दलाई लामा की अरुणाचल प्रदेश भेंट को लेकर चीन की भारत को चेतावनी

बीजिंग, दि. ३१ : बौद्ध धर्मगुरू और तिबेटी नेता दलाई लामा की अरुणाचल प्रदेश भेट को लेकर चीन ने भारत को फिर से चेतावनी दी है| दलाई लामा की अरुणाचल भेंट को यदि भारत ने अनुमति दी, तो द्विपक्षीय संबंधों पर इसका विपरित परिणाम होगा, ऐसा चीन के विदेशमंत्रालय ने धमकाया है|

दलाई लामा४ से १३ अप्रैल के दौरान दलाई लामा अरुणाचल प्रदेश के तवांग की भेंट करनेवाले हैं| अरुणाचल प्रदेश पर अपनी मालिक़ियत होने का दावा करनेवाला चीन इसकी आलोचना कर रहा है| दलाई लामा की अरुणाचल यात्रा की खबर चीन के लिए चिंता का विषय बन गयी है, ऐसे चीन के विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता लू कँग ने कहा| ‘दलाई लामा और उनका गुट, चीन के तिब्बत प्रांत के अलगाववादी कारनामों में शामिल हैं| भारत को इसका पूरा एहसास है| ऐसा होने के बावजूद भी भारत ने यह यात्रा आयोजित की’ ऐसा इल्ज़ाम कँग ने लगाया| ‘अरुणाचल प्रदेश के बारे में चीन की भूमिका स्पष्ट है| भारत उसका सम्मान करें| चीन के विरोध के बावजूद भी भारत दलाई लामा को अरुणाचल की भेंट करने के लिए आमंत्रित कर रहा है, तो इसका गंभीर परिणाम द्विपक्षीय संबंधों पर होगा, ऐसी चेतावनी कँग ने दी|

इससे पहले चीन के विदेशमंत्री ने दलाई लामा की अरुणाचल यात्रा पर चिंता जतायी थी| उसके बाद चीन के सरकारी मुखपत्र रहनेवाले ग्लोबल टाईम्स ने भी इस बात को लेकर भारत की कड़ी आलोचना की थी| साथ ही, चीन के ‘तिबेटोलॉजी रिसर्च सेंटर’ के संचालक ने भी, यह यात्रा आयोजित करके भारत ने चीन को दुखाया है, ऐसे कहा था|

अरुणाचल प्रदेश के तवांग का उल्लेख चीन ‘दक्षिण तिब्बत’ ऐसा करके, उसपर अपना हक है, ऐसा कहते आया है| भारत ने हर बार उसका करारा जवाब दिया था| अरुणाचल प्रदेश भारत का अविभाज्य भूभाग है और अपने सीमा इलाके में भारत को क्या करना चाहिए यह चीन तय न करें, ऐसे खरी खरी इससे पहले केंद्रीय गृहराज्यमंत्री किरेन रिजीजू ने सुनायी थी| साथ ही, ‘दलाई लामा भारत के सम्माननीय अतिथि हैं और वे भारत के किसी भी इलाके की भेंट कर सकते हैं, ऐसी फ़टकार भारत के विदेशमंत्रालय ने चीन को लगायी थी|

पिछले साल, अमरीका के भारत स्थित तत्कालीन राजदूत रिचर्ड वर्मा की तवांग भेंट की भी चीन ने आलोचना की थी| पिछले महीने में भारत के विदेश सचिव एस. जयशंकर की चीन यात्रा में, चीन ने सीमाविवाद उपस्थित करने की कोशिश की थी| लेकिन अरुणाचल प्रदेश संदर्भ की भारत की निश्‍चित भूमिका जयशंकर ने इस दौरान स्पष्ट रूप में पेश की थी|

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