कर्जे के शिकंजे की वजह से चीन की अर्थव्यवस्था खतरे के मोड़ पर- अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का इशारा

वॉशिंगटन/बीजिंग: ‘चीन की अर्थव्यवस्था अनियंत्रित कर्ज और अर्थसहाय्य के शिकंजे की वजह से खतरे के मोड़ पर पहुंची है। चीन की यही नीति कायम रही, तो उसे एक जबरदस्त धक्का लगकर दीर्घकालीन आर्थिक संकट का झटका लगेगा, ऐसा कडा इशारा अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने दिया है। कर्ज और उसकी बुनियाद पर खड़े किए गए आर्थिक विकास दर के आंकड़ो के प्रभाव से बाहर निकलना है, तो चीन के सत्ताधारियों ने अभी निर्णायक कार्रवाई हाथों में लेनी होगी, ऐसी सलाह मुद्रा कोष ने दी है।

चीन के आर्थिक गलतियों की कीमत विश्व अर्थव्यवस्था को चुकानी पड सकती है, ऐसा डर भी मुद्रा कोष ने व्यक्त किया है। पिछले कुछ सालों से चीन की अर्थव्यवस्था पर कर्ज का दबाव बड़े पैमाने पर बढ़ने के इशारे अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय की ओर से दी जा रहे हैं। लेकिन आर्थिक विकास का दर अच्छा है, ऐसा दिखाने की जिद की वजह से चीन का सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट शासन इसकी तरफ सतत नजरअंदाज कर रहा है। चीन की विविध यंत्रणा और अधिकारी देश की अर्थव्यवस्था में कर्ज का दबाव बर्दाश्त करने की ताकत होने का दावा कर रहे हैं। लेकिन यह दावे टिकनेवाले नहीं हैं, ऐसा अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की नई रिपोर्ट से सामने आया है।

‘चाइनाज इकोनोमिक्स आउटलुक’ इस मुद्रा कोष की रिपोर्ट में चीनी अर्थव्यवस्था को लगी कर्ज की आदत पर तीखे शब्दों में टीका की गई है। पिछले साल चीन पर बना कर्जे का बोझ सकल राष्ट्रीय उत्पादन अर्थात ‘जीडीपी’ के २३५ प्रतिशत पर पहुँचने का इशारा देकर, आने वाले पांच साल में यह प्रमाण करीब ३०० प्रतिशत तक पहुँच सकता है, ऐसा डर व्यक्त किया जा रहा है, ‘अन्तर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के अब तक के अनुभव से, चीन की अर्थव्यवस्था की यह अनिर्बंध बढ़ोत्तरी चीन को खतरे के मोड़ पर लेकर गई है और इसका जबरदस्त झटका चीन की अर्थव्यवस्था को लग सकता है। चीन की अर्थव्यवस्था को मंदी का झटका भी लग सकता है, ऐसा इशारा भी मुद्रा कोष ने दिया है।

अमरीका के गृहकर्जों के संकट की वजह से अन्तर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था मंदी में होते हुए भी, चीन ने २००८ से २०१५ इन सात सालों तक अपनी अर्थव्यवस्था को प्रगति पथ पर रखने में सफलता पाई थी। लेकिन इस सफलता के पीछे सरकार की ओर से सतत घोषित किए जाने वाला अर्थसहाय्य और बैंकिंग क्षेत्र को कर्ज बाँटने के लिए दी हुए अनिर्बंध अधिकार, यह वजह थी। इस से सार्वजनिक और नीजी ऐसे दोनों क्षेत्र में कर्ज का पहाड़ खड़े होने की नाराजगी मुद्रा कोष ने जताई है। उसी दौरान अनियंत्रित कर्ज आपूर्ति से अर्थव्यवस्था का विकास साधने की क्षमता, चीन की अर्थव्यवस्था धीरे धीरे खो रही है, ऐसा कहा है।

अन्तर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के मंदी के काल में अनिर्बंध कर्ज आपूर्ति से चीन की अर्थव्यवस्था पर का आंकड़ा अब २८ लाख करोड़ डॉलर्स पर पहुँच गया है, ऐसा इशारा मुद्रा कोष ने दिया है। चीन की अर्थव्यवस्था में आज चल रही गतिविधियों की तुलना इससे पहले की गतिविधियों से की जाए, तो लगभग ८५ प्रतिशत प्रकरणों में आर्थिक संकट और मंदी का सामना करना पड़ा है, ऐसा एहसास मुद्रा कोष ने चीन को कराया है। आर्थिक विकास दर के आंकड़ों में फंसने के बजाय मुलभुत आर्थिक सुधारनाओं पर ध्यान देने की जरुरत है और उसके लिए निर्णायक कार्रवाई आवश्यक होने की सलाह भी इस रिपोर्ट में दी गई है।

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