चीन के सेंट्रल बैंक ने दो महीनों में खरीदा २२ टन सोना – चीन के भंडार में १,८६४ टन सोना

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तरबीजिंग – लगभग दो साल सोने के आरक्षित भंडारों में किसी भी प्रकार की वृद्धि न करने का दावा करने वाले चीन ने पिछले दो महीनों में लगभग २२ टन सोने की खरीदारी करने का खुलासा हुआ हैं| चीन की सेंट्रल बैंक होने वाली ‘पीपल्स बैंक ऑफ चाइना’ से यह खरीदारी की गई हैं और इस खरीदारी के पश्चात चीन के पास सोने का अधिकृत आरक्षित भंडार १,८६४ टन पर जाने का स्पष्ट हुआ हैं| अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सोने की कीमत में वृद्धि होती हुए चीन के सेंट्रल बैंक ने आरक्षित भंडारों में की हुई वृद्धि ध्यान आकर्षित करने वाली साबित होती हैं|

अक्टूबर २०१६ में चीन के सेंट्रल बैंक से आरक्षित भंडारों के संदर्भ में जानकारी दी गई थीं| उसके पश्चात लगभग २ सालों से अधिक समय चीन ने अधिकृत स्तर पर सोने की खरीदारी के विषय में कोई भी जानकारी नहीं दी हैं| अक्टूबर २०१६ में चीन के पास सोने के आरक्षित भंडार १८४३ टन थे| उसके पश्चात सोने का उत्पादन, मांग और व्यापार इन तीनों क्षेत्रों में विश्व मैं उच्चतर स्थान प्राप्त करने वाले चीन ने भंडारों के विषय में कोई भी जानकारी नहीं दी थीं| इसी अवधि में चीन ने अपने देश में स्वतंत्र ‘गोल्ड एक्सचेंज’ शुरू करते हुए सोने के अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपना प्रभाव निर्माण करने के लिए आक्रमक कदम उठाए थें|

उसके पश्चात दिसंबर २०१८ में चीन के सेंट्रल बैंक ने लगभग १० टन सोने की खरीदारी की थीं| इस खरीदारी के बाद जनवरी २०१९ में चीन के सेंट्रल बैंक से लगभग ११.८ टन सोने की खरीदारी करने की जानकारी दी गई हैं| लगातार दो महीनों में किए खरीदारी के पश्चात चीन के पास आरक्षित सोने का भंडार १८६४ टन पर जाकर पहुंच गया हैं| पिछले कुछ महीने सोने की कीमत में लगातार वृद्धि शुरू होते हुए उसने १३०० डॉलर्स प्रति औंस का रिकॉर्ड पार कर दिया हैं| चीन से इस प्रकार से खरीदारी शुरु रही तो सोने की कीमतों में होने वाली वृद्धि अधिक गतिशील हो जाएगी ऐसा दावा विशेषज्ञों ने किया हैं|

रशिया तथा चीन पिछले कुछ वर्षों में अपने सोने के भंडारों में भारी मात्रा में वृद्धि कर रहे है इसके पीछे अमरिका और अमरिकी डॉलर के प्रभुत्व को चुनौती देने की योजना होने का बताया जाता हैं| रशिया ने अपने पास आरक्षित सोने के भंडार हाल ही में ही दो हजार टन तक बढाया है, ऐसा वृत्त भी सामने आया था|

‘गोल्डमन सॅक्स’ इस वित्तसंस्था ने साल के अंत तक सोने की कीमत प्रति औंस १,४५० डॉलर्स तक बढ़ने भविष्यवाणी व्यक्त की थीं| वही, सोने के बाजार के प्रमुख विशेषज्ञ जिम क्रेमर ने सोने की कीमत १५०० डॉलर्स का रिकॉर्ड प्राप्त कर सकती हैं, ऐसा दावा किया था|

सोने की इस बढ़ती कीमत के पीछे तथा प्रमुख देशों से बढ़ती हुई सोने की खरीदारी के पीछे विश्व की अर्थव्यवस्था की उथल-पुथल तथा अनिश्चितता होती दिखाई दे रही हैं| अस्थिर बने आर्थिक वातावरण में सोने में निवेश करना, सबसे अच्छा विकल्प साबित होता हैं और यह सबसे अधिक लाभ देनेवाला निवेश होने का माना जाता हैं| इस कारण सोने में बढ़ते निवेश से जागतिक अर्थव्यवस्था पर से विश्वास कम होता दिखाई दे रहा हैं|

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