चीन तैवान पर लष्करी दबाव बनाने की गलती ना करे – अमरिकी विदेश मंत्रालय का इशारा

Third World Warवॉशिंगटन: दो दिनों पहले चीन के लड़ाकू विमानों ने तैवान के क्षेत्र में की घुसपैठ पर आपत्ति जता कर अमरिका ने चीन को चेतावनी दी हैं| लष्करी बल का उपयोग करके चीन तैवान पर दबाव बनाने की और क्षेत्र की भौगोलिक परिस्थिति बदलने की गलती ना करें, ऐसा अमरिका के विदेश मंत्रालय ने सूचित किया हैं| उसके बदले चीन तैवान में निर्वाचित सरकार के साथ वार्तालाप कर प्रश्नों को हल करें, ऐसी सख़्त सलाह अमरिका ने चीन को दी हैं|

चार दिनों पहले चीन की ‘पिपल्स लिबरेशन आर्मी’ (पीएलए) के दो ‘जे-११’ लड़ाकू विमानों ने तैवान की दक्षिण की ओर की हवाई सीमा में घुसपैठ की थीं| पिछले ७ दिनों में चीन के लड़ाकू विमानों ने तैवान की सीमा में की यह दूसरी घुसपैठ की घटना थीं| तैवान के सुरक्षा विभाग ने दी चेतावनी के बाद भी चीन के लड़ाकू विमान पीछे नहीं हटे थे| इस कारण तैवान ने अपने लड़ाकू विमान रवाना करके चीन के विमानों को सीमा के बाहर भगाया था| चीन के विमानों की इस घुसपैठ पर नाराजगी व्यक्त करते हुए तैवान की राष्ट्राध्यक्षा ‘त्साई ईंग-वेन’ ने चीन को ऐतिहासिक प्रस्ताव की याद कराई थीं|

चीन, तैवान, लष्करी दबाव, बनाने, गलती ना, करे, अमरिकी विदेश मंत्रालय, इशारा‘तैवान की समुद्री सीमा तय करने के मुद्दे पर चीन और तैवान में समझौता हुआ हैं| चीन के लड़ाकू विमानों ने इसका उल्लंघन करते हुए तैवान को उकसाया है’, ऐसे शब्दों में राष्ट्राध्यक्षा ‘ईंग-वेन’ ने इससे आगे तनाव के लिए चीन जिम्मेदार होगा ऐसे शब्दों में चीन को फटकारा था| चीन के इस आक्रामक घुसपैठ के बारे में तैवान ने अपने मित्र देशों को भी सूचित किया था| उसके पश्चात अमरिका के विदेश मंत्रालय ने चीन की घुसपैठ पर कठोर टीका की हैं|

‘लष्करी दबाव अथवा एकतरफा कार्रवाई से क्षेत्र की भौगोलिक परिस्थिति बदलने के लिए किए जाने वाली हर एक गतिविधि को अमरिका का हमेशा विरोध रहेगा’, ऐसे अमरिका के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ‘रॉबर्ट पॅलाडिनो’ ने कहा हैं| इसी के साथ चीन ने तैवान के समुद्री तथा हवाई सीमा में की यह घुसपैठ रोककर तैवान में निर्वाचित सरकार से वार्तालाप करके विवाद सुलझाना चाहिए, ऐसा भी पॅलाडिनो’ ने सूचित किया हैं|

तैवान यह अपना ही संप्रभु भूभाग होने का दावा चीन कर रहा हैं| अन्य कोई भी देश तैवान के साथ किसी भी प्रकार का राजनीतिक तथा लष्करी सहयोग स्थापित न करें, यह चेतावनी भी चीन दे रहा| तैवान से सहयोग रखनेवाले देशों का चीन ने राजनीतिक बहिष्कार किया हैं| इस कारण अमरिका, भारत और कुछ बड़े देशों को छोड़कर अन्य देश चीन के विरोध में जाकर तैवान से सहयोग स्थापित करने से दूर रहे है| ऐसे में अमरिका ने तैवान के साथ लष्करी सहयोग की तीव्रता बढ़ाते हुए तैवान को लड़ाकू ‘एफ-१६’ विमान का उन्नत संस्करण देने का भी मान्य किया हैं| इस पृष्ठभूमि पर, चीन से तैवान को लगातार चेतावनी दी जा रही हैं|

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