चीन की हुकूमत नाज़ी जर्मनी के समान – मेघालय के राज्यपाल तथागत रॉय

नई दिल्ली – नाज़ियों ने जिस तरह से ज्यू धर्मियों का संहार किया, उसी तरह से चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत उइगरवंशियों का संहार कर रही है। इसलिए, जर्मनी में रही नाज़ियों की हुकूमत और चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत ये दोनों काफ़ी समानता रखती हैं, ऐसी कड़ी आलोचना मेघालय के राज्यपाल तथागत रॉय ने की।

 मेघालय

गलवान वैली में भारतीय सैनिकों पर हमला करके, फिर एक बार भारत से दगाबाज़ी करनेवाले चीन के विरोध में देशभर में गुस्से की भावना है। उसी में, चीन ने एकसाथ लगभग सभी पड़ोसी देशों की ज़मीन एवं समुद्री क्षेत्र पर दावा बोला है और इससे चीन के विरोध में काफ़ी ग़ुस्सा बढ़ रहा है। कोरोना वायरस की महामारी विश्‍वभर में सिर्फ़ चीन के कारण ही फ़ैली है और पूरा विश्‍व इसकी बड़ी क़ीमत चुका रहा है, इस बात का एहसास लगभग सभी प्रमुख एवं ज़िम्मेदार देशों को हुआ है। इस कारण, चीन के विरोध में बने असंतोष को आंतर्राष्ट्रीय स्वरूप प्राप्त हुआ है।

ऐसें दौर में चीन की निर्दयी एवं अमानवीय हुकूमत का असली चेहरा विश्‍व के सामने आया होकर, उइगरवंशियों का संहार, तिब्बती जनता पर हो रहे अत्याचार, हाँगकाँग में चल रहा दमनतंत्र एवं तैवान पर आक्रमण करने की भाषा, इनकी वजह से चीन के प्रति व्यक्त हो रहे गुस्से में बढ़ोतरी हो रही है। इस पृष्ठभूमि पर, चिनी हुकूमत की ये गतिविधियाँ नाज़ी-जर्मनी की तरह ही हैं, ऐसा आरोप रखकर मेघालय के राज्यपाल तथागत रॉय ने इस देश को लक्ष्य किया है।

कुछ दिन पहले ही लेह में भारतीय सैनिकों को संबोधित करते समय, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीधे नाम लिए बिना चीन के विस्तारवाद पर कड़ा प्रहार किया था। पूरे विश्‍व को विस्तारवादी शक्ति से ख़तरा बनता है। लेकिन, आखिर में ऐसी विस्तारवादी शक्तियों की हार होती है या उन्हें पीछे हटना ही होता है, यह बयान भी प्रधानमंत्री ने किया था। अलग शब्दों में, चीन का विस्तारवाद विश्‍व के सामने भयंकर संकट की शृंखला खड़ी कर रहा है, यह चेतावनी प्रधानमंत्री ने इस दौरान दी थी। साथ ही, ऐसे विस्तारवाद का अंत हार में ही होता है, इस बात की याद भी प्रधानमंत्री ने चीन को चुनिंदा शब्दों में कराई थी।

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