ ही, मंत्रिमंडल की महिला सदस्याएँ भी यहाँ के सीमाक्षेत्र में तैनात हुए लष्कर के जवानों को राखी बांधने के लिए आयी थीं, इसकी याद रिजीजू ने करा दी| इसी दौरान, चिनी जवानों ने भारत के सीमाक्षेत्र में पिछले महीने में दो बार प्रवेश किया, ऐसा रिजीजू ने कहा| ‘लेकिन इसको घुसपैंठ नहीं कह सकते, बल्कि यह भारतीय सीमाक्षेत्र का उल्लंघन है’ ऐसा कहकर रिजीजू ने इसके बारे में और कुछ बात करना टाल दिया|

ईशान्य के राज्यों के, चीन से सटे सीमाक्षेत्र में भारत नियोजनबद्ध रूप से अपने संरक्षण दलों की क्षमता में बढ़ोतरी कर रहा है| इस मामले में कुछ महत्त्वपूर्ण फ़ैसले किये गये हैं और उनपर तेज़ी से अमल भी हो रहा है| इसके तहत दुर्गम क्षेत्रों में सड़कों का निर्माण कराके, इन स्थानों पर टैंक और भारीभरकम लष्करी यातायात करनेवाले वाहनों की तैनाती का समावेश है| ‘एएलजी’ का निर्माण करके इस क्षेत्र में भारतीय वायुसेना की क्षमता बढ़ा दी गयी है| इसका बहुत बड़ा फ़ायदा भारतीय रक्षादलों को मिलनेवाला है| ख़ासकर चीन जब भारत के सीमाक्षेत्रवर्ती इलाकों में लष्करी गतिविधियाँ बढ़ाकर यहाँ बुनियादी सुविधाओं का विकास कर रहा है, इस पृष्ठभूमि पर, इस क्षेत्र में तैनात भारतीय रक्षादलों की क्षमता विकसित करना अनिवार्य बन गया है|

लेकिन यह काम करते हुए, किसी भी प्रकार से चीन को चुनौती देनेवाली भाषा भारतीय नेताओं द्वारा टाली जा रही है| केंद्रीय गृहराज्यमंत्री ने, चिनी जवानों से बार बार होनेवाली घुसपैंठ को ‘सीमाक्षेत्र का उल्लंघन’ बताकर इसपर सौम्य प्रतिक्रिया दी है, इसके पीछे भारत की यही नीति है, यह बात अधोरेखित हो रही है|

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