चीन-पाकिस्तान का गठबंधन अमरिका और भारत के लिए खतरनाक – पूर्व अमरिकी सेना अधिकारी की चेतावनी

वॉशिंगटन/बीजिंग – पाकिस्तान यह अमरिका का मित्र नही बल्कि चीन का सहयोगी है| इन दो देशों का गठबंधन अमरिकी हितसंबंधों के लिए बडा खतरा है, यह चेतावनी अमरिका के पूर्व सेना अधिकारी कर्नल लोरेन्स सेलिन इन्होंने दिया| इस दौरान सेलिन इन्होंने ‘चाइना-पाकिस्तान इकॉनॉमिक कॉरिडॉर’ (सीपीईसी) के माध्यम से चीन केवल आर्थिक ही नही बल्कि लष्करी दृष्टी से वर्चस्व बनाने के लिए गतिविधियां कर रहा है, इस ओर ध्यान केंद्रीत किया है| पिछले हफ्तें में ही अमरिका के शीर्ष वृत्तपत्र ने चीन की ‘सीपीईसी’ परियोजना के पीछे व्यापारी नही बल्कि सामरिक उद्देश्य होने की चेतावनी दी थी|

कर्नल लोरेन्स सेलिन अमरिकी सेना के पूर्व अधिकारी है और उन्होंने अफगानिस्तान के साथ इराक और अफ्रीका में अहम जिम्मेदारी निभाई थी| उन्होंने एक वृत्तसंस्था को दी मुलाकात में, ‘सीपीईसी’ के माध्यम से चीन और पाकिस्तान के बीच बढ रही नजदिकी पर और उसके पीछे के हेतू पर कडी चिंता व्यक्त की| यह गठबंधन ही अमरिका के लिए वास्तव में खतरनाक है, यह कर्नल सेलिन इन्होंने कहा है|

चीन का उद्देश्य दक्षिण एशिया पर वर्चस्व बनाने का है और उसकी शुरूआत ‘सीपीईसी’ द्वारा आर्थिक प्रभाव बढाने से होगी और उसके बाद पाकिस्तान पर बना प्रभाव का इस्तेमाल चीन इस देश में लष्करी अड्डे निर्माण करने के लिए करेगा, यह चेतावनी अमरिकी अधिकारी ने दी| यह अड्डे चीन के ‘साऊथ चाइना सी’ में बने लष्करी अड्डे और जिबौती में बने नौसेना अड्डे के बीच अहम कडी साबित होंगे, यह दावा भी सेलिन इन्होंने किया| यह परियोजना भारत को अकेला कर सकेगी, यह डर भी अमरिकी अधिकारी ने व्यक्त किया है|

कर्नल सेलिन इन्होंने ‘सीपीईसी’ के खतरे के संबंधी दी चेतावनी के पहले अमरिका के शीर्ष वृत्तपत्र ने भी ‘सीपीईसी’ के संभाव्य लष्करीकरण की ओर ध्यान आकर्षित किया था| पिछले हफ्तें में ‘द न्यूयॉर्क टाईम्स’ में प्रसिद्ध हुए लेख में चीन और पाकिस्तान ‘सीपीईसी’ का इस्तेमाल लष्करी अड्डे का निर्माण करने के लिए और रक्षा सहयोग मजबूत करने के लिए कर रहे है, यह दावा किया गया है|

चीन और पाकिस्तान की लष्करी अधिकारियों की इस मुद्दे पर अहम बैठक हुई है और इस बैठक में पाकिस्तान में चीन के लडाकू ‘जेएफ-१७’ विमानों के साथ शस्त्रास्त्र यंत्रणा, राडार सिस्टिम का निर्माण करने की योजना को अंतिम रूप दिया गया है, यह कहा जा रहा है| पाकिस्तान का लष्करी चीन की ‘बैदोउ’ यह संदेश एवं दळणवळण यंत्रणा का इस्तेमाल करनेवाला पहला विदेशी लष्कर साबित हुआ है| इसके साथ ही चीन ‘ग्वादर’ बंदरगाह में नौसेना का अड्डा स्थापित करने की तैयारी कर रहा है और इसपर भी चर्चा होने की जानकारी ‘द न्यूयॉर्क टाईम्स’ ने दी है|

चीन और पाकिस्तान के अधिकारियों ने यह दावे ठुकराए है और यह पश्‍चिमी देशों के झुठे प्रचार का हिस्सा होने का खुलासा किया है| चीन ने अबतक अपने महत्त्वाकांक्षी ‘वन बेल्ट, वन रोड’ का इस्तेमाल केवल आर्थिक और व्यापारी दृष्टी से करने का ऐलान किया था| लेकिन ‘सीपीईसी’ का आधार करके पाकिस्तान में लडाकू विमानों का निर्माण करना उसका उल्लंघन साबित होता है| इस वजह से ‘वन बेल्ट, वन रोड’ को लेकर चीन ने वास्तव में रखा उद्देश्य सामने आया है, यह दावा भी अमरिकी समाचार पत्र ने किया था|

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