बीते दशक में अमरिकी ईंधन पाईपलाइन पर हुए सायबर हमले में चीन का हाथ था – अमरिकी प्रशासन का आरोप

china-us-gas-pipeline-cyber-attacks-2वॉशिंग्टन/बीजिंग – चीन की हुकूमत का समर्थन प्राप्त करनेवाले हैकर्स ने अमरीका के ईंधन पाईपलाइन पर सायबर हमले किए थे, ऐसा दावा अमरिकी यंत्रणाओं ने किया है। वर्ष २०११ से २०१३ तक के दो वर्षों के बीच चीनी हैकर्स ने २३ ईंधन पाईपलाइन कंपनियों को लक्ष्य किया था, ऐसा आरोप अमरिकी यंत्रणाओं ने लगाया है। सायबर हमलों के मुद्दे पर चीन को लक्ष्य करने का अमरीका का यह दूसरा अवसर है। दो दिन पहले ही अमरीका ने ‘मायक्रोसॉफ्ट एक्सेंज सर्वर’ पर हुए सायबर हमले में चीन का ही हाथ होने का आरोप लगाया था।

अमरीका के अंदरुनि सुरक्षा विभाग एवं प्रमुख जाँच यंत्रणा ‘फेडरल ब्युरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन’ (एफबीआय) ने सायबर सुरक्षा के मुद्दे पर अलर्ट जारी किया। इस अलर्ट में चीन द्वारा सायबर हमलों का ज़िक्र किया गया है। वर्ष २०११ से २०१३ के दौरान चीनी हैकर्स के गुटों ने अमरीका की २३ ईंधन पाईपलाइन कंपनियों को लक्ष्य किया। चीनी हैकर्स ने लगातार दो वर्ष ‘स्पिअरफिशिंग ऐण्ड इंट्य्रुशन कैम्पेन’ की सहायता से इन कंपनियों पर सायबर हमले किए, ऐसा आरोप अमरिकी यंत्रणाओं ने लगाया है। इनमें से १३ कंपनियों को रोज़मर्रा के कारोबार में नुकसान पहुँचने का दावा भी किया गया है।

china-us-gas-pipeline-cyber-attacks-1ईंधन पाईपलाइन को नुकसान पहुँचाना और रोज़मर्रा के कारोबार में अड़ंगा ड़ालने के उद्देश्‍य से इन सायबर हमलों को अंज़ाम दिया गया था, ऐसा अमरिकी यंत्रणाओं ने अपनी रपट में कहा है। ईंधन पाईपलाइन को ‘रिमोटली’ नियंत्रित करने की क्षमता हैकर्स ने प्राप्त की थी, यह भी अमरिकी यंत्रणाओं ने कहा है। वर्ष २०११ से २०१३ के दौरान डेमोक्रैट पार्टी के बराक ओबामा अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष थे। उन्हींके कार्यकाल में अमरीका ने सायबर हमलों के मुद्दे पर चीन के साथ समझौता भी किया था। लेकिन यह समझौता करने के बाद भी चीन के सायबर हमले जारी रहे। अमरिकी यंत्रणाओं की नई रपट से इसकी पुष्टी हुई है।

मई में अमरीका की सबसे बड़ी ईंधन पाईपलाइन ‘कोलोनिअल पाईपलाइन’ पर हमला हुआ था। इस हमले के पीछे रशिया के ‘डार्कसाईड’ नामक हैकर्स का गुट होने की बात सामने आयी थी। इस गुट ने कंपनी से ४० लाख डॉलर्स से अधिक फिरौती वसूलने का वृत्त प्रसिद्ध हुआ था। इस सायबर हमले के बाद अमरीका के ईंधन पाईपलाइन, ऊर्जा प्रकल्प और अन्य संवेदनशील यंत्रणाओं की सायबर सुरक्षा को लेकर सवाल खड़ा हुआ था। इस मामले में बायडेन प्रशासन ने रशिया के खिलाफ आक्रामक भूमिका अपनाकर कार्रवाई करने का इशारा भी दिया था।

इसी बीच, अमरीका के अंदरुनि सुरक्षा विभाग ने देश की ईंधन पाईपलाइन कंपनियों के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए हैं। इसमें संबंधित कंपनियों को सायबर सुरक्षा से संबंधित सभी तरह की सावधानियां बरतने के कहा गया है। सायबर हमले का लक्ष्य होने पर ‘आपात्कालिन योजना’ तैयार रखने के निर्देश भी दिए गए हैं। बीते तीन महीनों के दौरान दूसरी बार सायबर सुरक्षा के मुद्दे पर दिशानिर्देश जारी होने की बात सामने आयी है। इससे पहले जारी किए गए निर्देशों में ईंधन पाईपलाइन कंपनियों को ‘सायबर सिक्युरिटी को-ऑर्डिनेटर’ की नियुक्ती करने के आदेश दिए गए थे।

बीते वर्ष से अमरिकी कंपनियों पर बड़ी मात्रा में सायबर हमले होने की घटनाएँ सामने आयी हैं। इनमें से ‘सोलरविंडस्‌’ कंपनी पर सायबर हमले में रशियन हैकर्स होने का आरोप अमरीका ने लगाया था। इस मामले में रशिया के विरोध में प्रतिबंध लगाने के साथ प्रत्युत्तर में हमले करने का इशारा भी अमरीका ने दिया था। लेकिन, चीन के सायबर हमलों पर कार्रवाई करने की भूमिका अमरीका ने नहीं अपनाई थी। इस पृष्ठभूमि पर बीते ४८ घंटों के दौरान सायबर हमलों के मुद्दे पर दो बार चीन पर लगाया गया आरोप ध्यान आकर्षित करता है।

चीन ने सायबर हमलों के मुद्दे पर लगाए गए आरोप लगातार ठुकराए हैं और उल्टा अमरीका पर ही सायबर हमलों में ‘वर्ल्ड चैम्पियन’ होने का आरोप लगाया है।

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