चीन के ‘बीआरआय’ को ‘जी७’ के ‘बी३डब्ल्यू’ की चुनौती

'बीआरआय’लंडन – ‘बेल्ट अँड रोड इनिशिएटीव्ह-बीआरआय’ इस अपने महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के माध्यम से, छोटे और गरीब देशों को अपनी एड़ी के नीचे दबाना चाहनेवाले चीन को रोकने पर ‘जी७’ का एकमत हुआ है। अमरीका, कनाडा, ब्रिटेन, फ्रान्स, जर्मनी, इटली और जापान इन देशों की जी७ परिषद ने चीन के ‘बीआरआय’ के लिए विकल्प देने की तैयारी की। इसके अनुसार, गरीब देशों में बुनियादी सुविधाएँ विकसित करने हेतु प्रोजेक्ट शुरू करने के लिए जी७ के सदस्य देश पहल करेंगे। अपने निवेश का इस्तेमाल करके शिकारी अर्थनीति अपनानेवाले चीन को इसका बहुत बड़ा झटका लग सकता है। साथ ही, भविष्य में कोरोना जैसी महामारियाँ रोकने के लिए जी७ नया समझौता करने की तैयारी में है।

ब्रिटेन में आयोजित की गई जी७ परिषद में चीन यही प्रमुख मुद्दा होने के दावे दुनियाभर के माध्यम और विश्लेषक कर रहे हैं। इस परिषद के लिए भारत, दक्षिण कोरिया और ऑस्ट्रेलिया इन देशों को आमंत्रित किया गया, यह बात चीन को बेचैन करनेवाली साबित हुई। कोरोना की महामारी फैलानेवाले चीन के विरोध में नई-नई जानकारी और सबूत अन्तर्राष्ट्रीय माध्यम जारी कर रहे हैं। उसकी दखल लेकर चीन के विरोध में उपायोजना करने के लिए जी७ पर दबाव बढ़ता चला जा रहा है। ऐसी परिस्थिति में, जी७ चीन के विरोध में कठोर भूमिका अपनाने के संकेत मिल रहे हैं। अमरीका, ब्रिटेन और कनाडा ये देश चीन के विरोध में आक्रामक बने होने की जानकारी माध्यमों में जारी हो रही है। लेकिन अधिकृत स्तर पर इस बारे में जानकारी प्राप्त नहीं हुई है।

लेकिन चीन के ‘बीआरआय’ प्रोजेक्ट को लक्ष्य करने पर जी७ में एकमत होने की बात सामने आई है। इसके लिए जी७ देशों ने ‘बिल्ड बॅक बेटर वर्ल्ड-बी३डब्ल्यू’ इस प्रोजेक्ट का ऐलान किया। इसके माध्यम से गरीब और मध्यम आर्थिक गुट में समावेश होनेवाले देशों में विकास प्रोजेक्ट चलाए जायेंगे। अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन ने उसका प्रस्ताव दिया है। यह चीन के लिए बहुत बड़ा झटका साबित हो सकता है। क्योंकि गरीब और अविकसित देशों में विकास प्रोजेक्ट शुरू करके, उसके कर्ज़े के चंगुल में इन देशों को फँसाने की मतलबी नीति चीन ने अपनाई थी। यह कर्ज़ा चुकता ना करने पर चीन इन गरीब देशों की साधन संपत्ति पर अधिकार जताता था। श्रीलंका का हंबंटोटा बंदरगाह चीन ने इसी प्रकार हथिया लिया है।

इसी कारण, गरीब देशों को चीन की इस शिकारी अर्थनीति से बचाने के लिए जी७ द्वारा की जा रही यह पहल बहुत ही महत्वपूर्ण साबित होती है।

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